पंजाब में विवादित पादरी बजिंदर सिंह का वह कार्यक्रम रद्द हो गया है, जिसमें खुद मुख्यमंत्री चरण सिंह चन्नी के सम्मिलित होने के समाचार थे। जैसे ही यह पोस्टर वायरल हुआ था, वैसे ही विरोध होने लगा था। राजनीतिक विरोध तो हो ही रहा था, सामाजिक विरोध भी होने लगा था। क्योंकि यह कार्यक्रम एक ऐसे पादरी द्वारा कराया जा रहा था, जिस पर बलात्कार का भी आरोप लग चुका है, हालांकि बाद में लड़की आरोपों से मुकर गयी थी।
पादरी बजिंदर इसलिए भी विवादित है क्योंकि वह छोटे बच्चों को भी अपनी धर्मांतरण की गतिविधियों के लिए प्रयोग कर रहा है। वायरल मीम “येशु येशु” पर भी उसके खिलाफ शिकायत दर्ज की गयी थी और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी इस मामले में कदम उठाए थे।
पंजाब में अपनी ईसाई धर्मान्तरण की गतिविधियों के लिए कुख्यात बजिंदर के साथ कई बड़े लोग मंच साझा करने जा रहे थे, जिनमें चरणसिंह चन्नी के साथ साथ सोनू सूद भी शामिल थे। लोगों ने प्रश्न करना आरम्भ कर दिया था कि आखिर धर्म परिवर्तन के कार्यक्रम में सोनू सूद का क्या काम है?
लोगों ने प्रश्न किया था कि पंजाब में मोगा में तीन हजार से अधिक लोग ईसाई बनने जा रहे हैं और मुख्यमंत्री और सोनू सूद इस समारोह में शामिल होंगे?
मजिंदर सिंह सिरसा ने भी विरोध दर्ज किया था:
पंजाब में बड़े पैमाने पर हो रहे ईसाई धर्मांतरण पर सरकार द्वारा कदम न उठाए जाने को लेकर भी लोगों ने कहा कि, शायद इसीलिए पंजाब पुलिस द्वारा कदम नहीं उठाए जाते हैं क्योंकि पंजाब का मुख्यमंत्री तो खुद ही ऐसे समारोह में शामिल होते है:
फिर कई लोगों ने प्रश्न किया कि इस हीलिंग में कोरोना क्यों नहीं ठीक किया जा सकता?
पंजाब में लोगों का गुस्सा भड़क गया और विश्व हिन्दू परिषद सहित कई बौद्धिक व्यक्तियों ने भी विरोध किया था। लेखक रतन सारदा ने प्रश्न किया था कि अकाली दल का क्या कहना है जो आरएसएस से तो नफरत करते हैं, परन्तु ईसाई मतांतरण पर शांत हैं:
हालांकि अब विरोध के मुख्यमंत्री चरण सिंह चन्नी के कार्यालय से यह सामने आया कि मुख्यमंत्री का शामिल होना और कुछ नहीं महज अफवाह थी और मुख्यमंत्री कार्यालय ने इसके आयोजक पर कार्यवाही के आदेश दिए हैं।
उधर सोनू सूद ने भी इस कार्यक्रम में शामिल होने से इंकार कर दिया गया था। परन्तु पीबीईएसएम के प्रधान अवतार सिंह के अनुसार चन्नी जी को इस घटना के विषय में पूरी जानकारी थी और उन्हें बताकर ही आमंत्रित किया था।
विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी ने ट्वीट करते हुए जानकारी दी कि
पंजाब के नए मुख्यमंत्री चन्नी की अगुवाई में मोंगा में चंगाई सभाएं करके हजारों हिंदू और सिखों को ईसाई बनाने का षड्यंत्र था, लेकिन सिखों और हिंदुओं के विरोध के कारण यह धर्मांतरण का षड्यंत्र रुका। कांग्रेस पंजाब का इसाईकरण कर रही है।
विश्व हिन्दू परिषद की ओर से ट्वीट करके यह जानकारी दी गयी कि पंजाब के मोगा में हुई चंगाई सभा में हिन्दू-सिख समुदाय के तीव्र विरोध के चलते राज्य में मुख्यमंत्री और अन्य अतिथियों का आगमन और सैकड़ों लोगों के धर्मांतरण को रोक दिया गया।
यह आयोजन तो सफल नहीं हो पाया, परन्तु यह नहीं भूलना चाहिए कि पंजाब इस समय मिशनरियों के निशाने पर है। पंजाब में धर्मांतरण जोरों पर हैं। जालंधर में विश्व का चौथा सबसे बड़ा चर्च बन रहा है।
पंजाब में धर्मान्तरण पर पिछले वर्ष यह कहा गया था कि लगभग 10% पंजाब ईसाई हो चुका है, और यह तेजी से ईसाईकरण की ओर बढ़ रहा है।
इसके कई कारण हैं, दलित सिखों को गरीबी दूर करने का लालच देकर ईसाई बनाया जा रहा है और साथ ही सबसे बड़ा कारण प्रतीत होता है विदेशी वीजा। मिशनरी यह दावा करती हैं कि ईसाई बनने से उन्हें सफलता पूर्वक वीजा मिल जाएगा।
पंजाब में इस धर्मान्तरण पर एसजीपीजी की नींद टूटी थी और उन्होंने कहा था कि वह ईसाई मिशनरी का मुकाबला करने के लिए घर घर जाएँगे।
खालिस्तानी जहां हिन्दुओं से नफरत करने में व्यस्त हैं, वहीं उनका पंजाब पूरी तरह से ईसाइयत के कब्जे में आता जा रहा है। आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद जैसे संगठन हैं, जो लगातार इसका विरोध कर रहे हैं।