भारत के लिए और हिन्दुओं के लिए यह वर्ष नैरेटिव की दिशा में एक और घातक वर्ष प्रमाणित हुआ, जब खुले आम सर तन से जुदा के नारे तो लगे ही लगे, मगर साथ ही यह भी देखा गया कि कहीं न कहीं मीडिया ने इन सभी नारों पर ऐसी बहस की कि यह सब आम लगने लगे। ऐसा लगने लगा जैसे इन नारों में कुछ भी गलत नहीं है। यह ऐसा वर्ष रहा, जिसने हिन्दुओं की हत्याएं सीरिया और आईएसआईएस तरीके से देखी।
इस वर्ष हिन्दुओं के विरुद्ध नैरेटिव रचने की अति हो गयी एवं वैश्विक स्तर पर कहीं न कहीं यह भी संदेश गया कि हिन्दुओं के आराध्यों के विरुद्ध तो कुछ भी बोला जा सकता है, परन्तु हिन्दुओं के आराध्यों के अपमान का विरोध करने को ऐसा विमर्श बनाया जाएगा जैसे कि दूसरे मजहब का अपमान हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी की निलंबित नेता नुपुर शर्मा के मामले में यही हुआ। काशी में महादेव के अपमान का मामला दब गया और यह पूरी तरह से दबा दिया गया कि कैसे जब हिन्दू पक्ष ने यह कहा कि कुँए में महादेव हैं, तो उसे फुव्वारा कहकर और न जाने कैसे कैसे चित्र लगाकर अपमानित किया गया। कथित पत्रकारों ने भी महादेव के अपमान में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. हालांकि उन्होंने ट्वीट डिलीट भी किया, मगर सच्चाई दिखती रही
नुपुर शर्मा को उकसाया गया और जब उसने उकसाने में गलत तरीके से कुछ कह दिया तो उसे लेकर एक ऐसा विमर्श बनाया गया जैसे कि भारत में बहुसंख्यक हिन्दू समाज दूसरे समुदाय का अपमान करता है। नुपुर शर्मा के वीडियो को जानबूझकर एडिट करके इस्लामिक देशों में रहने वाले भारतीयों के विरुद्ध विषभरा गया। यह एक ऐसा षड्यंत्र और घटना थी, जिसने हिन्दुओं को स्तब्ध कर दिया था। मगर नुपुर शर्मा के इस मामले के बाद जिस प्रकार से नुपुर शर्मा को लेकर सिर तन से जुदा के नारे लगाए गए, वह हिन्दुओं के लिए एकदम नया था।
नुपुर शर्मा को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने जो कदम उठाया वह तो राजनीतिक या कूटनीतिक कहकर जस्टिफाई कर दिया गया, परन्तु संभवतया यह पहली ही बार था कि मीडिया ने भी यह प्रश्न किसी से नहीं किया कि आखिर नुपुर शर्मा को उकसाया किसने? और क्यों आखिर नुपुर शर्मा को इतना गुस्सा आया। और किसी ने भी महादेव के अपमान पर कोई बात नहीं की। किसी भी एंकर ने उन किसी भी पोस्ट पर बात नहीं की, जो महादेव का अपमान कर रहे थे।
नुपुर शर्मा के कथित ब्लेसफेमी के आरोप पर यह नारा पूरे भारत में बहुत जोरशोर से गूंजा “गुस्ताख-ए-रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा।’
अर्थात जो भी रसूल की शान में गुस्ताखी करेगा, उसका सिर तन से जुदा किया जाए!” नुपुर शर्मा का पुतला भी फांसी लगाकर टांग दिया गया। नुपुर शर्मा को तो किसी प्रकार इन सिर तन से जुदा नारों से सुरक्षित कर लिया गया, परन्तु नूपुर का समर्थन करने वालों का सिर तन से जुदा किया जाने लगा।
उदयपुर के कन्हैया की हत्या को कौन भूल पाएगा? यह कैसे कौन भूल पाएगा कि इस हत्या का वीडियो बनाया गया था। कौन यह भूल पाएगा कि कन्हैया की हत्या के बाद हिन्दुओं को धमकी देने का वीडियो बनाया गया था! यह कौन भूल पाएगा कि सिर तन से जुदा के नारे को क्रियान्वित किया गया था।
महाराष्ट्र में उमेश की हत्या हालांकि उदयपुर में कन्हैया की हत्या से पहले ही कर दी गयी थी, मगर चूंकि उसकी सूचना मीडिया में देरी से आई, इसलिए इस पर चर्चा बाद में हुई। ५४ वर्ष के उमेश कोल्हे की हत्या 21 जून को कर दी गयी थी, जब वह अपने घर जा रहे थे।
महाराष्ट्र में तलवार और हॉकी स्टिक से एक युवक पर हमला किया गया और फिर उसे मरा समझकर बेहोश छोड़ दिया गया था। अहमदनगर के कर्जत क्षेत्र में प्रतीक पवार नामक युवक पर १०-१५ मुस्लिम युवकों ने हमला किया था और उसे इतना मारा था कि वह बेहोश हो गया था और फिर से मरा समझकर छोड़ गए थे।
कर्नाटक में दक्षिण कन्नड़ जिले में भाजपा नेता प्रवीण नेट्टारू की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी गयी थी। २६ जुलाई २०२२ को की गयी इस हत्या से हिन्दू समुदाय बहुत ही क्रोध से भर गया था। प्रवीण भाजपा युवा मोर्चा के जिला सचिव थे, जो मुर्गी पालन का कार्य करते थे। २६ जुलाई की रात जब वह घर जा रहे थे तो उन पर धारदार हथियार से हमला कर दिया गया।
मध्यप्रदेश में रीवा से भी ऐसी ही एक घटना सामने आई थी जिसमें मुकेश तिवारी नामक युवक को कट्टरपंथियों ने अपनी नफरत का शिकार बनाया था। मुकेश ने भी नुपुर शर्मा का समर्थन किया था और फिर उन्हें लाठी डंडों से मारा गया। और उन पर हमला और किसी ने नहीं बल्कि उनके दोस्त के भाई ने ही किया था।
सूरत के व्यापारी ने इन्स्टाग्राम पर नुपुर शर्मा के समर्थन में एक पोस्ट की थी, तो उन्हें कट्टरपंथियों ने जान से मारने की धमकी दे दी थी।
नुपुर शर्मा का समर्थन करने पर उदयपुर शहर में अलग अलग थाना इलाकों में नुपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट करने वालों को धमकी दी गई। प्रतापगढ़ थाना क्षेत्र में रहने वाले युवक को जान से मारने की धमकी दी गयी थी जिस पर पुलिस ने कार्यवाही करते हुए अब्दुल मुत्तलीबाली (22 साल) निवासी किशनपोल, गुफरान हुसैन (20 साल) निवासी मसूरी कॉलोनी, शाहिद नवाज खान (19) निवासी सीए सर्कल थाना सविना, शोएब जिलानी (23 साल) निवासी गांधीनगर मल्लातलाई थाना अम्बामाता, तोहिद उर्फ आहान (20 साल) को गिरफ्तार कर लिया था।
राजस्थान से कई लोग हिरासत में लिए गए थे।
नुपुर शर्मा के लिए सिर तन से जुदा के नारा लगाने वालों में गौहर चिश्ती भी सम्मिलित थे, जो खादिम थे।
गाज़ियाबाद में पशुपति अखाड़ा के महंत को सिर तन से जुदा की धमकी दी गयी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि नुपुर शर्मा का समर्थन करने पर उन्हें यह धमकियां दी गयी थीं।
भारतीय जनता पार्टी के नेता टी राजा तक को सिर तन से जुदा की धमकी दी गयी। उन्हें एक कथित अपमानजनक वीडियो के चलते गिरफ्तार भी किया गया था। हालांकि कुछ दिनों बाद उन्हें जमानत मिल गयी थी, मगर उन्हें जमानत मिलने से पहले उनके खिलाफ सिर तन से जुदा का नारा लगाने वाला कशफ़ जमानत पर रिहा हो गया था। नवम्बर में जब उन्हें जमानत पर रिहा किया गया था तो उन्होंने कहा था कि धर्म की विजय हुई
अहमदाबाद से एक वकील कृपाल रावल को भी नुपुर शर्मा का समर्थन करने पर सिर तन से जुदा की धमकी मिली थी।
यह वह घटनाएं थीं, जो सोशल मीडिया पर या मीडिया पर आईं। मगर ऐसे न जाने कितनी घटनाएं हुई होंगी, जो पुलिस में नहीं गयी होंगी। नुपुर शर्मा अभी कहाँ हैं, किस हाल में हैं, नहीं पता! उनका समर्थन करने पर न जाने कितने लोगों की जानें गईं हैं, इस पर आंकडें बहुत कुछ बेचैन करते ही हैं।
यह वर्ष ऐसे अनेक हिन्दुओं की हत्याओं एवं पीडाओं का वर्ष रहा जिन्होनें धर्म का साथ देना चुना। जिन्होनें संविधान को चुना। संविधान ही यह स्वतंत्रता देता है कि वह किसी का समर्थन कर सकें। नुपुर शर्मा के बहाने जिस प्रकार हिन्दुओं को चुन चुन कर निशाना बनाया गया, वह अपने आप में हैरान करने वाला था, वह हिन्दुओं को स्तब्ध करने वाला था। डराने वाला था, और दुर्भाग्य की बात यह है कि जिस देश के चलते अर्थात क़तर के चलते नुपुर शर्मा को फ्रिंज एलीमेंट बोला था, उसी क़तर ने भारत के भगोड़े जाकिर नाइक, जो हिन्दुओं पर दिन रात जहर बरसाता रहता है उसे सम्मानित किया था।
यह वर्ष हिन्दुओं के लिए ऐसा रहा जैसे उन्हें हर ओर से छला गया हो! सबसे बढ़कर उनके विरुद्ध सिर तन से जुदा के नारे इतने कहे गए कि वह किसी इन्कलाब का नारा लगने लगा! यह वर्ष हिन्दुओं के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के छल को भी स्पष्ट करने के लिए महत्वपूर्ण रहा कि जहां पर उनके महादेव का सरेआम अपमान हो सकता है, और जब प्रतिकार किया जाए तो नुपुर शर्मा और उनका वर्चुअल समर्थन करने वालों को सिर तन से जुदा की धमकी ही नहीं दी जा सकती है बल्कि सिर काटा भी जा सकता है!
यह वर्ष जीनोसाइड की धमकी को सामान्य अपराध के विमर्श का वर्ष था, जिसमें उन्हें उनके जीनोसाइड के नारों के प्रति सामान्यीकरण करने का कुप्रयास किया गया!