spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
31.4 C
Sringeri
Friday, March 29, 2024

आपदा में अवसर – गिद्ध पत्रकार

आपदा में अवसर, एक बार फिर से गिद्ध पत्रकार आ गए हैं अपने अपने एजेंडे लेकर। बरखा दत्त, अजित अंजुम, विनोद कापड़ी जैसे कई पत्रकार एक बार फिर से मैदान में चले आए हैं। बरखा दत्त ने तो शमशान पत्रकारिता करके गिद्ध पत्रकारिता को भी मात दे दी है। शमशान में बैठकर फोटो खिंचाती हुई बरखा की आलोचना जब काफी हुई तो उन्होंने भी जबाव दिया। पर एक बात सत्य है कि भारत पर आई इस आपदा में गिद्ध पत्रकारिता नई नई लाशें खोज रही है।

इतना ही नहीं इस आपदा के बहाने कुछ घिसे हुए पत्रकार, जिनका अपना पूरा कैरियर ही किसी राजनेता की चापलूसी से आरम्भ हुआ, वह अब बिहार में तेजस्वी यादव पर दांव लगाने के बाद उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव, मायावती को प्रशिक्षित करने के साथ साथ कांग्रेस के युवराज को भी सलाह दे रहे हैं कि यह संगठित होने का समय है। कांग्रेसी नेता राजीव शुक्ला के चैनल न्यूज़ 24 के साथ शुरुआत करने के बाद पत्रकार अजित अंजुम की पत्रकारिता अधिकतर एक तरफ़ा रही थी एवं उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले योगी जी के साथ हुआ साक्षात्कार भी खासा चर्चित रहा था।

टीवी 9 भारतवर्ष छोड़ने के बाद यह अब यूट्यूब पत्रकारिता कर रहे हैं, तथा किसान आन्दोलन के दौरान इनके कई वीडियो वायरल हुए थे। सरकार पर प्रश्न करने वाले यह पत्रकार न ही किसान आन्दोलन के दौरान कोरोना के लिए चिंतित दिखे और न ही पश्चिम बंगाल में चुनावों के दौरान! पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान मोदी की आलोचना करने के लिए कई बार वह व्यक्तिगत रूप से भाजपा समर्थकों को भी कुछ न कुछ कहते दिखे। यह सब यह आलोचना के नाम पर करते हैं।

अजित अंजुम की तरह एक जो सबसे प्रमुख पत्रकार हैं, उनका पत्रकारिता रिकॉर्ड तो काफी रोचक है। पड़ोसी देश में वह बहुत प्रिय हैं। हाफ़िज़ सईद भी उनके प्रशंसक हैं। वह हाल ही में काफी क्रांतिकारी तस्वीर के साथ सामने आई थीं, जिसमें वह शमशान घाट में बैठकर पत्रकारिता कर रही हैं। हम सभी को वह तस्वीर याद होगी जिसमें सूडान में एक बच्चे को गिद्ध देख रहा है और मरने की प्रतीक्षा कर रहा है, जिससे वह अपना पेट भर ले। यह तस्वीर आज तक हमारी आँखों में कौंधती है, परन्तु बरखा दत्त की शमशान घाट पर बैठी हुई तस्वीर भी उसी तस्वीर की याद दिलाती है, हालांकि एक अंतर है, गिद्ध मरे हुओं को खाता है पर बरखा दत्त जैसे जीवितों को ही मार रही हैं।

वाशिंगटन पोस्ट में लिखे गए अपने लेख में भी वह भारत को पूरी तरह से इस आपदा प्रबंधन में विफल बता रही हैं। उनके अनुसार भारत की व्यवस्था ढह चुकी है। भारत को वैसे तो हर मौके पर यह लोग बदनाम करते हैं, और उनका पूरा प्रयास है कि इस बार भी भारत हार जाए, तभी पाकिस्तान में इमरान खान के प्रधानमंत्री बनते ही वह प्रसन्न हो गयी थीं और अति उत्साह में न जाने कितने लेख लिख डाले थे।  पड़ोसी देश की प्रशंसा तो ठीक है, परन्तु अपने देश की बुराई के साथ नहीं!

वाशिंगटन पोस्ट में जो लेख है वह पूरी तरह से गिद्ध प्रकृति को दिखाता हुआ लेख है। उसका चित्र ही दिल दहला देने वाला एवं वितृष्णा भर देने वाला है।  तथा एक प्रश्न उठाता है कि जब आपदा के समय देश के साथ खड़े होने का समय था, तब बरखा दत्त जैसे लोग भारत की जलती चिताएं दिखा रहे थे? जबकि वास्तविकता यह है कि भारत ने न केवल कोविड की प्रथम लहर का प्रबंधन सफलता से किया था, बल्कि इतनी विशाल जनसंख्या को न जाने कितने समय तक निशुल्क राशन उपलब्ध कराया था। इतना ही नहीं वैक्सीन भी पूरे विश्व को उपलब्ध कराई थी। परन्तु उस दौरान विपक्षी दलों का आचरण कैसा था। इस पर किसी का भी ध्यान नहीं है। न ही इन गिद्ध पत्रकारों ने उस समय एकजुट होकर वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित किया था। बल्कि कांग्रेस नेताओं के साथ मिलकर इन सभी गिद्ध पत्रकारों ने लोगों को वैक्सीन के विरुद्ध भड़काया था।

यह चित्र बताता है कि किसने क्या कहा था और यह गिद्ध पत्रकार शांत रहे थे।

गिद्ध बरखा दत्त जब ऑक्सीजन की कमी लिख रही हैं तो वह दिल्ली सरकार के खिलाफ कुछ नहीं लिख रही हैं जिसकी प्रशासनिक अक्षमता के कारण दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी हुई और अस्पतालों को न्यायालय का रुख करना पड़ा। बरखा दत्त यह तो लिख रही हैं कि अस्पतालों ने न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की, परन्तु वह यह नहीं कह रही हैं कि यह कमी किस कारण हुई है।

आज इन गिद्ध पत्रकारो ने स्थिति यह कर दी है कि लोग ऑक्सीजन का स्तर 90 ही बेचैन हो रहे हैं और ऑक्सीजन सिलिंडर जमा कर रहे हैं। यह प्रश्न किया जाना चाहिए इन बरखादत्त और अजित अंजुम जैसे पत्रकारों से कि क्या इस प्रकार पैनिक पैदा करके यही लोग जमाखोरी बढ़ाने के लिए जिम्मेदार नहीं है?  मुम्बई में यदि मामले बढ़ रहे हैं तो इसमें केंद्र सरकार कैसे दोषी हुई?  इस लेख में बरखा दत्त एक बहुत बड़ी बात कहती हैं, जो इस गिद्ध मीडिया की सबसे बड़ी चिंता है और वह है विदेशी वैक्सीन को क्लियरेंस न देना। एक प्रश्न यह बार बार उठता है कि आखिर विदेशी वैक्सीन के प्रति इतना मोह क्यों है और भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी के प्रति इतनी घृणा क्यों है? वह लिखती है कि भारत ने अपनी वैक्सीन बाहर क्यों भेजी?

अंतिम पंक्ति वह लिखती है कि एक डॉक्टर ने कहा कि जब कोई केवल इस कारण मरता है कि आप उसे ऑक्सीजन नहीं दे सकते तो यह प्राकृतिक मृत्यु नहीं खून है!

पर बहुत अफ़सोस की बात है कि वह दिल्ली सरकार की असंवेदनशीलता पर कोई प्रश्न नहीं उठा सकती हैं। न ही अजित अंजुम यह कह सकते हैं कि सभी लोग वैक्सीन लगवाएं और न ही साक्षी जोशी जो विनोद कापडी जैसे एक गिद्ध पत्रकार की पत्नी हैं, वह भाजपा के समर्थकों को घेर रही हैं और कह रही हैं कि यदि आप भाजपा समर्थक हैं तो विपक्ष से मदद न मांगे! यदि यही इनका सिद्धांत है तो यह भी इस सरकार से सारी मदद लेना बंद कर लें! पर ऐसा करेंगे नहीं!

यह गिद्ध प्रजाति अब इसे अंतिम युद्ध मानकर जैसे जुट गयी है और अब अपनी घटिया पत्रकारिता से केवल और केवल मोदी सरकार को गिराने के अपने अंतिम अभियान पर जुट गयी है।


क्या आप को यह  लेख उपयोगी लगा? हम एक गैर-लाभ (non-profit) संस्था हैं। एक दान करें और हमारी पत्रकारिता के लिए अपना योगदान दें।

हिन्दुपोस्ट अब Telegram पर भी उपलब्ध है. हिन्दू समाज से सम्बंधित श्रेष्ठतम लेखों और समाचार समावेशन के लिए  Telegram पर हिन्दुपोस्ट से जुड़ें .

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.