spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
31.2 C
Sringeri
Friday, April 19, 2024

अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में बेअदबी की घटना: मृत व्यक्ति पर एफआईआर और ब्रिटिश सांसद का हिन्दू आतंकवाद का राग

अमृतसर में शनिवार को एक व्यक्ति की पीट पीट कर हत्या में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है, परन्तु वह एफआईआर उसी व्यक्ति पर दर्ज हुई है, जिसकी मौत “क्रोधित भक्तों” द्वारा पीट पीट कर हो गयी है। पहले कहा गया कि वह उत्तर प्रदेश का था, फिर कहा गया वह हिन्दू था। अभी कहा ही जा रहा है।  

दैनिक भास्कर के अनुसार शनिवार को स्वर्ण मंदिर में बेअदबी की घटना के बाद थाना ई-डिवीजन पुलिस ने सेवादार साधा सिंह के बयान पर मारे गए युवक के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस ने मारे गए युवक के खिलाफ धारा 307 (हत्या के प्रयास) और 295 A के तहत मामला दर्ज किया है। उच्चतम न्यायालय द्वारा श्री गुरुग्रंथ साहिब को जीवित गुरु का दर्जा प्राप्त है, अत: श्री गुरुग्रंथ साहिब के साथ हुई किसी भी बेअदबी को जीवित व्यक्ति के साथ हुई बेअदबी माना जाता है।

परन्तु समस्या यहाँ पर कुछ और है एवं कहीं न कहीं किसी षड्यंत्र की ओर संकेत करती है। भारत और हिन्दुओं के प्रति घृणा रखने वाले यूके इम्मीग्रेशन लॉयर और टीवी होस्ट हरजाप भंगल ने एनडीटीवी के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि

“मैं हेडलाइन करेक्ट करता हूँ” हिन्दू आतंकवादी, जो प्रार्थना कर रहे मासूम लोगों को मारने आया था, उसे सिखों द्वारा रोक लिया गया!! बहुत सही हुआ!”

इसी ट्वीट को ब्रिटिश की प्रथम सिख महिला सांसद प्रीत कौर गिल ने रिट्वीट करते हुए लिखा कि “हिन्दू आतंकवादी को सिखों के खिलाफ हरमंदिर साहिब में हिंसा करने से रोका गया!”

हालांकि बाद में आलोचना होने पर वह ट्वीट डिलीट कर दिया गया, पर तब तक उसका स्क्रीनशॉट लिया जा चुका था।

बाद में यह कहते हुए ट्वीट किया गया कि किसी भी पूजा स्थल पर ऐसे हमले न हों! हरमंदिर साहिब से भयानक दृश्य!

अभी तक उस व्यक्ति की पहचान तक नहीं हुई है

अमृतसर में जिस व्यक्ति की इस घटना के बाद हत्या हुई है, उसकी अभी तक पहचान तक नहीं हुई है, फिर ऐसे में बिना किसी प्रमाण के यह कहा जाना कि हिन्दू ने हत्या की, कहाँ तक उचित है या फिर यह किसी गहरे षड्यंत्र की ओर संकेत करता है। क्योंकि हरजाप भंगल की प्रोफाइल पर जाते ही ऐसा लगता है जैसे किसी भारतीय वामपंथी की प्रोफाइल पर आ गए हैं। उसमें किसान आदोलन के समर्थन से लेकर जावेद अख्तर का वह झूठा ट्वीट भी है, जिसमें जावेद अख्तर ने भारतीय जनता पार्टी के स्लोगन के शब्दों को उर्दू बताया था। जबकि हमने अपने लेख में यह बताया था कि कैसे जावेद अख्तर का ज्ञान शब्दों के मामले में शून्य था।

और हरजाप भंगल की दृष्टि में पाकिस्तान और कोलंबिया दो ऐसे देश हैं, जो सबसे ज्यादा शरणार्थियों को शरण देते हैं।

अफगानिस्तान में सिखों के साथ हुए व्यवहार पर यह दोनों मौन थे

पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे अफगानिस्तान में सिखों को यह विकल्प दिया गया कि वह या तो देश छोड़ दें या फिर इस्लाम क़ुबूल कर लें। वहां से 10 दिसंबर को ही गुरुग्रंथ साहिब जी की प्रतियां भारत आई हैं और उन्हें अपने सिर पर रखकर केन्द्रीय मंत्री हरदीप पुरी और भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख जेपी नड्डा लाते हुए दिखे थे।

इतना ही नहीं पाकिस्तान को शरणार्थियों के लिए सबसे अच्छा देश बताने वाले और हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी को किसी तरह स्थापित करने वाले पाकिस्तान में गुरुग्रंथ साहिब के अपमान पर कुछ नहीं कहते हैं।  26 नवम्बर को हरजाप का यह ट्वीट था कि पकिस्तान और कोलंबिया सबसे ज्यादा शरणार्थियों को शरण देते हैं और 29 नवम्बर को पाकिस्तान के सिंध प्रांत में घोसपुर शहर के पास गुरुद्वारा श्री हरकृष्ण जी ध्यान में श्री गुरुग्रंथ साहिब के अंगों को फाड़ दिया गया और गोलक तोड़ दी थी।

परन्तु इस बेअदबी को लेकर किसी का न ही खून खौलता है और न ही यह कहा जाता है कि यह किसी आतंकी का कार्य है!

मीडिया और बुद्धिजीवियों तथा यहाँ तक कि राजनेताओं का मौन घातक है

एक ओर एक घटना को लेकर, जिसमें न ही तलवार उठाने वाले का नाम पता है और न ही उसके विषय में कुछ भी ज्ञात है, उसके आधार पर हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी को भारत से नहीं बल्कि उन तत्वों द्वारा हवा दी जा रही है जिनका उद्देश्य हिन्दुओं को मिटाना है, तो वहीं दूसरी ओर भारत और विदेशी मीडिया द्वारा इस घटना पर चुप्पी साध जाना और फोकस केवल ब्लेसफेमी अर्थात बेअदबी तक ही रखना बहुत खतरनाक है।

हर राजनीतिक दल बेअदबी की बात कर रहा है, परन्तु कोई भी उन दो लोगों की बात नही कर रहा है जिन्हें पिछले दो दिनों में मार दिया गया. किसी भी धार्मिक ग्रन्थ या धार्मिक प्रतीक के साथ कुछ भी गलत नहीं किया जाना चाहिए, परन्तु उसके नाम पर किसी को जान से मार देना कितना सही है? यदि यह षड्यंत्र है तो भी उसके जीवित रहते ही पता चल सकता था, मरने के बाद कैसे षड्यंत्र का पता चल सकता है? और न ही कोई इस बात पर बोल रहा है कि बिना पड़ताल के कैसे यह चलाया जा रहा है कि मरने वाला हिन्दू था?

यह तो निश्चित है कि इस घटना की आड़ में षड्यंत्र बहुत बड़ा है!

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.