महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस वैसे तो आए दिन चर्चा में रहती हैं, परन्तु आजकल वह अपने नए गाने एवं वीडियो के चलते चर्चा में हैं। उन्होंने हाल ही में एक गाना रिलीज किया है। यह गाना पंजाबी भाषा में है और इसके प्रचार प्रसार के लिए अमृता फडणवीस हर कदम उठा रही हैं। इसमें उनके द्वारा नित नए वीडियो जारी किया जाना भी सम्मिलित है।
परन्तु अभी जो उन्होंने सबसे नया वीडियो जारी किया है, वह कहीं से भी उस विमर्श के आसपास नहीं है जो विमर्श उनके पति अर्थात उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की छवि से मिलान करता हो। इसके स्थान पर इस वीडियो को लेकर उनके पति पर निशाना ही साधा जा रहा है।
वैसे तो यह हर व्यक्ति का नितांत व्यक्तिगत मामला होता है कि वह किस के साथ नाचे या वीडियो बनाए या फिर क्या पहने आदि! परन्तु जब व्यक्ति सार्वजनिक जीवन में होता है तो उसका जीवन व्यक्तिगत नहीं रह जाता है। वह सार्वजनिक विमर्श का हिस्सा नहीं बल्कि स्वयं विमर्श बन जाता है और ऐसे में उसके जीवन से जुड़े हर पहलू सार्वजनिक बहस का हिस्सा बन जाते हैं।
ऐसा ही अमृता फडणवीस के साथ हुआ है। वह गायिका हो सकती हैं, उनकी अपनी महत्वाकांक्षाएं हो सकती हैं, यहाँ तक कि उनके निजी विश्वास कुछ भी हो सकते हैं, मगर जब वह सोशल मीडिया “स्टार” “रियाज़ अली” के साथ अपने गाने पर डांस करती हैं, तो कहीं न कहीं यह वैचारिक दरिद्रता की ही व्याख्या करता है कि उन्हें यह नहीं समझ आ रहा है कि उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की पार्टी के कैडर्स पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा और वह कैसी प्रतिक्रिया देंगे? उन्हें ट्रोलर कहकर अपमानित नहीं किया जा सकता है!
उनके लिए यह किसी सांस्कृतिक आघात से कम नहीं है! क्योंकि वह एक ओर वह लोग लव जिहाद की लड़ाई की बात करते हैं, तो वहीं उनके नेता की पत्नी रियाज अली के साथ वीडियो बना रही हैं। जैसे जैसे यह वीडियो वायरल होता जा रहा है, वैसे वैसे लोग प्रश्न उठा रहे हैं, जो कि बहुत स्वाभाविक है क्योंकि उनका सांस्कृतिक विश्वास जैसे डगमगा गया है, क्योंकि उन्होनें यह अपेक्षा ही नहीं की थी। इसलिए वह प्रश्न पूछ रहे है:
रियाज़ अली की इन्स्टाग्राम प्रोफाइल पर यह वीडियो है, उसमें कई ऐसी टिप्पणियाँ हैं, जो हिंदुत्व को लेकर हैं। जैसे एक यूजर ने टिप्पणी की कि “यह हिंदुओं को पागल बनाने का अच्छा तरीका है खुद मुसलमान लड़कों के साथ ठुमके लगाएगी गरीब हिंदुओं को ज्ञान देगी हिंदुत्व की रक्षा कैसे करनी वाह मोहतरमा वाह”
वहीं एक यूजर ने लिखा कि एक ओर पति राजनीति में हिंदुत्व की बात करता है और दूसरी ओर पत्नी सरकारी बंगले में इस प्रकार नाचती है। क्या यही हिंदुत्व है?
वहीं कई यूजर twitter पर यह कह रहे हैं कि इस कृत्य से देवेन्द्र फडणवीस की छवि और विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह उठे हैं:
वहीं लोग प्रश्न उठा रहे हैं कि देवेन्द्र फडणवीस क्या स्वयं ही लव जिहाद को प्रोत्साहित कर रहे हैं:
यहाँ पर यह भी प्रश्न नहीं कि वीडियो किसके साथ बना? क्योंकि हो सकता है कि यह अमृता फडणवीस का निजी जीवन, उनका पेशेवर कार्य, उनका अपना निजी कैरियर हो! अपना व्यक्तिगत पक्ष हो! परन्तु यदि यह अमृता फडणवीस का पेशेवर कृत्य है, क्योंकि वह उनके एलबम का प्रचार है तो ऐसे में उपमुख्यमंत्री के आवास पर फिल्माया जाना क्या उचित है? क्या उपमुख्यमंत्री का आवास इन कार्यों के लिए प्रयोग में लाया जाएगा?
यदि यह अमृता फडणवीस का पेशेवर कार्य है तो इस वीडियो की शूटिंग भी उनके कार्यालय पर होती तो संभवतया इतनी आपत्ति लोगों को नहीं होती क्योंकि इस प्रकार के वीडियो का फिल्मांकन उपमुख्यमंत्री के निवास पर होना कहीं न कहीं उचित तो नहीं है। और यही आपत्ति कई लोगों ने व्यक्त की है।
इसके साथ एक जो सबसे महत्वपूर्ण आशंका है वह है कि इन्स्टाग्राम “स्टार” के चक्कर में फंसकर जो लड़कियां इन्स्टाग्राम पर आती हैं और इसी प्लेटफॉर्म पर कहीं न कहीं किसी न किसी लव-जिहादी का शिकार हो जाती हैं, जैसा अभी मध्यप्रदेश से भी एक मामला सामने आया था, ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं, उनके दिल में और भी अधिक सॉफ्ट कार्नर पैदा होगा क्योंकि उन्हें लगेगा कि ऐसे ‘महान लोगों’ को तो उनकी पार्टी के नेता भी बुलाते हैं।
जबकि रियाज़ अली की ऐसी क्या सार्वजनिक उपलब्धि है कि उसे उपमुख्यमंत्री की पत्नी अपने गाने का प्रचार करने के लिए उपमुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर आमंत्रित करें? लोग यह प्रश्न उठा रहे हैं कि क्या सरकारी बंगले में इस प्रकार के वीडियो बनाए जा सकते हैं?
एक राजनेता जनता के प्रति उत्तरदायी होता है। इस घटना से जनता के मन में गलत छवि बनी है, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। यदि अमृता फडणवीस अपनी स्वतंत्र पहचान के साथ आगे बढ़ रही हैं, तो उसमें उन्हें अपने राजनेता पति के कार्यालय के स्थान पर अपने स्वयं के कार्यालय में यह प्रचार का कार्य करना चाहिए था। तो इसका विरोध भी इतना नहीं होता!
यदि अब उनका विरोध होता है तो वह स्वाभाविक ही है क्योंकि एक उपमुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास से इस प्रकार का प्रचार अभियान कहीं से भी गरिमामयी नहीं है एवं यह पार्टी के तमाम कार्यकर्ताओं के लिए सांस्कृतिक आघात है।