झारखण्ड में शाहरुख़ के हाथों जली अंकिता अंतत: जीवन की लड़ाई हार गयी। उसे हारना ही था, वह इतना जल जो गयी थी। मगर यह केवल अंकिता का जाना ही नहीं है, यह जाना है एक हिन्दू जीवन का, यह जाना है एक हिन्दू सपने का! जब हिन्दू लडकियां लव जिहाद का शिकार होती हैं, तो यह कहा जाता है कि लड़कियों को समझ नहीं है और वह अपने आप ही उधर जाती हैं, परन्तु निकिता तोमर और अब झारखंड की अंकिता का मामला यह बताता है कि मामला यह है ही नहीं, कि लडकियां अपने आप मुस्लिम युवकों की ओर आकर्षित होती हैं।
जब वह इंकार करती हैं तो क्या होता है, यह निकिता तोमर के मामले में पूरे देश ने देखा था जब उसे दिन दहाड़े गोली मार दी गयी थी। वहीं झारखंड की अंकिता, जिसने शाहरुख़ से बात करने से इंकार कर दिया था, उसे भी उसके घर पर ही जला दिया गया।
इसमें लड़कियों की क्या गलती थी? इन दोनों ही मामलों में लड़कियों की कोई गलती नहीं थी, न ही निकिता की और न ही अंकिता की। इन दोनों जैसी न जाने कितनी लडकियाँ शिकार होती रहती हैं। परन्तु इन पर बात करने के लिए कोई भी तैयार नहीं होता है। समस्या यह है कि इन्हें मात्र प्रेम और प्रेम प्रस्ताव न मानने वाला मान लिया जाता है, मगर समस्या यहाँ पर बहुत अलग है। समस्या यह है कि लड़की नहीं चाहती है कि वह अपनी दुश्मन तहजीब में जाए, मगर काफिर “कोख” पर अधिकार करना ही शायद उनका लक्ष्य होता है, जो लड़कियों को मार देते हैं।
और इस लड़ाई में जंग हार जाती हैं हिन्दू लडकियां! उनके सपने, उनकी प्रतिभा सब कुछ खो जाता है। रोता रहता है उनका परिवार, और सबसे दुर्भाग्य यह कि मीडिया और विमर्श में वही समुदाय दोषी ठहरा दिया जाता है, जो पीड़ित है, जिसकी बेटी को इस संकुचित सोच ने छीन लिया है।
दिल्ली में अरमान अली ने भी गोली मारी
दिल्ली में भी एक मामला सामने आया है और वह भी अलग नहीं है। दिल्ली में अपना नाम बदलकर अरमान अली ने एक लड़की से दोस्ती की। मगर लड़की को जैसे ही उसकी असली पहचान का पता चला, वैसे ही लड़की ने उससे बात करना बंद कर दिया।
यह अरमान को बुरा लगा और फिर उसने वही कदम उठाया जो अक्सर ऐसे लड़के उठाते हैं। जब वह लड़की से नाम बदलकर मिला था, अर्थात उसका लक्ष्य कुछ और ही था और वह कम से कम प्यार नहीं था। लड़की की उम्र मात्र 16 वर्ष है, अर्थात वह उसके दिमाग को ही अपने अनुसार करना चाहता था। यह लव से अधिक “ग्रूमिंग” जिहाद था। जिसमें उसका उद्देश्य किशोर मन को अपने प्रभाव में लेना था।
मगर लड़की को जैसे ही सत्यता का भान हुआ, उसने अरमान से बात करनी बंद कर दी। अरमान ने उसके बाद उसका पीछा करना आरम्भ कर दिया। और अवसर देखकर लड़की पर हमला कर दिया। लड़की अभी अपने जीवन की जंग लड़ रही है।
लड़की ने पिता ने बताया कि
“हम एक संयुक्त परिवार में रहते हैं। आमतौर पर कोई मेरे बच्चों और भतीजियों को सुबह स्कूल छोड़ देता है और दोपहर में मेरी पत्नी या भाभी उन्हें ले आती है। मेरी पत्नी और बेटा और मेरी एक भतीजी आगे चल रहे थे, जबकि मेरी बेटी और दूसरी भतीजी उनके पीछे चल रहे थे। जब वे बी-ब्लॉक के पास पहुंचे, तो आरोपियों ने उस पर गोली चला दी और भाग गए, ”
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें किसी पर संदेह है, लड़की के पिता ने कहा कि इलाके का एक युवक उसका पीछा कर रहा था। “शुरू में, मैंने हमारी गली में घूमने वाले युवाओं को गंभीरता से नहीं लिया क्योंकि वह एक स्थानीय था। लेकिन बाद में उन्होंने मेरी बेटी को इंस्टाग्राम पर मैसेज और रिक्वेस्ट भेजी। उसने कोई जवाब नहीं दिया, इसलिए जब भी वह बाहर निकली तो उसने उसका पीछा करना शुरू कर दिया।”
हैरानी की बात यह है कि भले ही पिता ने अपनी बेटी के साथ हो रही इस घटना को रोकने के लिए पुलिस से संपर्क किया, लेकिन हमारे सिस्टम ने उसे कथित रूप से विफल कर दिया।
उन्होंने बताया कि “मैंने जून के अंत और जुलाई की शुरुआत में बीट कांस्टेबल को इस बारे में बताया था। बीट सिपाही ने कहा कि वह इसका ख्याल रखेगा और लड़के को डांटेगा, लेकिन मुझे नहीं पता कि कुछ हुआ या नहीं। मेरी पत्नी ने कहा कि लड़के और उसके साथियों ने हेलमेट पहन रखा था और उसने अपने चेहरे को नाक तक रूमाल से ढक लिया था”।
डीसीपी (दक्षिण) बनिता जयकर के अनुसार “घायल लड़की ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा कि स्कूल से घर लौटते समय उसने देखा कि मोटरसाइकिल पर तीन लड़के उसका पीछा कर रहे हैं। जब वह बी-ब्लॉक पहुंची, तो उनमें से एक लड़के ने पीछे से उस पर गोली चला दी और वे भाग गए। उनमें से एक लड़का सोशल मीडिया के जरिए उसके संपर्क में था। हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है। आरोपियों की पहचान कर ली गई है और उन्हें पकड़ने के प्रयास जारी हैं, ”
अरमान की सहायता करने वाले पवन एवं बॉबी को पकड़ लिया गया है और अरमान की पकड़ के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
अंग्रेजी मीडिया ने छिपाया अरमान का नाम
हर अपराध में हिन्दुओं को दोषी ठहराने वाली अंग्रेजी मीडिया ने फिर से खेला किया और अरमान अली के नाम को छिपा दिया।
अंग्रेजी मीडिया का हिन्दुओं के प्रति विद्वेष उनकी रिपोर्टिंग से स्पष्ट होता है। और इस मामले में जहाँ पर हिन्दी मीडिया जैसे जागरण आदि ने स्पष्ट लिखा कि यह मजहबी पहचान बदलकर किया गया कुकृत्य है, तो वहीं अंग्रेजी मीडिया ने इसे सामान्य अपराध बताया!
पहचान के इस संघर्ष को क़ानून की बात बताना सबसे बड़ा पाप और अपराध है
लव जिहाद से ऐसा नहीं है कि मात्र हिन्दू ही परेशान है, बल्कि सिख आदि भी परेशान हैं, वह भी पाकिस्तान में अपनी लड़कियों के अपहरण से दुखी हैं, और हाल ही में ग्रीस में भी यह बात उठी थी, मगर इस पर बात करने से लोग डरते हैं, क्योंकि उन पर इस्लामोफोबिक होने का ठप्पा लग जाएगा! यह दुखद है कि कोई न कोई हिन्दू लडकी रोज ही किसी न किसी कारण से विधर्मियों के हाथों मारी जा रही हैं, फिर चाहे वह प्रस्ताव स्वीकार कर सूटकेस में पैक होने का मामला हो या फिर अस्वीकार करने पर निकिता तोमर, अंकिता और अब दिल्ली वाली लड़की का मामला!
मूल विषय पर संवाद कब आरम्भ होगा और कब हम समुदाय के रूप में एक ठोस हल की ओर आगे बढ़ेंगे? दुर्भाग्य की बात यह है कि अंकिता के साथ एक जीवन और कई सपने चले गए हैं और कोई उन सपनों की टूटन को अनुभव ही नहीं कर रहा है!