पिछले दिनों बांग्लादेश में दुर्गापूजा के दौरान हुई हिंसा को सभी ने देखा था और देखा था कि कैसे इकबाल हुसैन ने कुमिला जिले में एक दुर्गापूजा पंडाल में घुसकर कुरआन की एक प्रति रख दी थी। उसके बाद जो हिंसा आरम्भ हुई थी, उसने पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया था। हिन्दुओं का कत्लेआम शुरू हो गया था। हर पूजा पंडाल पर ही लगभग हमला होने लगा था।
हालांकि इकबाल को पकड़ने के बाद ऐसा लगा था कि हिन्दू शांति से रह सकेंगे, परन्तु ऐसा नहीं हुआ और सिलहट के हबीगंज में 19 नवम्बर को एक बार फिर से यही सब दोहराने की कोशिश हुई। पर स्थानीय लोगों ने उसे पुलिस के हवाले कर दिया।
समाचार के अनुसार शुक्रवार को सिलहट में हबीगंज कसबे के चौधरी बाजार क्षेत्र से एक 25 वर्षीय युवक को कुरआन की एक प्रति के साथ सार्वजनिक पूजा पंडाल में प्रवेश करते समय पकड़ा।
उसे पंडाल के आसपास चक्कर लगाते देखकर स्थानीय लोगों को संदेह हुआ और उन्होंने उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। उसके पास से एक कुरआन की प्रति मिली। बांग्लादेशी हिन्दुओं के लिए कार्य करने वाली जयंता कर्माकर ने अपने ट्विटर हैंडल से इस घटना को साझा किया है।
पकडे गए व्यक्ति का नाम मीजान बताया जा रहा है और वह नोआखाली के बेगमगंज का निवासी है। हबीगंज सदर मॉडल पुलिस स्टेशन के प्रभारी दौस मुहम्मद ने कहा कि “पुलिस अभी उससे पूछताछ करके इसके कारणों का पता लगाने का प्रयास कर रही है,”
इस घटना के बाद स्थानीय हिन्दुओं में तनाव पैदा हो गया क्योंकि नोआखाली में दुर्गापूजा के दौरान हिन्दुओं पर हमले हुए थे, पंडाल तोड़े गए थे और दुकानें जलाई गयी थीं।
दुर्गापूजा के दौरान इकबाल ने की थी यही हरकत और हिन्दुओं पर हमले आरम्भ हो गए थे:
दुर्गापूजा के दौरान इकबाल हुसैन ने कुमिला के पूजा पंडाल में जाकर कुरआन की एक प्रति रख दी थी, जिसके कारण हिन्दू एक सप्ताह तक हिंसा का शिकार होते रहे थे। कुरआन के अपमान की अफवाह जंगल में आग की तरह फ़ैली थी और देखते ही देखते हिन्दू अपने उस पर्व में हिंसा का शिकार होने लगे थे, जिसकी प्रतीक्षा वह पूरे वर्ष किया करते हैं।
पूजा पंडाल से शुरू हुए यह हमने धीरे धीरे हिन्दुओं के घरों तक गए, लड़कियों का बलात्कार किया गया और हिन्दुओं को मारा गया। इस्कॉन मंदिर पर हमले हुए थे और नोआखाली में युवा साधुओं पर हमले हुए थे।
तालाब से इस्कॉन-भक्त हिन्दू का शव प्राप्त हुआ था।
इस पूरी हिंसा की पूरे विश्व में प्रतिक्रया हुई थी और इस्कॉन ने हर देश में प्रदर्शन किया था एवं बांग्लादेशी हिन्दुओं पर अत्याचार को रोकने के लिए आह्वान किया था। बांग्लादेशी हिन्दुओं पर होने वाली हिंसा को लेकर पूरे विश्व के मीडिया ने बांग्लादेश की निंदा की थी।
हालांकि हर मामले पर हिन्दुओं को घेरने वाले बीबीसी ने इस समय भी कट्टर मुस्लिमों को मात्र मोब अर्थात भीड़ बताया था।
वह भीड़ किसी की भी हो सकती है। बीबीसी ने लिखा था कि “बांग्लादेश के हिन्दू भीड़ के हमलों के बाद डर में रह रहे हैं!”

बीबीसी ने यह नहीं बताया कि आखिर हिन्दू किस्से डरकर रह रहे हैं? और इस भीड़ का प्रारूप क्या है? भीड़ में कौन कौन शामिल है? यह भीड़ कैसी है? जबकि हिन्दुओं के मामले में बीबीसी का दृष्टिकोण कैसा है, वह इससे पता चल जाता है कि हर हिन्दू पर्व पर मुस्लिमों की जय जयकार करती है, हिन्दुओं को नीचा दिखाती है और हिन्दुओं के कातिल टीपू सुल्तान जैसों को महान बताती है।
दंगों में हिन्दुओं को ही दोषी ठहराने की आदत है बीबीसी की। यही कारण है कि बीबीसी की एकतरफा रिपोर्टिंग के कारण प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेम्पती ने बीबीसी का निमंत्रण ठुकरा दिया था। बीबीसी ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम ‘बीबीसी इंडियन स्पोर्ट्स वूमेन ऑफ द ईयर अवॉर्ड नाइट’ में शामिल होने का न्योता भेजा था।
जब इकबाल को हिरासत में लिया गया था, तब उसे मानसिक रूप से असंतुलित भी प्रयास किया गया था। परन्तु इस बार हिंसा का दौर इतना भयानक था कि हर प्रोपोगैंडा उसके समक्ष विफल हुआ। ऐसा नहीं है कि यह पैटर्न आज का है। यह तरीका बहुत पुराना है, बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन ने लिखा था कि उन्होंने अपने उपन्यास लज्जा में यह बताया था कि कैसे हिन्दुओं को बांग्लादेश में मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा मारा जाता है और सरकारें अल्पसंख्यक समुदाय की रखा करने में विफल रहती हैं:
फिर से संभवतया वही सब दोहराने के लिए जैसे कोई कुचक्र रचा गया था।
These misguided souls are not born criminals. It is a section of religious teachers who are to blame. Hundreds of thousands of Madrasas that are mushrooming and operating in India, Bangladesh & Pakistan teach religious fanaticism and inculcate hatred to people of other religions. They never preach any degree of tolerance and the spirit of peace and ethics of co-existence with people who are non-Muslims by birth. They are breeding a dangerous of mass of violence that will one day explode causing irreparable damage to human society.