फ़्रांस को दुनिया के सबसे विकसित, शक्तिशाली और सुंदर देशों में से एक माना जाता है। पेरिस यहाँ की राजधानी है, और यह नगर अपनी वास्तु-कला और सौंदर्य के लिए प्रचलित है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में पेरिस को नस्लीय और मजहबी ‘दंगो के शहर’ के रूप में जाना जाने लगा है। इसके लिए सोशल मीडिया सहित एवं मीडिया में कई लोग ऐसे हैं, जो मजहबी शरणार्थियों को दोषी ठहरा रहे हैं!
पिछले ही दिनों हमने देखा कि कैसे पेरिस में फुटबाल विश्वकप के समय मजहबी दंगे हुए थे। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए अब पूरा पेरिस नगर मजहबी दंगों की चपेट में आ गया है। फ्रांस में इन दिनों कुर्द शरणार्थी सड़कों पर उतरकर नस्लवाद और शरणार्थियों पर हो रहे कथित अत्याचारों के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो आए हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि इन दंगाइयों ने पेरिस की सुंदरता को तोड़फोड़ और आगजनी करके नष्ट भ्रष्ट कर दिया है।
23 दिसंबर को पेरिस के ‘रू-डी एंघियन’ इलाके के सांस्कृतिक केंद्र में एक बंदूकधारी ने तीन लोगों की हत्या कर दी और तीन अन्य को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। फ्रांसीसी टेलीविजन नेटवर्क बीएफएम टीवी के अनुसार इस बंदूकधारी ने अंधाधुंध गोलीबारी कर यह जघन्य हत्याकांड किया, जिसके पश्चात उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। पेरिस पुलिस ने ‘रू-डी एंघियन’ इलाके से लोगों को दूर रहने की अपील की है।
पुलिस के अनुसार, गोलीबारी में 3 कुर्द लोगों की मृत्यु हो गयी थी । गोलीबारी करने वाले वर्षीय हमलावर को हाल में शिविर में रहने वाले प्रवासियों पर हमला करने के मामले में जेल से रिहा किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि 69 वर्षीय हमलावर की हिरासत शनिवार को स्वास्थ्य कारणों से हटा ली गई और उसे पुलिस की मनोरोग इकाई में ले जाया गया। संदिग्ध की जांच करने वाले डॉक्टर ने कहा कि हमलावर की स्वास्थ्य की स्थिति हिरासत के लिए अनुकूल नहीं थी।
जैसे ही शनिवार को हमलावर को छोड़ा गया, फ़्रांस के कुर्द कार्यकर्ताओं, वामपंथी नेताओं और नस्लवाद-विरोधी समूहों ने पेरिस में विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। अभियोजकों का कहना है कि यह हमला नस्लवाद से प्रेरित था, और पेरिस में रह रहे कुर्द शरणार्थियों को चिन्हित कर उनकी हत्या की गयी थी। इस हत्यकांड के विरोध में कुर्द अधिकार समूह, कई राजनीतिक दल और संगठनों से जुड़े हजारों लोग झंडे लहराते हुए शनिवार को पूर्वी पेरिस के प्लेस डे ला रिपब्लिक में एकत्र हुए।
कहा जा रहा है कि गोलीबारी की इस घटना ने पेरिस में रहने वाले कुर्द समुदाय को झकझोर कर रख दिया है और नाराज कुर्दों और पुलिस के बीच कुछ झड़पें भी हुईं। पेरिस के पुलिस प्रमुख ने शनिवार को कुर्द समुदाय के सदस्यों के साथ संवाद कर उनके डर को दूर करने का प्रयास भी किया, लेकिन कुर्दों ने पूरे शहर में तोड़फोड़ और आगजनी की। यह नस्लीय दंगे ऐसे समय में हो रहे हैं, जब पेरिस क्रिसमस की तैयारियों में लगा हुआ था।
फ़्रांस के गृह मंत्री गेराल्ड डर्मैनिन ने कहा कि हमलावर पुलिस द्वारा निगरानी किए जाने वाले किसी भी चरमपंथी समूह से सम्बंधित नहीं है। उसकी मंशा अवैध रूप से देश में आये शरणार्थियों को बाहर निकालने की थी। उन्होंने कहा कि अभी ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि यह हमला विशेष रूप से कुर्द लोगों को लक्षित करके किया गया था।
पेरिस के सेंट्रल स्क्वायर में पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए सैकड़ों कुर्द प्रदर्शनकारी जिले के मेयर सहित फ्रांसीसी राजनेताओं के साथ सम्मिलित हुए थे। फ्रांस में कुर्दिश डेमोक्रेटिक काउंसिल के एक राजनीतिक समूह, बेरिवान फ़िराट ने औपचारिक वक्तव्य में कहा, “हमें इस देश में उचित सुरक्षा नहीं दी जा रही है। पिछले 10 वर्षों में छह कुर्द कार्यकर्ता पेरिस में ऐसे ही दिन दहाड़े मारे जा चुके हैं।” इस समूह ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए लोगों को चौक पर इकट्ठा होने का आह्वान किया था, लेकिन यह लोग नगर में हिंसा कर रहे थे।
मजहबी हिंसा ने बदला पेरिस का चेहरा
सोशल मीडिया पर लोग इस जिहादी विरोध प्रदर्शन के वीडियो पोस्ट कर कह रहे हैं कि इन लोगों ने हमारे ‘प्यार के शहर’ पेरिस को क्रिसमस पर द्वेष और हिंसा के नगर में बदल दिया है। एक यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, “प्यार का शहर पेरिस, क्रिसमस पर नफरत में बदल गया है, यह दृश्य हर जगह हैं। यह अशिक्षित, निराश, और ब्रेनवाश लोग।”
वहीं एक अन्य यूजर ने प्रदर्शन का वीडियो शेयर कर लिखा है, “आप एक युद्ध से भागे हुए शरणार्थी होने का दावा करते हैं, और उसी देश में युद्ध का माहौल बना रहे हैं जिसने आपको शरण दी है।”
स्थानीय लोगों में इन हिंसा की घटनाओं को लेकर बहुत ज्यादा असंतोष पैदा हो गया है। जैसा कि आपको पता है, पिछले 10-15 वर्षों में सीरिया और अरब देशों में हुई हिंसा के पश्चात लाखों शरणार्थी यूरोप के देशों में शरण ले चुके हैं। यूरोप के देशों की सरकारों ने कथित मानवीय मूल्यों का बहाना बना कर इन जिहादी तत्वों को शरण दी, लेकिन आज यही लोग यूरोप के देशों में कानून व्यवस्था के लिए बहुत बड़ा खतरा बन चुके हैं।
यह लोग हर छोटी बड़ी घटना पर सड़कों पर उतर जाते हैं, हिंसा करते हैं और सार्वजनिक सम्पत्तियों को हानि पहुंचाते हैं। इन घटनाओं से कहीं ना कहीं स्थानीय लोगों के मन में इन शरणार्थियों के प्रति सहानुभूति की भावना समाप्त हो रही है, और यही कारण है कि स्थानीय लोग अब शरणार्थियों पर हमले कर रहे हैं। पेरिस में कुर्दों पर हुआ हमला इसी का परिचायक है, और इन हमलों के प्रतिकार में कुर्दों द्वारा की गयी हिंसा के पश्चात यह समस्या और बढ़ने ही वाली है।