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Wednesday, January 15, 2025

देश मनायेगा अहिल्याबाई होल्कर का 300वां जयंती वर्ष 

ईसाई देश ज्यादातर विकास योजना का धन चर्च आक्सालरी ऑफ़ सोशल एक्शन  (CASA)  के माध्यम से भारत में भेजते  हैं . इस  धन का व्यय चर्च के निगरानी में  मतान्तरण प्रेरित वर्ल्ड विज़न  जैसे  तथा-कथित  एन.जी.ओ के माध्यम से होता है. सिख गुरूओं की भूमि  जालंधर में एशिया की सबसे बड़ी चर्च यूँ ही अस्तित्व में नहीं आ रही.  लेकिन वर्तमान सरकार भी सावधान  है , तभी हाल ही में उसने विदेशी धन के दुरूपयोग  को लेकर बड़ी संख्या  में चर्च संचालित एन.जी.ओ पर प्रतिबन्ध लगाया  है .

पर  सरकार  ही नहीं, आम जन को  भी जाग्रत व सावधान रहने की जरूरत है . मत भूलें , इंडोनेशिया का एक हिस्सा ईसाई बाहुल्य हुआ तो तिमोर देश के नए  नाम से अलग हो गया. और हमने भी अपना हिस्सा पाकिस्तान- बंगलादेश- अफगानिस्तान के रूप में खोया है .  तभी वीर सावरकर ने कहा था –  ‘ धर्म परिवर्तन, राष्ट्रीयता का परिवर्तन है.’ जिसके  चलते गौतम बुद्ध , राम, महाराणा प्रताप, राजा दाहिर सेन, गुरु गोविन्द सिंह , छत्रपति शिवाजी जैसे महापुरुषों के प्रति नफरत जन्म ले लेती है.  

बिहार के पटना जिले के अंतर्गत आने वाले एक नगर का नाम बख्तियार है.  बख्तियार कौन है , यदि नहीं पता तो बाबासाहब अम्बेडकर की सुनें- ‘जब मुस्लिम शासक बख्तियार खिलजी ने बिहार पर आक्रमण किया, तब उसने पांच हजार से अधिक बोद्ध भिक्षुओं का क़त्ल किया, धर्म-पीठ नष्ट कर डाले . बचे हुए बोद्ध-धर्मी चीन, नेपाल व तिब्बत भाग गए. ’ [डॉ. अम्बेडकर और सामाजिक क्रांति की यात्रा; पृष्ठ- ३२१].   

विभाजन के सन्दर्भ में उनका  अनुमान क्या था, ये भी  देख लें -‘मै पाकिस्तान में फंसे हुए दलित समाज से कहना चाहता हूँ कि उन्हें जो मिले, उस मार्ग व साधन से हिंदुस्तान आ जाना चाहिए. पाकिस्तान अथवा हैदराबाद की निजामी रियासत के मुसलमान अथवा मुस्लिम लीग पर विश्वास रखने से दलित समाज का नाश होगा.’

लेकिन  आज बाबासाहब की  सीख को भूलाकर मुस्लिम लीग को   ‘सेक्युलर’ बताने वाले कम नहीं ; और टीपू सुल्तान को भी . पर  टीपू सुलतान की स्वयं के प्रति क्या राय थी, ये देखें . उसका कहना था  यदि काफ़िर अपने सारे  जहां की  दौलत भी लाकर उसके  पाँव तले  रख दें तो भी उसे  उनके पूजा स्थल  को नष्ट करने से कोई नहीं रोक सकता. लेकिन टीपू अकेला सुल्तान नहीं था , जितने भी मुग़ल  शासक हुए उन्होंने वही किया  जो गाजी बननें की फिराक में  टीपू ने किया. ऐतिहासिक स्थलों  पर हम जाते हैं वहाँ हमें सहज ही खंडित धर्मालय देखने को इसलिए ही अक्सर  मिल जाया करते हैं.

लेकिन यहाँ अहिल्या बाई होलकर को इसलिए  याद किया जाना  चाहिये क्यूंकि  उनके शासन काल में  न केवल नदी किनारे घाट-धर्मशाला का निर्माण हुआ,  बल्कि उत्तर से दक्षिण; पूर्व से पश्चिम खंडित मंदिरों का राम मंदिर की तरह  बड़े पैमाने पर पुन:निर्माण भी  हुआ. इस वर्ष 2024-25 में देश उनकी जयंती का ३०० वां वर्ष मनाने जा रहा है. 

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Rajesh Pathak
Rajesh Pathak
Writing articles for the last 25 years. Hitvada, Free Press Journal, Organiser, Hans India, Central Chronicle, Uday India, Swadesh, Navbharat and now HinduPost are the news outlets where my articles have been published.

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