अभी मोरक्को की फुटबाल विश्वकप में विजय के उपरान्त उम्मा की जीत का जश्न मनाया जा रहा है, और खेलों में मजहबी विमर्श को जबरन लाया जा रहा है। प्रश्न यह उठता है कि क्या अब मजहबी कट्टरता के दायरे में ही सब कुछ लाया जाएगा, क्या यह एक नया युद्ध है? अन्य देशों की घटनाओं को देखा जाए तो कम से कम यही परिलक्षित होता है कि मजहबी कट्टरता के दायरे में काफी कुछ आ रहा है।
बात करते हैं फिजी की। फिजी में भी काफी कुछ ऐसा है, जिसके विमर्श को समझना आवश्यक है! वर्ष 2018 के आम चुनावों से पहले, मौलाना (इस्लामी उपदेशक) अहमद नक्शबंदी ने बा में मरुरु मस्जिद में इस्लामिक पैगंबर के जन्म उत्सव कार्यक्रम के दौरान वास्तविक प्रधान मंत्री और अटॉर्नी-जनरल अयाज सैयद-खैयूम को “फिजी के राजा” के रूप में घोषित किया। [1]
कल्पना कीजिए कि अगर कोई मौलाना सार्वजनिक रूप से और स्पष्ट रूप से खय्यूम को ‘फिजी का राजा’ घोषित कर सकता है और उसे और अन्य मुस्लिम राजनेताओं को सत्ता की स्थिति में ‘रखने’ के लिए अल्लाह का शुक्रिया अदा कर सकता है, और जब यह सब कहा जा रहा है तो खय्यूम छलपूर्वक मुस्कुराता है, तो यह वास्तविक प्रश्न उठाता है कि खैयूम और इस्लामवादी भाईचारा देश के लिए क्या कर सकता है।
यह भी पता चला है कि मुहम्मद इरफ़ान अटारी नामक एक कथित पाकिस्तानी नागरिक कुछ वर्षों से गुप्त रूप से एक मदरसे (इस्लामिक स्कूल) का संचालन कर रहा है। मौलवी अटारी की सहायता से, कुछ अन्य मदरसों को कथित तौर पर गोपनीय रूप से स्थापित कर दिया गया है।
मौलवी अटारी द्वारा संचालित मदरसा को लेकर विवाद यह है कि इसमें गैर मुस्लिमों का मतांतरण कराया जाता है। दुनिया भर में मदरसों को धर्मांतरण और कट्टरता के लिए ही उर्वरक स्थान माना जाता है। इसके लिए सबसे दुर्भाग्य की बात यही है कि मौलवी अटारी के मदरसे में धर्मांतरित लोग आईतौकी और हिंदू भारतीय समुदायों से हैं। ऐसा भी कई लोगों का मानना है कि इस इस्लामीकरण परियोजना को सत्तारूढ़ फिजीफर्स्ट सरकार के शीर्ष स्तर से समर्थन प्राप्त है, विशेष रूप से वास्तविक प्रधान मंत्री और ए-जी सैयद-खय्यूम इस मतांतरण का समर्थन कर रहे हैं।
कुछ प्रश्न जिन पर विचार करने की आवश्यकता है, वे हैं: क्या मोहम्मद इफरान अटारी फिजी में काम या अस्थायी वीजा के आधार पर रह रहा है या वह एक स्वाभाविक फिजियन नागरिक है? पाकिस्तानी मूल का यह शख्स कब से देश में रह रहा है? क्या फिजीफर्स्ट सरकार उसके द्वारा की गई संदिग्ध गतिविधियों से अवगत है? क्या अटारी के मदरसे में ‘धर्म परिवर्तन’ करने वालों ने अपनी मर्जी से धर्मांतरण किया है, या उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया था, या उन्हें पैसे और अन्य लाभों के लालच में परिवर्तित किया गया था? मौलाना अटारी के विवादास्पद धर्मांतरण परियोजना में सहयोगी कौन हैं?
और न केवल इस तरह का गुप्त धर्मांतरण, बल्कि फिजी के लोटोका में एक जिन्ना मेमोरियल बिल्डिंग भी बन रही है, जिसमें एक मुस्लिम प्राथमिक स्कूल भी है। यह मोहम्मद अली जिन्ना वही थे जो भारत के लाखों लोगों के खून के उत्तरदायी थे और जिनके कारण न जाने कितने लोगों के साथ हिंसा का नंगा नाच हुआ था। ये जिन्ना ही थे जिसके कारण ही लाखों लोग विस्थापित हुए और अपने पुश्तैनी घरों को हमेशा के लिए खो बैठे। उनकी वजह से ही 1946-47 के दंगों में लाखों हिंदू, सिख और यहां तक कि मुसलमान भी मारे गए थे। हिंदू इसके बाद भी पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान दोनों में दशकों तक पीड़ित रहे, और आज भी जातीय-धार्मिक हत्याओं एवं उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं।
फिजी में जिन्ना को मुख्यधारा में क्यों लाया जा रहा है? इतने संदिग्ध और खूनी अतीत वाले आदमी को कम उम्र से ही बच्चों के लिए रोल मॉडल के रूप में क्यों पेश किया जा रहा है। क्या ऐसे कदमों को खैयूम का संरक्षण प्राप्त है?
यह राष्ट्रीय अपमान और शर्म की बात भी है कि फिजी के महानतम शिक्षाविद और इतिहासकार दिवंगत प्रोफेसर बृजलाल की अस्थियां अपनी मातृभूमि फिजी में नहीं आ सकती हैं और न ही तबिया, लवासा में प्रवाहित की जा सकती हैं) [2,3]। और विडम्बना यह है कि एक पाकिस्तानी मूल का मौलाना कथित तौर पर एक मदरसा संचालित कर रहा है और एक ज़बरदस्त धर्मांतरण परियोजना चला रहा है। आलोचकों का आरोप है कि स्वर्गीय प्रोफ़ेसर लाल की अस्थियों को सैयद-खैयूम ने ही फिजी लौटने से रोका था।
स्थानीय लोगों का यह आरोप है कि हालांकि खय्यूम द्वारा समर्थित इस कथित इस्लामीकरण परियोजना ने हिंदू भारतीयों और आईतौकी को प्रभावित किया है, मगर यह रुकने वाली नहीं है। यह पाकिस्तान के साथ खय्यूम की निकटता पर भी संकेत देती है जो न केवल कुख्यात सैन्य-लोकतांत्रिक राज्य, आतंकवाद का प्रायोजक, और आज दुनिया में अल्पसंख्यक अधिकारों का सबसे अधिक मखौल उड़ाने वाला देश है।
2. https://www.fijitimes.com/party-pleads-to-bring-lals-ashes/
3. https://www.fijivillage.com/news/I-will-bring-my-late-husbands-ashes-home–Dr-Padma-Lal-85fx4r/
Muslims have always been on a mission mode, i.e. establishing the authority of Islam everywhere. They have already converted 57 countries as Muslim-majority. Unfortunately, even Hindu-majority India is not Hindu. It is secular, open to abuse by everybody. Our so-called Hindu bodies like BJP and RSS are pro-minorities and, hence, anti-Hindu. The future of India and of Hindus living there is dismal. May God help us!