इन दिनों राहुल गांधी सहित पूरी कांग्रेस हिन्दू, हिंदुत्व और हिन्दुइज्म की परिभाषा देने में जुटी हुई है। एक ओर सलमान खुर्शीद हैं, जो यह साबित कर चुके हैं कि पढ़ा लिखा मुस्लिम ही सबसे कट्टर होता है,तो वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी कह रहे हैं कि हिन्दुइज्म मुस्लिम और सिख को मारना नहीं सिखाता है, जबकि हिंदुत्व यह सिखाता है।
इसके अलावा भी उन्होंने बहुत कुछ कहा। परन्तु एक प्रश्न यहां पर उठ खड़ा होता है कि अचानक से ही यह बहस कैसे आरम्भ हो सकती है? अचानक से ही हिन्दुइज्म और हिंदुत्व कैसे चर्चा में आ सकता है? क्या यह कोई सोची समझी साजिश है या फिर सहज ही उभरा हुआ कोई द्वन्द है? क्या कांग्रेस में कोई द्वन्द चल रहा है? क्या कांग्रेस में हिन्दुओं को लेकर कुछ योजना बन रही है? ऐसे कई प्रश्न उभर कर आते हैं।
क्यों ऐसा हो रहा है कि कांग्रेस के वह नेता जो भगवा आतंकवाद के षड्यंत्र रच रहे थे, वह खुद को सबसे बड़ा हिन्दू बता रहे हैं? हम सभी को कुछ समय पीछे जाना होगा जब कांग्रेस के नेताओं ने मुस्लिम वोट बैंक सुनिश्चित करने के लिए हिन्दुओं को आतंकवाद से जोड़ दिया था! इतना ही नहीं पूरी की पूरी भगवा आतंकवाद की थ्योरी गढ़ दी थी। साधू संतों को संदेह की दृष्टि से देखा जाने लगा था और यह भी बात सत्य है कि वह एक ऐसा दौर था जब कांग्रेसी नेताओं की ब्रांडिंग एंटी-हिन्दू हो रही थी।
अधिक दूर न जाते हुए राहुल गांधी के कुछ कथनों को स्मरण रखना होगा जो उन्होंने कहे थे। एक तो उन्होंने कहा था कि
भारत को मुस्लिम आतंकवादियों की तुलना में हिन्दू संगठनों से ज़्यादा ख़तरा है।“
विकीलीक्स के अनुसार राहुल ने अमेरिकी राजदूत से कहा था, ‘भारतीय मुसलमानों के बीच कुछ ऐसे तत्व हैं जो लश्कर-ए-तैयबा जैसे इस्लामिक संगठनों का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन उससे बड़ा ख़तरा तेजी से पांव पसार रहे चरमपंथी हिंदू संगठनों से है जो मुस्लिम समुदाय के साथ धार्मिक तनाव और राजनैतिक वैमनस्य पैदा कर रहे हैं।’
उसके बाद उन्होंने यह भी कहा था कि जो लोग मंदिर जाते हैं, वही महिलाओं को छेड़ते हैं!
ऐसे एक नहीं राहुल गांधी और कांग्रेस के कई बयान हैं, जिनके कारण हिन्दुओं के भीतर गुस्सा था और अभी तक है। हिन्दुओं के प्रति राहुल गांधी का क्या दृष्टिकोण है, वह हाल ही में सीएए के दौरान हुए आंदोलनों में देखा गया था, जब पड़ोसी देशों से हिन्दुओं की नागरिकता पर कांग्रेस ने विरोध किया था।
परन्तु अभी जब हम सलमान खुर्शीद की पुस्तक के परिप्रेक्ष्य में बात कर रहे हैं और राहुल गांधी हिन्दू, हिंदुत्व और हिन्दुइज्म पर अपना ज्ञान दे रहे हैं, तो उसी समय उन्हीं की पार्टी के एक बड़े नेता ने सलमान खुर्शीद की पुस्तक के लोकार्पण के समय प्रभु श्री राम का अपमान किया।
उन्होंने प्रभु श्री राम का अपमान किया, हिन्दुओं का अपमान किया, और साथ ही अपमान किया भारत की न्यायपालिका का।

एएनआई ने उस दिन पी चिदम्बरम के वक्तव्य को उद्घृत करते हुए कहा कि अयोध्या का निर्णय इसलिए सही था क्योंकि दोनों ही पक्षों ने उसे स्वीकार कर लिया था। एक ऐसा निर्णय जिस पर पूरे विश्व की दृष्टि थी, और जो हिन्दुओं के लिए एक ऐसा निर्णय था, जिसकी प्रतीक्षा उन्होंने सदियों से की थी, और न जाने कितना बलिदान दिया था। वह सही निर्णय, कांग्रेस के पी चिदम्बरम के अनुसार इसलिए सही नहीं था क्योंकि उसने हिन्दुओं के साथ अन्याय किया था, बल्कि इसलिए सही था क्योंकि इसे दोनों पक्षों ने स्वीकार कर लिया था।
दोनों पक्षों द्वारा स्वीकार किया जाना इसलिए हास्यास्पद है क्योंकि न्यायलय में यह प्रमाणित हुआ था कि यह राम मंदिर था। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भी कि यहाँ पर मंदिर था और उसे तोड़कर मस्जिद बनाई गयी थी, न्यायालय ने मुस्लिम समुदाय को एक और स्थान पर मस्जिद के लिए भूमि दी। इस बात पर भी हिन्दुओं ने आपत्ति नहीं की थी। हिन्दुओं को बस यह हर्ष था कि उनके राम की भूमि उन्हें वापस मिल रही है। जबकि आपत्ति इस बिंदु पर की जा सकती थी कि जब मस्जिद थी ही नहीं, तो उसके प्रतिस्थापन में मस्जिद के लिए भूमि क्यों दी गयी?
हिन्दुओं के प्रति कांग्रेस का दृष्टिकोण
यह सत्य है कि इन दिनों कांग्रेस के सभी नेता हिन्दुओं के विशेषज्ञ बने हुए हैं, पर यह भी बात सत्य है कि कांग्रेस सहित सभी दलों को हिन्दुओं के वोट ही चाहिए। जो बड़े मुद्दे हैं उन पर हर दल मौन रहता है। सबसे बड़ा अन्याय हिन्दुओं के साथ होता है, वह है उन्हें किसी भी प्रकार की धार्मिक स्वतंत्रता न होना।
पाठक भ्रमित न हों! यह सत्य है कि हम कहने के लिए स्वतंत्र हैं, परन्तु कांग्रेस और वामपंथियों का इकोसिस्टम ऐसा है जो आपको एक भी पर्व स्वतंत्रता से नहीं मनाने दे सकता है। आपकी हर परम्परा पर वह आघात करता है। परम्परा को पहले कुरीति प्रमाणित करता है और फिर उस पर न्यायालय से रोक लगवाता है।
स्वतंत्रता के बाद से लेकर अब तक हमारे पर्वों और यहाँ तक कि हमारी छोटी मोटी धार्मिक रीतियों में किस सीमा तक न्यायपालिका और कथित एनजीओ का हस्तक्षेप है, यह हम इस बात से समझ सकते हैं कि एक ओर नदियों में औद्योगिक कचड़ा छोड़ा जाता रहा और नदियाँ प्रदूषित होती रहीं और रोक लगती रही कि पूजा की सामग्री नदी में प्रवाहित न करें।
रोक लगती रही कि मुंडन के बाल नदियों में प्रवाहित न करें, और हजारों टन कचड़ा हमारी नदियों में गिरता रहा। जिन्होनें औद्योगिक कचड़ा फैलाया वह समाजसुधारक बन गए और जो हिन्दू सदियों से नदियों को माँ मानता आ रहा था, वह दोषी हो गया।
और इन्हें दुलारने में सबसे बड़ा हाथ कांग्रेस का था। विवाह, मृत्युभोज आदि सभी परम्पराओं पर तो सरकारी चाबुक चला दिया जाता है। फिर कहाँ से स्वतंत्र हैं?

जब राहुल गांधी सहित पूरी कांग्रेस आज हिन्दू और हिंदुत्व की विशेषज्ञ बनी हुई है, तो इन सभी विषयों पर उनके उत्तर मांगे जाने चाहिए! समय आ गया है कि हिन्दू अब “हिन्दू” कांग्रेस से मांग करे कि हमारे मंदिर मुक्त किए जाएं, हमारी नदियों को औद्योगिक कचड़े से मुक्त किया जाए जिससे हम अपने धार्मिक संस्कार कर सकें आदि आदि! और हमारे साधु पालघर की भांति लिंचिंग का शिकार न हों!
या फिर राहुल गांधी अभी हिन्दुओं को अपना भाई बनाकर फिर से चारे के लिए तैयार करके – भाईचारा बनाना चाह रहे हैं?