ब्रिटेन में राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता चरम पर पहुंच गयी है। कुछ महीनों पहले ही पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने त्यागपत्र दिया था, उससे पहले ब्रिटिश कैबिनेट के मंत्रियों के त्यागपत्र की झड़ी लग गयी थी। अब प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है, वह इस पद पर मात्र 44 दिन ही बनी रह सकीं। उनके त्यागपत्र से पहले भी कई मंत्री अपने पद छोड़ चुके हैं। त्यागपत्र देने के बाद लिज ट्रस ने अपने वक्तव्य में कहा कि वह लोगों की आशाओं पर खरी नहीं उतरी, उन्होंने यह पद संकट के समय में संभाला था।
गुरुवार को अपने दफ्तर के बाहर त्यागपत्र देते समय लिज़ ट्रस ने कहा, “मैं मानती हूं कि मौजूदा हालात में उन वचनों को पूरा नहीं कर सकती, जिनके आधार पर कंजर्वेटिव पार्टी ने मुझे चुना था, इसीलिए मैंने महाराजा चार्ल्स से बात करके कंजर्वेटिव पार्टी के नेता के पद से त्यागपत्र देने के अपने निर्णय की जानकारी दे दी है।”
लिज़ अगला प्रधानमंत्री चुने जाने तक पद पर बनी रहेंगी। उन्होंने कहा कि वह उस समय देश की प्रधानमंत्री बनी जब देश बड़ी आर्थिक समस्या से जूझ रहा है। एक दिन पहले ही लिज ट्र्स ने कहा था, “मैं एक योद्धा हूं और प्रधानमंत्री पद को छोड़ने वाली नहीं हूं।” 47 वर्षीय लिज़ ट्रस ब्रिटेन की सबसे कम समय तक पद पर रहने वाली प्रधानमंत्री बन गयी हैं। उन्होंने 6 सितंबर 2022 को ही देश के प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला था, लेकिन मात्र 6 हफ्ते में ही उनकी सरकार इतने संकटों में फंस गई कि उन्हें पद छोड़ना पड़ा।
प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही लिज ट्रस को अपनी आर्थिक नीतियों के कारण लगातार कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा था। इन आलोचनाओं के कारण उन्होंने अपने करीबी नेता रहे वित्त मंत्री को बदलकर पीएम चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी रहे जेरेमी हंट को नया वित्त मंत्री बनाना पड़ा था। हंट ने पद संभालने के बाद पिछले वित्त मंत्री की कई नीतियों को पलट दिया था, फिर भी लिज ट्रस की सरकार लगातार विरोधियों के निशाने पर बनी रही।
ब्रिटेन में ‘अभूतपूर्व राजनीतिक’ संकट नहीं हो रहा है समाप्त
पिछले महीने सरकार ने एक आर्थिक योजना प्रस्तुत की थी, जिसके असफल होने के कारण आर्थिक उथल-पुथल और राजनीतिक संकट पैदा हो गया है। इसके बाद ट्रस को वित्त मंत्री बदलने के अतिरिक्त अन्य कई नीतियों को भी बदलना पड़ा है। इसके अतिरिक्त उनके कार्यकाल के में सत्तारूढ़ कन्जरवेटिव पार्टी में अनुशासनहीनता भी देखने को मिली है। कन्जरवेटिव पार्टी के कई नेता पिछले कुछ दिनों से ट्रस को प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देने को कह रहे थे।
अभी पिछले ही दिनों भारतीय मूल की ब्रिटिश गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने लंदन में मंत्रिस्तरीय संचार के लिए अपने निजी ई-मेल का उपयोग किया था, जो नियमों का उल्लंघन था। ब्रेवरमैन को 43 दिन पहले ही ब्रिटेन का गृह मंत्री नियुक्त किया गया था।
पिछले ही दिनों उन्होंने भारतीय मूल के लोगों के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके पश्चात भारत-ब्रिटेन के बीच होने वाले व्यापार समझौते पर संकट के बादल मंडराने लगे थे। ब्रेवरमैन की बुधवार को प्रधानमंत्री ट्रस के साथ बैठक हुई थी, उसके पश्चात उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर त्यागपत्र पोस्ट किया था। उन्होंने लिखा, ‘‘मैंने गलती की है, और मैं इसकी जिम्मेदारी स्वीकार करती हूं।’’
ब्रिटिश सरकार के निर्णयों से आर्थिक स्थिति हुई डांवाडोल
ब्रिटिश सरकार के आर्थिक निर्णयों के कारण अर्थव्यवस्था और बाजार पर प्रतिकूल असर पड़ा। वित्त मंंत्री के निर्णयों और वक्तव्यों ने बाजार में अस्थिरता पैदा कर दी है। एक तरफ जहाँ मॉर्गेज रेट तेजी से बढ़ रही है, वहीं स्थानीय मुद्रा और कमजोर होने लगी है। हालात ऐसे हो गए कि ब्रिटेन के केंद्रीय बैंक, बैंक ऑफ इंग्लैंड को ऋण बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए विवश होना पड़ा। ऐसा कहा गया कि सरकार ने आर्थिक विशेषज्ञों की सलाह की अनदेखी की है। यहां तक की मिनी बजट की घोषणा से ठीक पहले क्वार्टेंग ने अपने विभाग के अहम अधिकारियों हटा दिया।
अब कौन बनेगा नया ब्रिटिश प्रधानमंत्री?
ब्रिटेन का राजनीतिक परिदृश्य अब बदलता जा रहा है, ऐसा माना जा रहा है कि बोरिस जॉनसन पुनः कंजर्वेटिव पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद की दावेदारी कर सकते हैं। उनके अतिरिक्त भारतीय मूल के नेता ऋषि सुनाक और हाल ही में वित्त मंत्री बनाए गए जेरेमी हंट के नाम भी एक बार फिर से होड़ में बताए जा रहे हैं । यह दोनों ही नेता कंजर्वेटिव पार्टी के संसदीय दल के नेता पद के चुनाव में लिज़ ट्रस को चुनौती दे चुके हैं।