HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
23.1 C
Sringeri
Monday, May 29, 2023

‘रिलिजन की राजनीति’ का देश के विरुद्ध दुरूपयोग – चर्च क्यों देश की प्रगति को रोकने के लिए षड्यंत्र और आन्दोलनों का समर्थन करते हैं?

ऐसा कहा जाता है कि रिलिजन और राजनीति का मिश्रण बड़ा ही घातक होता है, जो किसी भी समाज या देश को नष्ट कर सकता है। अगर भारत की बात करें तो यहाँ धर्म, रिलिजन या मजहब हमेशा से ही राजनीति का एक बहुत बड़ा कारक रहा है। हमारे देश के लगभग हर राजनीतिक विमर्श के पीछे हिन्दू मुस्लिम द्वेष या छद्म सेकुलरिज्म का बोलबाला रहा है, वहीं एक और रिलीजन संगठन है जो इतने दशकों से चुपचाप अपना काम कर रहा है, और आज इस स्थिति में पहुंच चुका है कि वह भारत के भविष्य को प्रभावित करने में सक्षम है।

हम बात कर रहे हैं चर्च की, जो भारत में एक बहुत ही शक्तिशाली निकाय बन चुके हैं। चर्च की छवि हमेशा से नैतिकता और शुचिता का संरक्षण करने वाले संस्थान की बनायी गयी थी, लेकिन अब चर्च ने राजनीतिक प्रक्रियायों और देशविरोधी गतिविधियों में सम्मिलित हो कर यह दर्शा दिया है कि वह गरीबों और व्यापक समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी से दूर चला गया है।

क्या आप जानते हैं, विझिंजम बंदरगाह, कुडनकुलम परमाणु संयंत्र, स्टरलाइट कॉपर प्लांट, और बेंगलुरु मेट्रो निर्माण का आपस में क्या सम्बन्ध है?

अब आप सोच रहे होंगे कि यह कैसा प्रश्न है, लेकिन यह बड़ा ही महत्वपूर्ण प्रश्न है और इसका उत्तर आपको विचलित भी कर सकता है। यह सब हमारे देश के महत्वपूर्ण संस्थान हैं या परियोजनाएं हैं, और इन सभी का पुरजोर विरोध चर्च ने किया है। यह चर्च ही हैं जिन्होंने इन सभी परियोजनाओं के विरोध में आंदोलन चलाएं हैं, लोगो को भ्रमित किया है, और इन्हे रोकने के हरसंभव प्रयत्न किये हैं। हो सकता है आपको विश्वास न हो रहा होगा, हम इन सभी परियोजनाओं के बारे में जानकारी देते हैं, जो आपको यह सन्दर्भ समझने में सहायता करेगा।

विझिंजम बंदरगाह एक अंतर्राष्ट्रीय गहरे पानी का बहुउद्देशीय बंदरगाह है, यह केरल सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसका विरोध तिरुवनंतपुरम का लैटिन आर्चडायोसिस चर्च कर रहा है, जो आस पास के गाँवों के लोगों और मछुआरों को भड़का कर, उन्हें इस परियोजना का विरोध करने को विवश कर रहा हैं।

चर्च के तत्वाधाम में यहाँ के लोग परियोजना स्थल पर काले झंडे फहराते हैं और नारेबाजी करते हैं। केरल की सरकार पहले ही प्रदर्शनकारियों की सात मांगों में से पांच पर सहमत हो गई है और अन्य 2 मांगों पर चर्चा करने के लिए भी तैयार है। लेकिन चर्च अभी भी मछुआरों और गांवों के लोगों का उपयोग अपने एजेंडे के लिए कर रहा है, और इसे हिंसक रूप देने का प्रयत्न भी कर रहा है।

कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र: तमिलनाडु का यह परमाणु ऊर्जा संयंत्र अपने निर्माण के प्रारब्ध से ही विवादित रहा है। यह संयंत्र भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम था, और शायद यही एक बड़ा कारण था कि विदेशी एनजीओ और चर्च ने इसका पुरजोर विरोध किया। आप यह जान कर हैरान रह जाएंगे कि नागरकोइल में आयोजित रैली में भाग लेने वाले अधिकांश लोग विभिन्न कैथोलिक परगनों से आये थे। इदिनथाकराई में सेंट लूर्डेस चर्च परिसर को इस संयंत्र के विरोध स्थल में बदल दिया गया था।

कई गिरजाघरों ने लोगों से कुडनकुलम संयंत्र के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन में सम्मिलित होने का आग्रह किया था। कुडनकुलम भारत में सबसे अधिक क्षमता वाला परमाणु संयंत्र है, जिसमें वर्तमान में 2,000 मेगावाट की स्थापना की गई है। एक बार पूरा हो जाने के बाद संयंत्र की क्षमता 6,000 मेगावाट हो जाएगी। लेकिन इन विरोधों के कारण इस संयंत्र को बनने में कई वर्षों की देरी हुई और विरोध प्रदर्शनों में कई लोगो की जान गयी, अन्य कई घायल भी हुए थे।

स्टरलाइट कॉपर संयंत्र : यह भारत का सबसे बड़ा कॉपर का संयंत्र था, जो देश में कॉपर की औद्योगिक जरूरतों को पूरा करता था, वहीं भारत को ताम्बे के निर्यात में भी सहायता करता था। लेकिन एकाएक इस संयंत्र का विरोध होना शुरू हो गया था, इस संयंत्र के बारे में झूठ फैलाया गया कि इससे पर्यावरण पर कई तरह के कुप्रभाव पड़ रहे थे। इन विरोध प्रदर्शनों में विभिन्न गिरजाघरों ने सहयोग किया था, चर्चों द्वारा रविवार को विरोध दिवस के रूप में मनाया जाता था।

तूतीकोरिन के तट पर एक बस्ती में रहने वाले कैथोलिक फर्नांडीज समुदाय के सदस्यों ने ‘अवर लेडी ऑफ स्नोज’ चर्च से कलेक्टर कार्यालय तक मार्च किया था, जिसमे पादरी लाजर ने प्रमुख भूमिका निभाई। उसके पश्चात चर्च और विदेशी एनजीओ ने सरकारों और न्यायपालिका पर दबाव बनाया, जिसके कारण इस संयंत्र को बंद कर दिया गया। जो भारत ताम्बे का निर्यातक हुआ करता था, वह अब ताम्बे की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर हो गया है, जिससे हर वर्ष कई सौ करोड़ की विदेशी मुद्रा का नुक्सान हमे उठाना पड़ता है।

बेंगलुरू मेट्रो – यह बड़ा ही दिलचस्प मामला है। बेंगलुरू शहर इस समय अप्रत्याशित रूप से विकसित हो रहा है, लगातार बढ़ती जनसंख्या के दबाव के कारण वहां एक मेट्रो ट्रैन चलाना अत्यंत आवश्यक हो गया है।ऐसी एक परियोजना शुरू भी हो गयी है, लेकिन साथ ही उसका विरोध भी हो रहा है। ऐसा बताया जाता है कुछ भूमि वहां के चर्च ऑफ साउथ इंडिया (सीएसआई) को पट्टे पर दी गई थी। बेंगलुरु मेट्रो को बनाने के लिए इस संस्था को 60 करोड़ रुपये देकर यह जमीन खरीदी गयी थी।

लेकिन ‘ऑल सेंट्स चर्च’ ने मेट्रो निर्माण का विरोध करते हुए पेड़ों को बचाने की मांग की। यहाँ यह जानना महत्वपूर्ण है कि सीएसआई ऑल सेंट्स चर्च का मूल निकाय है। इसका अर्थ है कि एक संस्था जमीन बेच कर पैसा ले चुकी है, जबकि उसी सस्था का चर्च इस परियोजना का विरोध कर रहा है, स्थानीय लोगो को इसके विरुद्ध भड़का रहा है।

2011 की जनगणना के अनुसार ईसाई भारत की आबादी का मात्र 2.3% हैं। वहीं अगर चर्च की बात की जाए तो यह लगभग 20,000 शैक्षणिक संस्थानों के स्वामी हैं या उनका नियंत्रण करते हैं। यह केंद्र सरकार के बाद दूसरा सबसे बड़ा संस्थान है जिसके पास इतनी बड़ी मात्रा में संपत्ति है। चर्च के पास हजारों व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र, और लगभग 5,000 स्वास्थ्य देखभाल केंद्र का स्वामित्व है।

चर्च के संस्थानों का अब राजनीति और गैर सरकारी निकायों में बड़े स्तर पर दखल होना शुरू हो गया है। भारत के चर्चों को वेटिकन से भी सहायता मिलती है, जो उन्हें असीमित रूप से शक्तिशाली बना देता है। लेकिन चर्च ने इस शक्ति का दुरूपयोग भारत विरोध में ही करना शुरू कर दिया है। भारत की बड़ी परियोजनाओं और ऊर्जा संयंत्रों के विरुद्ध हिंसक प्रदर्शनों का समर्थन कर और विदेशी संस्थाओं से सहायता ले कर चर्च सीधे सीधे भारत की प्रभुसत्ता को ही चुनौती दे रहे हैं।

समाज और सरकार को चर्च के इन द्वेषपूर्ण मंतव्यों को समझना पड़ेगा और इनका पुरजोर विरोध भी करना पड़ेगा। हम किसी भी धार्मिक और गैर सरकारी निकाय को देश की प्रभुसत्ता से खेलने की अनुमति नहीं दे सकते । इससे पहले कि यह समस्या और बढे, सर्कार को चर्च पर नियंत्रण करना ही पड़ेगा, अन्यथा इसके भयानक दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे।

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.