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Wednesday, April 17, 2024

क्या सेना के एक जवान पर हमला करने वाला केरल पुलिस का एसआई अनीश मोहम्मद पीएफआई के लिए काम करता था?

अगस्त महीने में भारतीय सेना में सेवारत जवान विष्णु (30) और उनके भाई विग्नेश (25) पर हमला करने के आरोप में केरल के पांच पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि दोषी अधिकारियों के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के साथ गहरे संबंध हैं। ऐसा आरोप है कि पीएफआई से जुड़े पाचा वेलिचम (ग्रीन लाइट) समूह के पुलिस उच्चाधिकारियों ने इस अपराध को छिपाने की पूरी कोशिश की लेकिन असफल रहे।

तथाकथित मुख्यधारा के मीडिया समूहों ने इस महत्वपूर्ण तथ्य को छुपाया कि इस घटना का मुख्य अपराधी अनीश मोहम्मद केरल पुलिस में एक सब-इंस्पेक्टर था। एक अन्य मीडिया समूह ने एक कदम आगे बढ़कर आरोपियों के नामों का उल्लेख किलिकोलूर स्टेशन हाउस ऑफिसर विनोद, सब इंस्पेक्टर अनीश एपी, सहायक उप निरीक्षक प्रकाश चंद्रन और एक अन्य सिविल पुलिस अधिकारी (सीपीओ), मणिकांत पिल्लई के रूप में किया। उन्होंने मात्र चार अधिकारियों के उपनाम दिखाए और जानबूझकर अनीश मोहम्मद का पूरा नाम छुपाया। ओमानकुट्टन नाम का एक अन्य आरोपी पुलिसकर्मी भी अधिकाँश मीडिया रिपोर्ट्स से गायब कर दिया गया है।

पुलिस अधिकारी अनीश मोहम्मद, जिसने किलिकोल्लूर में एक सेवारत सैनिक को बुरी तरह से पीटा था, वह कथित तौर पर एक पीएफआई का गुप्त सदस्य है। बड़ी ही दुःख और क्षोभ की बात है कि भारतीय वायु सेना के बहादुर लड़ाकू पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान पाकिस्तान के चंगुल से बच कर आ गए थे, लेकिन हमारे विष्णु अपने ही देश में, केरल पुलिस के अधिकारियों के चंगुल से नहीं बच सके।

Sub-Inspector Anish Mohammad in action (Images courtesy southlive.com)

सूत्रों के अनुसार अनीश मोहम्मद वही है जिसका एक पूर्व-मुस्लिम तर्कवादी, सार्वजनिक वक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता जमीथा टीचर महिला ने पर्दाफाश किया गया था। आपको भी यह नाम ‘अनीश’ देख कर भ्रम हो सकता है कि यह एक हिन्दू हो सकता है, लेकिन वास्तव में वह एक कट्टरपंथी मुस्लिम है, जो आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त है।उस पर आरोप है कि वह प्रतिबंधित पीएफआई के लिए युवा मुस्लिमों को भर्ती करता था। ऐसे व्यक्ति के बारे में मीडिया समूहों ने क्या जान बूझकर जानकारी को छुपाया था? यह बड़ा ही महत्वपूर्ण प्रश्न है।

जमीथा के अनुसार, मोहम्मद उन 873 ज्ञात केरल पुलिस अधिकारियों में से एक है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे आतंकवादियों के खतरनाक पाचा वेलीचम (ग्रीन लाइट) समूह से जुड़े थे, जिन्होंने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अनुसार पुलिस सेवा में घुसपैठ की थी। यह भी आरोप है कि किलीकोल्लूर थाने के कई अधिकारी अनीश मोहम्मद के साथ मिले हुए थे और समय समय पर क्षेत्र में हिंसा करवाते थे। सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील कोल्लम जिले के किलिकोलूर में इस प्रकार की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं, क्योंकि यह क्षेत्र कट्टरपंथी इस्लामवादियों से प्रभावित है।

केरल पुलिस ने शुरू में अपराधी पुलिस अधिकारियों को अलग-अलग पुलिस थानों में स्थानांतरित करके इस घटना को शांत करने की का प्रयत्न किया। परन्तु सेना के हस्तक्षेप करने और घटना के बारे में मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (DGP) से रिपोर्ट मांगने के बाद केरल प्रशासन की नींद भंग हुई। अब जब इस घटना ने राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित कर लिया है, केरल दक्षिण क्षेत्र के डीआईजी आर निशांतिनी, कोल्लम शहर के पुलिस आयुक्त मेरिन जोसेफ, और केरल राज्य मानवाधिकार आयोग से लेकर सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी तक हर कोई अपनी छवि बचाने के लिए इस मामले में आनन् फानन में कार्यवाही करने पर विवश हो गया है।

जानिए यह विवादित घटना कैसे हुई

मूल घटना 25 अगस्त को हुई थी, जब राजस्थान में तैनात सेना के जवान विष्णु (30) शादी करने के लिए छुट्टी पर वापस आए थे। विग्नेश और विष्णु को हिरासत में यातना दी गई, केरल पुलिस ने पीटा, और एक मनगढ़ंत ड्रग मामले में झूठा फंसाया गया। सिपाही को इतनी बुरी तरह पीटा गया कि उसे अस्पताल में इलाज कराने के लिए भर्ती कराना पड़ा था।

Images courtesy yoganadam.com

पीड़ित विग्नेश ने संवाददाताओं को बताया कि सीपीओ पिल्लई ने उन्हें किलिकोल्लूर पुलिस स्टेशन बुलाया था। पिल्लई ने विग्नेश से अनंतू और तीन अन्य नाम के एक व्यक्ति के लिए जमानत देने का आदेश दिया था। जब विग्नेश स्टेशन पर पहुंचा, तो उसने महसूस किया कि अनंतू और बाकी लोग नशीले पदार्थों के मामले में आरोपी थे और इसी कारण उसने उनकी जमानत देने से मना कर दिया था।

यहाँ यह भी बता दें कि विग्नेश सीपीएम की युवा शाखा, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) के साथ काम करता है। पुलिस के अनुसार एमडीएमए नशीले पदार्थों की तस्करी के एक मामले में आरोपी से मिलने आए दो युवकों ने थाने में घुसकर ‘अधिकारियों के साथ मारपीट’ की। मोहम्मद अनीश ने इस गलत खबर को फैलाया, प्रेस को आमंत्रित किया, और दोनों भाइयों की तस्वीरें जारी करते हुए दावा किया कि उन्होंने कानून का उल्लंघन किया है।

पुलिस और मीडिया के कुछ समूहों ने मिल कर इस झूठी खबर को फैला दिया। हालांकि बाद में सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक हो गए, और उसमे यह पता लगा कि दोनों भाइयों ने हिंसा नहीं कि थी। सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है कि यह एसआई अनीश मोहम्मद ही था, जिसने पहले सिपाही को थप्पड़ मारा। दोनों भाइयों के कपड़े उतारकर पुलिस लॉकअप में घसीटा गया, और उनकी बुरी तरह से पिटाई की गयी।

पुलिस अधिकारियों ने अपने आप को बचाने के लिए कहा था कि उन्होंने दोनों भाइयों पर शारीरिक हमला नहीं किया। बाद में, स्वाति नाम की एक महिला सब-इंस्पेक्टर द्वारा मजिस्ट्रेट को दिए गए बयान के अनुसार, सीआई और एसआई ने वास्तव में सेना के सिपाही और उसके भाई को बेंत से पीटा था। इस खुलासे से यह साफ़ हो गया कि किलिमनूर के पुलिस अधिकारियों ने झूठ बोला था। जैसे ही वीडियो में पीएफआई से जुड़ा अधिकारी अनीश मोहम्मद दिखाई देने लगा, प्रमुख समाचार चैनलों ने इसका प्रसारण रोक दिया। पुलिस की विभागीय जांच पूरी होने के बाद और अधिकारियों और अन्य लिप्त लोगो ने विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाएगी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों भाइयों को ना मात्र प्रताड़ित किया गया, बल्कि उन्हें 12 दिनों तक अवैध न्यायिक हिरासत में भी रखा गया। विष्णु अपनी शादी के लिए छुट्टी पर थे, जब पुलिस ने उन पर नशीले पदार्थों के मामले में गलत आरोप लगाया, जिस कारण उनकी शादी रद्द हो गयी। वहीं विग्नेश ने केरल पुलिस में भर्ती होने के लिए शारीरिक परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन अब उस पर इतने गंभीर आरोप लगा दिए गए हैं, कि शायद वह इस तरह की परीक्षाओं के लिए अक्षम ही हो जाए। विग्नेश को इतना बुरी तरह से प्रताड़ित किया गया है, कि अब वह शारीरिक श्रम करके भी अपना जीवन यापन नहीं कर पाएगा।

केंद्रीय खुफिया एजेंसियां अनीश मोहम्मद द्वारा हिन्दू उत्सवों के दौरान अराजकता पैदा करने के षड्यंत्रों की भी जांच कर रही हैं। उन्हें पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं कि पीएफआई के कई नेता भी इस पुलिस अधिकारी के करीबी मित्र थे। कुछ पुलिस उच्चाधिकारियों ने भी मोहम्मद की सहायता कि थी, और इस मामले में उसे छुड़ाने का पूरा प्रयत्न भी किया।

वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सिपाही विष्णु के परिवार की शिकायत के आधार पर विस्तृत जांच के आदेश दे दिए हैं। कर्नाटक के भाजपा सांसद और कौशल विकास उद्यमिता और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर, जो खुद केरल के निवासी हैं, ने विष्णु के परिवार को आवश्यक मदद देने का आश्वासन दिया है।

इस विषय पर प्रसिद्द मलयाली अभिनेता मोहनलाल की चुप्पी के विरुद्ध लोगो का गुस्सा फूट पड़ा है। उन्हें औपचारिक रूप से 2009 में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद रैंक के साथ प्रादेशिक सेना में सम्मिलित किया गया था। जब यह घटना सार्वजनिक हुई, तब आदर्श रूप से, उन्हें विष्णु और उनके परिवार की मदद करने वाला पहला व्यक्ति होना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

सेना के जवान के विरुद्ध केरल पुलिस की अमानवीय कार्रवाई के विरुद्ध पूरे राज्य में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पूर्व सैनिकों के नेतृत्व में किलिकोल्लूर पुलिस स्टेशन में एक मार्च और धरना आयोजित किया गया। यह समझने के लिए किसी विशेषज्ञ की जरूरत नहीं है कि केरल में एक गृहयुद्ध चल रहा है, जिसमे एक तरफ सामान्य नागरिक हैं, वहीं दूसरी ओर पीएफआई के आतंकवादी हैं और प्रशासन में उनका समर्थन करने वाले असामाजिक तत्व भी हैं। जब तक केरल में मौजूदा पुलिस बल की गहन जांच और पीएफआई से जुड़े अधिकारियों की गिरफ्तारी/बर्खास्तगी नहीं होती, तब तक राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति और खराब ही होगी।

अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद- मनीष शर्मा, अंग्रेजी में मूल लेख

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