भारत में एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो बार बार यही प्रश्न करता है कि यदि मुस्लिम अधिक भी हो जाएँगे तो क्या हो जाएगा? क्या हो जाएगा अगर वह बहुमत में आ गए? ऐसे में आगरा से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो यह बताने के लिए पर्याप्त है कि यदि यह लोग बहुसंख्यक हो गए तो क्या होगा? आगरा में कैंट स्थित जॉय हैरिस स्कूल से एक वीडियो सामने आया है। जिसमें वह रो रो कर यह बता रही हैं कि आखिर उनके साथ हो क्या रहा है?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आगरा कैंट स्थित जॉय हैरिस स्कूल की प्रिंसिपल ममता दीक्षित रो रो कर अपनी पीड़ा व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि चूंकि वहां पर मुस्लिम छात्राएं अधिक हैं, तो वहां पर हिजाब पहनने को लेकर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने यह भा आरोप लगाए कि उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
प्रिंसिपल का कहना है कि उन पर तरह तरह के आरोप लगाए जाते हैं। जब वह प्रार्थना करने के लिए आती हैं, तो लडकियां उनपर आरोप लगाती हैं। और उन्होंने रिहाना खातून नामक शिक्षिका का नाम लेते हुए कहा कि शिक्षिकाओं की लीडर रिहाना खातून है।
उनके अनुसार रिहाना खातून ही उनके खिलाफ यह सब हरकतें करवा रही हैं, उन्होंने कहा कि यह घटनाएं उनके साथ डेढ़ दो साल से हो रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनका उत्पीडन इसलिए किया जा रहा है, जिससे वह इस्तीफ़ा दे दें।
उन्होंने कहा कि यह शिक्षिकाएं उनके खिलाफ मनगढ़ंत शिकायतें पहले लिखती हैं और फिर उन्हें डीएम के पास, या फिर माननीय मुख्यमंत्री जी के पास भेजती हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास इसका प्रमाण भी मौजूद है।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरस्वती माता की तस्वीर को लेकर भी वह लोग जोर डालती हैं कि हटाया जाए!
उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें घर जाने में भी डर लगता है।
हालांकि इस वीडियो के वायरल होते ही शिक्षा विभाग में हंगामा मच गया। अब इस मामले में प्रशासन भी सामने आ गया है। मीडिया के अनुसार
“एसीएम चतुर्थ, जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार, सहायक जिला विद्यालय निरीक्षक वीके माैर्य जांच के लिए कॉलेज पहुंचे। उन्होंने शिक्षिकाओं, प्रधानाचार्य और छात्राओं से अलग अलग बयान दर्ज किये। छात्राओं से फीस अधिक वसूलने की शिकायत मिली। जिस पर जांच की जा रही है। भाजपा विधायक डॉ जीएस धर्मेश ने भी मौके पर पहुंचकर मामले की जानकारी ली। जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार का कहना है कि मामले में रेलवे अधिकारियों को बुलाकर कॉलेज का शैक्षिक माहौल सुधारने के लिए निर्देशत किया जाएगा क्योंकि कॉलेज रेलवे प्रबंधन के अधीन है।“
विधायक जी एस धर्मेश के अनुसार इस पूरे मामले की जानकारी मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ को दी जाएंगी एवं निष्पक्ष जांच की जाएगी।
झारखंड में भी मुस्लिम बहुल स्कूलों में बदल गए थे नियम
उत्तर प्रदेश में घटी घटना कहीं न कहीं उन तमाम घटनाओं की पुनुरावृत्ति ही प्रतीत होती हैं, जो झारखंड में हो चुकी थी। अभी कुछ ही पहले हम सभी ने देखा था कि कुछ स्कूलों में हाथ जोड़कर प्रार्थना बंद कर दी गयी थी। जब शोर मचा था तो स्थानीय लोगों के दबाव में आकर हाथ जोड़कर प्रार्थनाएं आरम्भ हो गयी थीं। परन्तु एक बार फिर से शासन के निर्देशों का उल्लंघन देखने को मिल रहा है।
जागरण के अनुसार एक बार फिर मुस्लिम बहुल क्षेत्र स्थित कतिपय विद्यालयों में मनमानी शुरू हो गई। इनमें पलामू जिले के छतरपुर प्रखंड के ठेंकहीटांड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय शामिल है।
यह भी पता चला था कि कई ऐसे स्कूल थे जहाँ उन्हें उर्दू स्कूल घोषित कर दिया था। जैसे हे ये समाचार वायरल हुए थे, वैसे ही जनता में एक आक्रोश देखने को मिला था और यह भी हैरानी लोगों ने व्यक्त की थी कि आखिर सरकार कोई कदम क्यों नहीं उठा रही है। इसके बाद शिक्षा मंत्री सक्रिय हुए थे और फिर सरकार द्वारा बनाए गए नियमों पर स्कूल चले थे, जैसे रविवार को अवकाश आदि।
परन्तु फिर से एक बार वही होने लगा है। इस विषय में जागरण के अनुसार प्रशासन का कहना है कि स्कूलों को सरकारी नियम मानने होंगे।
देखना होगा कि क्या होता है, परन्तु एक बार तो स्पष्ट है कि ये मामले मात्र शिक्षक या विद्यार्थी के न होकर पूरे समाज के होते हैं। ऐसा कभी नहीं होता कि सरकार का आदेश विद्यालय न मानें, परन्तु फिर भी बहुत सुनिश्चित नहीं कहा जा सकता है कि स्कूल मानेंगे ही क्योंकि इतने निर्देशों के बाद भी कई स्कूलों में अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं।
जो आगरा में हो रहा है, वह विकसित होकर झारखंड जैसे मामले बन जाते हैं, यह भी देखना होगा कि उत्तर प्रदेश सरकार कैसे इन मामलों पर कदम उठाई है एवं ममता दीक्षित जो आरोप लगा रही हैं, उन पर क्या कार्यवाही होती है, यह देखना होगा!
This episode reflects how Muslims are all out to destablize any platform, institution, office & organization where Hindus are at the helm and occupying administrative posts. This requires Govt. intervention and dire action to weed out the issues based on religious bias.