वैसे तो शेखर गुप्ता की गिद्ध पत्रकारिता के विषय में सभी को ज्ञात है एवं द प्रिंट अब सरकार के विरोध में चलने वाला साधारण पोर्टल बनकर रह गया है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता अब नहीं है। परन्तु फिर भी वह जब भडकाने वाला एवं तथ्यों से परे तथा किसी की मृत्यु को मात्र मोदी सरकार को कोसने का हथियार बना ले और लाशों पर अपना एजेंडा चलाए और वाकई किसी गिद्ध की तरह मोदी समर्थकों की लाशों को नोचने लगें तो ध्यान देने की आवश्यकता होती है। और यह केवल द प्रिंट की कहानी नहीं बल्कि पूरे विदेशी मीडिया की कहानी है जिनका उद्देश्य केवल भारत को नीचा दिखाना होता है, जैसा अभी Reuters ने अपने एक लेख के माध्यम से किया है। परन्तु पहले बात शेखर गुप्ता की गिद्ध पत्रकारिता की।
आगरा में राष्ट्रीय स्वयं सेवक के एक स्वयंसेवक का कोविड के चलते देहांत हो गया। अमित जयसवाल, जिन्हें स्वयं प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी भी ट्विटर पर फॉलो करते थे, उनका देहांत कोविड के कारण हो था। हालांकि उनका देहांत 29 अप्रेल को हो गया था और दस ही दिनों के भीतर अमित की माताजी का भी देहांत इसी वायरस के कारण हो गया था। चूंकि इसमें प्रधानमंत्री जी का नाम जुड़ा हुआ था तो गिद्ध पत्रकारों के भीतर का गिद्ध जाग उठा और वह एक परिवार में हुई दुखद घटना का लाभ उठाने के लिए चल पड़े।
प्रिंट के लिए यह स्टोरी फातिमा खान ने की है, और उसका शीर्षक भी दिया है कि “आरएसएस का स्वयंसेवक, जिसे मोदी स्वयं फॉलो करते थे, कोविड से मर गया। परिवार वालों के अनुसार प्रधानमंत्री ने अनुरोध ट्वीट के बावजूद मदद नहीं की।” (लेख अंग्रेजी में है, इसके शीर्षक का हिंदी अनुवाद किया है) अब यह शीर्षक है और कहा है कि परिवार को अमित के इलाज में समस्या आ रही थी परन्तु मोदी और योगी दोनों में से किसी ने मदद नहीं की।
इस लेख में लिखा है कि परिवार को आगरा में अमित के लिए बेड नहीं मिला था और उन्हें आशा थी कि प्रधानमंत्री इस मामले में अवश्य ही हस्तक्षेप करेंगे और जब उन्होंने रेमेदेसिवर इंजेक्शन के लिए मुख्यमंत्री योगी को टैग किया है तो वह अवश्य ही मदद करेंगे, पर उनकी सहायता नहीं हुई और इस लेख में यह बार बार लिखा गया है कि वह कट्टर मोदी भक्त थे। और एक तस्वीर भी इस लेख में है कि अमित जयसवाल के व्हाट्सएप डिस्प्ले में प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर थी। और इसमें यह भी बार बार उल्लेख है कि वह निर्माणाधीन राम मंदिर में गये थे।
इसके साथ ही इस पूरे लेख में एक युवा की मृत्यु पर शोक और क्षोभ न होकर मात्र इस तथ्य पर बल दिया गया है कि वह योगी जी और मोदी जी का समर्थक थे और उन्होंने उसकी कोई सहायता नहीं की। अब प्रश्न इस बात पर उठता है कि यदि मृत्यु होगी तो बल किस पर दिया जाएगा? देश की एक प्रतिभा के असमय काल कलवित हो जाने पर या फिर उसकी दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु का प्रयोग केवल उस व्यक्ति को कोसने के लिए करना, जिसे रोकने के लिए यह सभी गिद्ध वर्ष 2002 से ही प्रयास रत हैं।
वैसे तो गिद्ध सेलेब्रिटी बार बार आरएसएस या भक्त लोगों के मरने की कामना करते ही रहते हैं, यह कोई नई बात नहीं है। अमित शाह के कोविड संक्रमण से ग्रसित पाए जाने पर गिद्ध पत्रकारों ने उनके मरने तक की कामना कर दी थी। तो किसी भी एजेंडा पत्रकारिता एवं हिन्दू विरोधी मीडिया के लिए किसी भी हिन्दू की मृत्यु का कोई मूल्य तब तक नहीं है जब तक उनका एजेंडा पूरा नहीं हो रहा। बल्कि वह तो हिन्दुओं की लाशों की तलाश में रहते हैं, इस बार तो मध्य वर्ग पर हमला हुआ है तो वह आस लगाए हुए हैं कि भाजपा और मोदी का विरोध होगा और मोदी सरकार अगली बार नहीं आएगी।
विरोध करना किसी भी लोकतंत्र के लिए आवश्यक है, परन्तु किसी की मृत्यु पर प्रसन्न होकर एजेंडे का भोज करना, वह अत्यंत घृणित कार्य है और अब गिद्ध मीडिया अपनी समस्त सीमाएं पार कर चुका है। जल्दी ही द प्रिंट की यह रिपोर्ट गलत साबित हो गयी जब अमित के साथियों ने यह बताया कि अमित को पूरा समर्थन मिला था। पत्रकार सुशांत सिन्हा ने अपने यूट्यूब चैनल में अमित के साथियों विपुल बंसल एवं उदित सिंह के साथ साक्षात्कार यह साबित किया कि अमित को पर्याप्त सहायता प्राप्त हुई थी।
सुशांत सिन्हा ने अमित की दीदी का एक व्हाट्सएप चैट भी दिखाया जिसमें उदित सिंह और अमित की दीदी की बात हुई है और जिसमें वह कह रही हैं कि उन्हें मीडिया ने यूज़ कर लिया। उन्होंने कहा कि उनके बात करने का उद्देश्य केवल और केवल अस्पताल था, और उन्हें यह नहीं पता था कि उन्हें मीडिया ऐसे यूज़ करेगा। और साथ ही अमित की दीदी ने कहा कि वह मीडिया रिपोर्ट देखकर पागल ही हो जाएंगी।

उन्होंने अमित के उन जीजाजी, जिनका प्रयोग प्रिंट ने बार बार किया, उनके और इन साथियों के बीच हुई बातचीत का ऑडियो भी सुनाया जिसमें अमित के जीजाजी यह साफ़ कह रहे हैं कि उन्हें सहायता प्राप्त हो रही है। बेड की व्यवस्था हो गयी है आदि आदि! और आज अमित जयसवाल के उन्हीं जीजाजी का वीडियो आया है जिसमें वह साफ़ कह रहे हैं कि शेखर गुप्ता और उनकी प्रिंटइंडिया की टीम ने उनसे कुछ ऐसे सवाल पूछे, जो उन्होंने दुःख की घड़ी में क्रोध में आकर कुछ उत्तर दिए और उन्होंने उन उत्तरों का राजनीतिक प्रयोग कर लिया वह साफ़ कह रहे हैं कि जो गुस्सा अस्पताल पर था कि इतना बिल बना दिया और गलत रिपोर्ट देने का था, वह गुस्सा राजनीतिक विरोध के लिए चैनल ने प्रयोग किया। उन्होंने कहा कि जब अमित जयसवाल और उनकी माताजी अस्पताल में थीं तो आरएसएस और भाजपा के सभी कार्यकर्ताओं ने उनका साथ दिया था।
Dear @Uppolice here is the video of late Amit Jaiswal Ji’s brother in law, clearly implicating @ShekharGupta and his @ThePrintIndia for using one unfortunate death of a BJP worker to malign PM @narendramodi and CM @myogiadityanath – I request u to file a FIR against Gupta! https://t.co/fs4V4Xs4Xq pic.twitter.com/Oal9Ea5sXq
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) May 15, 2021
इस पूरे मामले से एक सीख तो हिन्दुओं को या भाजपा एवं आरएसएस के कार्यकर्ताओं को लेनी होगी कि उनके पास गिद्ध रूप में जो पत्रकार आएं उनकी असलियत वह पहचानना सीखें, नहीं तो वह बार बार इन गिद्धों का शिकार बनते रहेंगे, या तो जिंदा या फिर मरने के उपरान्त!
क्या आप को यह लेख उपयोगी लगा? हम एक गैर-लाभ (non-profit) संस्था हैं। एक दान करें और हमारी पत्रकारिता के लिए अपना योगदान दें।
हिन्दुपोस्ट अब Telegram पर भी उपलब्ध है. हिन्दू समाज से सम्बंधित श्रेष्ठतम लेखों और समाचार समावेशन के लिए Telegram पर हिन्दुपोस्ट से जुड़ें .