HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
9.5 C
Badrinath
Saturday, June 10, 2023

वाशिंगटन पोस्ट ने पाकिस्तान में हिन्दू मंदिर विध्वंस को कुछ इस तरह सही ठहराया

हाल ही में पड़ोसी पाकिस्तान से एक ऐसा दृश्य सामने आया था, जिसने एक बार फिर से उस दौर की याद ताजा कर दी थी जब मंदिरों को हिन्दुओं की आँखों के सामने भीड़ आकर तोड़ जाती थी।  पाकिस्तान में पंजाब प्रांत में रहीम यार जिले में भोंग कसबे में एक उन्मादी भीड़ ने आकर मंदिर को पूरी तरह से तोड़ दिया था। बाद में यह बताया गया कि लोगों के भीतर इस बात को लेकर गुस्सा था कि आखिर एक आठ साल के उस बच्चे को अदालत ने क्यों छोड़ दिया, जिस पर अल्लाह की बेइज्जती का आरोप था।

उस बच्चे पर यह आरोप था, कि उसने जानबूझकर मदरसे में पेशाब कर दी थी, जो मुस्लिमों के हिसाब से अल्लाह का अपमान था और उसकी सजा केवल मौत है। मगर यह समझ नहीं आता कि क्या किसी का मजहब इतना भी असहिष्णु हो सकता है कि आठ साल के बच्चे को भी अपना दुश्मन मान बैठे। क्या एक आठ साल का बच्चा जानबूझकर उस मजहब का अपमान कर सकता है जो वहां पर बहुसंख्यक है और जिसका शासन है?

खैर, यह कट्टरपंथी इस्लाम का पालन करने वालों की यह आदत है, कि वह संहार के हर कृत्य के लिए पहले एक कारण खोजते हैं। जैसे कश्मीर में भी जब उन्होंने कश्मीरी हिन्दुओं को भगाने और मारने का पाप किया था, उसमे भी उन्होंने यही नैरेटिव बनाने की कोशिश की थी कि पंडितों का अधिकार है हर नौकरी पर, तो लोगों में असंतुष्टि है। इसी तरह सीएए से पहले के दंगों के लिए भी कारण बनाए और फिर दिल्ली को जलाया।

ऐसे ही पाकिस्तान में ही मिली यक्जेहती काउंसिल ने इस घटना को सही नहीं ठहराया है, बल्कि साथ ही वाशिंगटन पोस्ट ने भी यही लिखा कि पुलिस के अनुसार यह हमला मदरसे के कथित अपमान के बाद हुआ था, जिसे एक हिन्दू लड़के ने पिछले सप्ताह किया था।”

और यह भी लिखा था कि आम तौर पर मुस्लिम स्वामित्व वाले पाकिस्तान में आम तौर पर मुस्लिम और हिन्दू शांतिपूर्ण तरीके से रहते हैं।

शांतिपूर्ण तरीका क्या है, यह मिली यक्जेती काउंसिल, जिसमें 22 धार्मिक और राजनीतिक दल और संगठन शामिल हैं, उसके रवैय्ये से पता चल ही गया जब उन्होंनें यह कहते हुए इस बेहद घृणित मामले पर टिप्पणी कहते हुए इंकार कर दिया कि अल्पसंख्यकों के अधिकार होते हैं तो बहुसंख्यकों के भी अधिकार होते हैं। उन्होंने हैदराबाद में एक स्थान का उदाहरण देते हुए कहा कि “हैदराबाद में एक मंदिर के सामने एक मुस्लिम परिवार रहता है। उस इलाके में कई हिन्दू परिवार हैं, और उन्होंने अधिकारियों से शिकायत की कि मंदिर के सामने गाय की कुर्बानी न दी जाए। बहुसंख्यकों के भी अधिकार होते हैं।”

उन्होंने कहा कि शरिया और संविधान ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुरक्षित किया है, तो वहीं आप बहुसंख्यकों के अधिकारों से आँखें मूँद नहीं सकते।

इस पर पत्रकारों ने प्रश्न किया कि ऐसे तो भारत और इजरायल में भी बहुसंख्यकों के आधार पर अधिकार किये जाएं, तो उन्होंने चुप्पी साध ली।

यह यह 22 राजनीतिक दल बहुसंख्यकों के अधिकारों की बात करते हैं तो वह मंदिरों को तोड़ने को तो बताते ही हैं, इसका अर्थ है वह उन सभी अत्याचारों को भी सही ठहरा देते हैं, जो इस्लाम द्वारा अल्पसंख्यकों पर किए जाते हैं और जब वाशिंगटन पोस्ट शांतिपूर्ण तरीके से रहने की बात करता है, तो वह शांतिपूर्ण क्या है, आइये कुछ उदाहरणों से जानते हैं:

  1. पाकिस्तान में स्कूल जाने वाले बच्चों को सरकारी स्कूलों में अभी तक यह पढ़ाया जाता है कि हिन्दू काफिर होते हैं और यह भी कहा जाता है कि पाकिस्तान में अधिकतर परेशानियां पाकिस्तानी हिन्दुओं के कारण आती हैं।
  2. हिन्दू लड़कियों का अपहरण करना और फिर मुसलमान बना लेना भी शायद बहुसंख्यक इस्लाम का अधिकार है तभी अभी तक यह सिलसिला थमा नहीं है।
  3. वह हिन्दुओं को मारपीट कर उनके भगवान की आलोचना करा सकते हैं, यह भी अधिकार है, जैसा अभी हाल ही में मुहम्मद अब्दुल सलाम ने एक गरीब हिन्दू लड़के को असहाय पाकर किया। उस लड़के को मारा गया और उससे कहा गया कि वह अपने भगवान् को गाली दे और अल्लाह हु अकबर का नारा लगाए।

5. मन्दिरों में भजन आदि भी न होने दें। जैसा कि 2 जून को ही पहले भारत का अंग रहे और फिर पाकिस्तान का अंग रहे, और अब स्वतंत्र इस्लामिक देश बांग्लादेश के नरसिंगदी जिले में दौलतपुर में श्री राधाकृष्ण मंदिर में स्थानीय हिन्दू बैठकर भजन गा रहे थे, तो उन्हें न केवल मारा गया बल्कि भजन भी नहीं गाने दिए गए और प्रभु की मूर्तियों को तोड़ दिया। स्थानीय हिन्दुओं से बार बार कीर्तन बंद करने के लिए कहा जा रहा था और चूंकि उन्होंने बहुसंख्यकों की इस आज़ादी का पालन नहीं किया, तो यह बहुसंख्यकों का अधिकार था कि वह उन्हें मारें।

और यह भी बहु संख्यकों के पास अधिकार है कि वह अल्पसंख्यक हिन्दुओं को इतना प्रताड़ित करें कि वह बेचारे देश छोड़कर भागने के लिए विवश हो जाएं। जब वाशिंगटन पोस्ट सगर्व यह लिखता है कि आम तौर पर तो मुस्लिम बहुसंख्यक पाकिस्तान में हिन्दुओं को लेकर कोई समस्या नहीं है तो वह यह नहीं लिखता कि फिर पाकिस्तान से हिन्दू भागकर भारत क्यों आ रहे हैं?

अभी बहुत दिन नहीं हुए हैं जब पाकिस्तान में खुदाई में गौतम बुद्ध की प्रतिमा निकली थी तो उसे तोड़ डाला गया था, और हिन्दुओं की लडकियां सुरक्षित नहीं हैं उनका अपहरण किया जाता है, बलात्कार किया जाता है और फिर उनका जबरन धर्म परिवर्तन किया जाता है, कभी कभी उन्हें यौन गुलाम भी बना लिया जाता है।

दुर्भाग्य की बात यह है कि हिन्दू एक मात्र ऐसा धार्मिक समूह है, जिसे दुनिया के किसी भी देश में राज्य का समर्थन प्राप्त नहीं है एवं उस पर वामी, इस्लामी और पश्चिम मीडिया है जो हिन्दुओं पर भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व में कहीं पर भी होने वाले अत्याचारों के प्रति आँखें मूंदे रहता है, बल्कि उनकी हिन्दू धर्म से घृणा इस हद तक है कि वह हिन्दुओं को ही उनकी हत्याओं के लिए दोषी ठहरा देते हैं! जैसा वाशिंगटन पोस्ट ने किया और जैसा शेष पश्चिमी मीडिया करता है

दरअसल वह अभी तक औपनिवेशिक श्रेष्ठता से भरे हुए हैं और हर मूल्य पर हिन्दुओं को नीचा दिखाना चाहते हैं, हर मूल्य पर हिन्दुओं की पहचान मिटाना चाहते हैं। वह यह बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं कि उनके आँखें खोलने से पहले कोई सभ्यता इतनी विशाल और समृद्ध थी और यही कारण है कि चाहे ईसाई हो या इस्लाम दोनों ही हिन्दुओं की पहचान तक से घृणा करते हैं और उनके साथ हुए हर अत्याचार को सही ठहराते हैं।


क्या आप को यह  लेख उपयोगी लगा? हम एक गैर-लाभ (non-profit) संस्था हैं। एक दान करें और हमारी पत्रकारिता के लिए अपना योगदान दें।

हिन्दुपोस्ट अब Telegram पर भी उपलब्ध है. हिन्दू समाज से सम्बंधित श्रेष्ठतम लेखों और समाचार समावेशन के लिए  Telegram पर हिन्दुपोस्ट से जुड़ें .

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.