अजमेर की दरगाह में हिन्दू ही अधिकतर जाते हैं, और विडंबना यही है कि वहीं पर उनके विरुद्ध “सर तन से जुदा” के नारे भी लगाए जाते हैं। इतना ही नहीं खादिमों के बार-बार के भड़काऊ वीडियो भी निकलकर आ रहे हैं और कन्हैयालाल जी के हत्यारों के साथ भी अजमेर का सम्बन्ध निकला था।
इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर भी शोर मचा था कि जिन हिन्दुओं के कारण अजमेर दरगाह में इतना पैसा जाता है, उन हिन्दुओं के ही गला काटने की योजना वहां पर बनाई जाती है। और संभवतया उन्हीं नफरती तकरीरों और नारों का असर है कि अजमेर में जुमे को भी सन्नाटा पसरा रहा।
वहीं अब अजमेर के दरगाह के खादिम का आर्थिक बहिष्कार की भी बात की गयी है। जो ऑडियो वायरल हुआ है, वह कथित रूप से सरवर चिश्ती का है और इस ऑडियो में वह कह रहा है कि “
“अजमेर शरीफ में नाला बाजार और दरगाह बाजार के हिंदुओं ने नूपुर शर्मा के समर्थन में एक रैली का आयोजन किया। उन्होंने दोपहर 12 बजे तक दुकानें बंद रखीं। मैं आप सबसे गुजारिश करता हूँ कि इन लोगों (हिंदुओं) को तरसा दो।
न तो दरगाह बाजार और न ही नाला बाजार से कोई शौपिंग करे, ये खावा के जायरीनों के जरिये ही कमाते हैं। इतनी इनकी हिम्मत हो गयी कि यह हमारे सामने नुपुर शर्मा के पक्ष में जुलूस निकाल सकें, और इस बात को हर जगह बोलो, जिससे इनसे लोग एक रूपए का भी धंधा न करें और यह तरस जाएं!”
इसके साथ ही एक और वीडियो वायरल हुआ था जिसमें खादिम सैय्यद सरवर ने धमकी दी थी कि “तुम हिन्दू हमसे लड़ोगे?” यह भी कहा था कि वही इस मुल्क पर शासन करने वाले थे, उनकी हुकूमत थी।
इसलिए हिन्दुओं, हमारे सामने लड़ोगे? तुम तो ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर नतमस्तक होने आते हो!”
इसके साथ ही जिस प्रकार से नुपुर शर्मा का गला काटे जाने की बात भी की गयी, और बार-बार उस पुराने मामले की भी बात अब की जाने लगी है जिसमें सैकड़ों हिन्दू लड़कियों का बलात्कार किया गया था, और अभी भी लोग पूछते हैं कि वर्ष 1992 में हुए बलात्कार काण्ड में आखिर दंड मिलेगा भी या नहीं!
क्या यह सब कारण है कि आज टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसके अनुसार खादिमों की नफरत भरी तकरीरों से सूफी दरगाह में लोग बहुत कम आए
इस रिपोर्ट के अनुसार दूसरे शुक्रवारों की तुलना में, जब जियारत करने वाले लोग भारी संख्या में दरगाह आते थे, इस शुक्रवार कुछ अलग था। इस बार बहुत कम आए और होटल में लोग बुकिंग कैंसल करा रहे हैं। रेस्टोरेंट और परिवहन वालों को मात्र १०% ही व्यवसाय मिला।
एक खादिम के अनुसार “अजमेर में जुमे का मतलब होता है, जियारत करने वालों का आना, मगर इस बार लोग नहीं आए। इस शहर की अर्थव्यवस्था रोज आने वाले 15,000-20,000 लोगों पर निर्भर करती है।
इस रिपोर्ट में लिखा है कि दरगाह बाजार, दिल्ली गेट, दिग्गी बाजार, और खादिम मोहल्ला, कमानी गेट, और लखन कोटरी में गेस्ट हाउस को रोज बहुत नुकसान हो रहा है, क्योंकि लोग अपनी बुकिंग कैंसल करा रहे हैं।”
दरगाह इलाके में जन्नत ग्रुप और होटल्स के मालिक रियाज खान ने कहा कि नफरत फैलाने वाली तकरीरों ने जियारत पर आने वाले लोगों पर प्रभाव डाला है। उन्होंने कहा कि अजमेर इस बात से बहुत प्रभावित हो रहा है जो कुछ भी देश में हो रहा है। उदयपुर में हुई घटना के बाद से ही बुकिंग कैंसल होनी शुरू हो गयी थी!”
वहीं सोहन हलवा बेचने वाले शादाब सिद्दीकी, जिनकी ख्वाजा गरीब नवाज नाम से मिठाई की दुकान है, ने कहा कि 90% तक बिक्री कम हो चुकी है!
उदयपुर में मारे गए कन्हैयालाल के हत्यारों के भी सम्बन्ध खादिम गौहर चिश्ती के साथ सामने आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर हंगामा मचा हुआ था।