एक ओर कांग्रेस की उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियांका गांधी हैं, जो दिनों दिन स्वयं को और अधिक हिन्दू प्रमाणित करने के लिए दिन रात एक कर रही हैं। परन्तु कांग्रेस का यह अभियान कहीं “फैंसी ड्रेस” राजनीतिक एक्टिविज्म न बनकर रह जाए, ऐसा भी प्रश्न उठने लगा है। ऐसा इसलिए दिखाई दे रहा है क्योंकि अब उनके बड़े नेता सलमान खुर्शीद की नई पुस्तक में हिंदुत्व को आईएसआईएस और बोकोहरम जैसे संगठनों के साथ जोड़ दिया है।
इसके साथ ही उन्होंने एक वीडियो में कश्मीर से हिन्दुओं के पलायन को भी “हो गया तो हो गया” कह कर संबोधित किया है।
पहले देखते हैं कि किस बात पर बवाल मचा हुआ है और जिस कारण पुलिस में शिकायत तक दर्ज हुई है। उन्होंने अपनी पुस्तक सनराइज ओवर अयोध्या में हिंदुत्व को बोकोहरम जैसे संगठनों की कतार में लाकर खड़ा कर दिया है। उनका कहना है कि पहले का हिंदुत्व अच्छा था, और अब जो नया उभर रहा है, वह साधु सन्तों, को किनारे कर रहा है और बोकोहरम और आईएसआईएस जैसे जिहादी समूहों का स्थान ले रहा है।
सलमान खुर्शीद बोकोहरम से तुलना कैसे कर सकते हैं? दरअसल यह उनकी खीज है! यह उनकी इसलिए खीज है क्योंकि अब हिन्दू अपनी अस्मिता की बात करने लगा है और सलमान खुर्शीद जैसों ने जो झूठ आज तक परोसा था कि इस्लाम शान्ति का मजहब है आदि आदि, उसे बोकोहरम, तालिबान जैसे लोग झूठा साबित कर रहे हैं। जब सलमान खुर्शीद अपने इस्लाम के कट्टरपंथ और मजहबी चेहरे के पीछे छिपे हुए खून खराबे और हिन्दुओं के खून को छिपा नहीं पाए तो उन्होंने यह नया दांव चल दिया, कि हिन्दुओं को ही बदनाम कर दिया जाए और यह कह दिया जाए कि जो हिंदुत्व अपने अधिकार और अपने आत्मसम्मान की बात कर रहा है, वह दरअसल बोकोह्ररम जैसा है!
यह हिन्दुओं को दबाने का प्रयास है कि हिन्दू डर कर चुप हो जाए और अपने अधिकारों की बात करना बंद कर दे और लिख दिया कि इस समय साधू सन्तों को किनारे रखकर उग्र हिंदुत्व जो उभर रहा है वह आईएसआईएस और बोकोहरम जैसा है!
अपनी इस कुटिलता में सलमान खुशीद छिपा लेना चाहते हैं उस चाह को जो उनके दिल में कहीं छिपी हुई है कि हिन्दुओं को अधिकार ही क्यों हो कोई? और सलमान खुर्शीद किन साधु सन्तों की बात कर रहे हैं? हिन्दुओं के मंदिरों पर अभी तक सरकार का अधिकार है, और कौन से साधु संतों को कांग्रेस ने अधिकार दिए हैं? मठों, धार्मिक संगठनों के लिए भी राजनीतिक सेक्युलरिज्म को अपनाना भी कहीं न कहीं इसी कांग्रेसी हिंदुत्व की सोच का परिणाम है!
सलमान खुर्शीद की इसी कुटिलता पर हंगामा है। पर इसमें दो बातें हैं, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। सलमान खुर्शीद हों या फिर आज के वामपंथी, या कथित धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले लोग, इनका निशाना उभरता हुआ हिंदुत्व है। हर किसी के निशाने पर हिन्दुओं की वह सोच है, जो उन्हें हिन्दुओं के गौरव की ओर ले जाती है। कैसे हिन्दू चाहते हैं सलमान खुर्शीद? क्या वह हिन्दू जो एनसीईआरटी की पुस्तकों में पढ़ाए जा रहे हिन्दुओं के प्रति अपमानजनक इतिहास को देखकर कुछ बोलें नहीं?
क्या वह हिन्दू, जो पालघर में अपने साधुओं को मरता देखकर कुछ न बोलें? पहले के साधू संतों से सलमान खुर्शीद का क्या तात्पर्य है? यह कांग्रेस ही थी जिसके शासनकाल में पूर्वोत्तर को हिन्दू विहीन करने का षड्यंत्र रचा गया। क्या यह कांग्रेस नहीं थी, जिसने मिथ्स ऑफ मिडल इंडिया (Myths of Middle India) लिखने वाले डॉ वेरियर को वनवासियों का मसीहा घोषित कर दिया था। और फिर उसके कारण हिन्दू संतों का नागालैंड में जाना ही प्रतिबंधित कर दिया था?
और उसका शीर्षक क्या दिया गया था “नागालैंड अब साधुओं से सुरक्षित है!”
क्या ऐसे हिन्दू चाहिए सलमान खुर्शीद को कि वह बेचारे बोल भी न पाएं? हिन्दू पूर्वोत्तर को हिन्दू विहीन करने का कुचक्र कांग्रेस ने रचा, और इतना ही नहीं कश्मीरी हिन्दुओं के साथ जो किया गया, वह सभी ने देखा।
कांग्रेस के शासनकाल में ही हिन्दू आतंकवाद का झूठ गढ़ा गया, यह कांग्रेस ही थी, जिसके शासनकाल में पालघर में दो निरीह साधुओं को घेरकर मारडाला गया। सलमान खुर्शीद जब कश्मीरी हिन्दुओं के प्रति यह बोल रहे हैं कि “हो गया तो हो गया” तो वह अपनी कट्टरता को और हिन्दुओं के प्रति अपनी नफरत को दिखा रहे हैं।
एक बात नहीं समझ आ रही है, कि वास्तव में सलमान खुर्शीद किस हिंदुत्व की बात कर रहे हैं। हिंदुत्व का अर्थ कभी अन्याय सहना नहीं था, हिंदुत्व ने सदा स्वीकार्यता की बात की है। उसने तो सभी को दिल खोलकर स्वीकार किया है, आज भी आम हिन्दू सहज पैगम्बर या जीसस के खिलाफ कुछ नहीं कहता, परन्तु उसके पास इतना अधिकार तो होना चाहिए कि वह अपना पर्व मना सके, वह कम से कम यह सके कि कोई मुनव्वर फारुकी कार सेवा कर लौट रहे जिन्दा जले कारसेवकों की ट्रेन को “बर्निंग ट्रेन” कहकर अपमान से हँस न सके?
उनके पास यह अधिकार तो हो कि वह मुनव्वर फारुकी की हर उस वीडियो पर शिकायत दर्ज करा सकें जिसमें वह हिन्दुओं की माँ सीता पर अभद्र टिप्पणी कर रहा है, हिन्दू देवी देवताओं पर अश्लील बातें कर रहा है? क्या सलमान खुर्शीद जैसे लोग यह नहीं चाहते हैं कि हिन्दू अपने देवी देवताओं के अपमान पर प्रश्न करें?
अभी हाल ही में अमेरिका में हिन्दुओं के विरुद्ध इतना बड़ा सम्मलेन हुआ, जिसमें जमकर हिन्दुओं के खिलाफ जहर परोसा गया, तो क्या हिन्दुओं को सलमान खुर्शीद जैसे लोग इतना अधिकार नहीं देना चाहते हैं कि हिन्दू कम से कम इसका विरोध तो कर सकें!
यह जो सलमान खुर्शीद ने अपनी पुस्तक में कहा है, वह हिन्दुओं से यही कहने का प्रयास है कि या तो चुपचाप रहो, यदि अपने अधिकारों या अपने पर्वों या अपने इतिहास के विषय में कुछ भी कहा तो आपको खड़ा कर दिया जाएगा दुर्दांत आतंकवादियों के संगठन के बीच!
अपनी पुस्तक में सलमान खुर्शीद हिंदुत्व को तो बोकोहरम और आईएसआईएस के साथ खड़ा कर रहे हैं, परन्तु उस कट्टरता के बारे में कुछ नहीं कह रहे हैं, जिसने कमलेश तिवारी की जान ले ली, जिसने स्वामी श्रद्धानन्द जी की जान ली थी, या फिर रंगीला रसूल लिखने वाले की जान ली थी या फिर वह मानसिकता जो अभी स्वामी यति नरसिम्हानंद सरस्वती के पीछे पड़ी है!
यदि सलमान खुर्शीद उस मानसिकता पर काम करते तो कम से बाटला हाउस एनकाउन्टर पर आंसू बहाने की नौटंकी वाला वक्तव्य नहीं देना पड़ता!
एक प्रश्न यह भी उठता है कि आखिर इस झूठी समतुल्यता की आवश्यकता इस समय क्यों आन पड़ी है? क्या विश्व में हिन्दुओं को बदनाम करने के लिए यह सलमान खुर्शीद और कांग्रेस का नया कदम है या फिर हिन्दुओं को शर्मसार करने का? यह देखना होगा!
पर सलमान खुर्शीद जैसों के लिए डरा सहमा और आत्महीनता से भरा हुआ हिन्दू ही सर्वश्रेष्ठ हिन्दू है!