पंजाब में दो दिनों में दो ऐसी घटनाएँ सामने आई हैं, जिन पर विश्वास करना सहज मुमकिन नहीं हो सकता है, क्योंकि यह दोनों ही हत्याएं ब्लेसफेमी के आरोप में हुई हैं।
अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में एक युवक की क्रोधित लोगों द्वारा ब्लेसफेमी के आरोप में हत्या
अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में शनिवार शाम को एक व्यक्ति की पीट पीट कर हत्या कर दी गयी थी। उस पर आरोप था कि उसने पवित्र गुरुग्रंथ साहिब का अपमान किया है। इस घटना की सीसीटीवी फुटेज में यह साफ़ दिख रहा है कि एक युवक कूदकर आता है और वह गुरुद्वारा के उस पवित्र स्थल पर जाता है जहाँ पर पवित्र गुरुग्रंथ साहिब रखा हुआ था। वह गुरुग्रंथ साहिब के सामने रखी हुई तलवार उठा लेता है। और उसके बाद उसे सिख गुरुद्व्रारा प्रबंधक समिति के लोगों द्वारा पकड़ लिया जाता है।
इसके बाद मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उसे परक्रमा के साथ बने एक कमरे में ले जाया गया जहाँ पर उसे पूछताछ के बाद पीटा गया। एसजीपीजी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि उस व्यक्ति कि “क्रोधित भक्तों” ने मार डाला।
हालांकि समाचारएजेंसी एएनआई के अनुसार वह युवक उत्तर प्रदेश का है, परन्तु उसकी असली पहचान को लेकर अभी पुलिस ने कुछ स्पष्ट नहीं किया है। यह नहीं कहा गया है कि वह उत्तर प्रदेश का है।
जैसे ही यह वीडियो सर्कुलेट हुआ वैसे ही निहंग सिंह एवं कई सिख संगठनों के सदस्य स्वर्ण मंदिर की ओर दौड़ने लगे। और एक और वीडियो सामने आया है जिसमें क्रोधित भीड़ एसजीपीजी ऑफिस के गेट को तोड़ने का प्रयास कर रही है, और नारे लगा रही है।
भीड़ के हाथों में हथियार भी दिखाई दे रहे हैं। एक क्लिप में स्वर्ण मंदिर के परिसर में शरीर पड़ा हुआ है और लोग पंथ के नारे लगा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश का बताने का षड्यंत्र क्यों?
समाचार एजेंसी के अनुसार मारा गया व्यक्ति उत्तर प्रदेश का था, परन्तु दैनिक भास्कर के अनुसार मारा गया युवक कहाँ का है, इसकी अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है। हालाकि यह निश्चित है कि वह गैर पंजाबी है। पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के अनुसार दो दिनों में मारे गए युवक की पहचान का पता लगा लिया जाएगा।
फिर मीडिया में यह ख़बरें अपने आप कैसे आने लगीं कि मारा गया युवक उत्तर प्रदेश से है? क्या यह किसी बड़े राजनीतिक षड्यंत्र की आहट है या फिर राजनीतिक कारणों से हो रहा है? या फिर से एक बार से स्थितियां बिगाड़ने का प्रयास है? या वास्तव में ही इसके पीछे एक बड़ा षड्यंत्र है, इसकी जांच करनी ही चाहिए!
कपूरथला में भी इसी आरोप में एक व्यक्ति की पीट पीट कर हत्या
स्वर्णमंदिर में हत्या का मामला अभी तक ठंडा नहीं हो पाया था कि कपूरथला में सिख भीड़ ने एक व्यक्ति की पीट पीट कर हत्या कर दी। इसमें भी ब्लेसफेमी की बेअदबी का आरोप लगाया गया था और अपने हाथों से ही सजा देने पर बल दिया गया।
रविवार की तडके सुबह ही निजामपुर गाँव के लोगों ने उस व्यक्ति को पकड़ा था, लोगों ने आरोप लगाया कि उसने निशान साहिब की बेअदबी की है।
किसान आन्दोलन के दौरान भी लखबीर सिंह को मार डाला था
किसान आन्दोलन के दौरान भी लखबीर सिंह की हत्या को भूला नहीं जा सकता है, जब कथित बेअदबी के नाम पर हाथ काट दिए गए थे और अत्यंत दर्दनाक मौत उसे दी गयी थी।
हत्याएं कहीं और हो रही हैं और बुद्धिजीवियों के लिए असहिष्णु हिन्दू धर्म है
दिनों दिन यह हत्याएं बढ़ रही हैं। परन्तु एक बात को ध्यान में रखना होगा कि हिन्दुओं के मंदिरों के अपमान के विषय में ज्ञान परोसने वाले इन हत्याओं पर शांत है। कोई भी संवेदनशील व्यक्ति किसी भी धार्मिक प्रतीक के अपमान को सही नहीं ठहरा सकता और न ही ठहराना चाहिए, किसी को भी किसी के धार्मिक प्रतीकों का अपमान करने का कोई अधिकार नहीं है, परन्तु जब यही मांग हिन्दू करता है तो वह असहिष्णु हो जाता है।
हिन्दुओं के मंदिरों को अतिक्रमण के नाम पर तोड़ दिया जाता है, बदले में यदि हिन्दू आवाज़ उठाता है तो उसे ही विकास विरोधी कहा जाता है।

यदि कोई हिन्दू किसी शिव लिंग पर पेशाब करने की शिकायत करता है तो हिन्दुओं को ही यह पाठ् पढ़ाया जाता है कि शिव लिंग किसी इंसान से बढ़कर है क्या? क्या हुआ जो शिव लिंग पर पेशाब कर दिया? क्या हुआ जो मंदिरों को तोड़ दियागया? क्या हुआ जो किसी मुस्लिम पेंटर ने तुम्हारी दुर्गा माँ को नंगा चित्रित कर दिया? क्या हुआ जो किसी कॉमेडियन ने तुम्हारी सीतामाता को अपमानित कर दिया? क्या हुआ किसी दूसरे मजहब की शिक्षिका ने बच्चे के बैग से श्रीमदभगवत गीता की प्रति को कचड़े के डिब्बे में फेंक दिया?
क्या हुआ जो तुम्हारी गौ माता को मारकर खा गए? इन्सान किसी भी शिवलिंग, किसी गौ माता से बढ़कर है! क्या हुआ जो तुम्हारे मंदिर में अश्लील दृश्य फिल्माए गए? क्या हुआ जो शूटिंग के दौरान जूते पहनकर ही मंदिर में गए? क्या हुआ? यह क्या हुआ की सूची हिन्दुओं के लिए बहुत लम्बी है! हिन्दुओं को ज्ञान देने वाले लोग इन अब हत्याओं पर मौन रहते हैं!
पालघर में साधुओं को घेर कर मार डाला गया, पर उस वर्ग में एक मौन पसरा रहा था!

और फिर भी कथित लिबरल वर्ग के लिए असहिष्णु हिन्दू है!
हिन्दुओं की कीमत पर हर किसी को प्रसन्न करने के राजनीति ने कटुता का विस्तार कर दिया है। ऐसा नहीं है कि यह पहला मामला हो जिसमें लोगों को ऐसे मार दिया गया हो। स्वराज की एक रिपोर्ट के अनुसार:
- जून 2019 में, दो साथी कैदियों द्वारा उच्च सुरक्षा वाली नाभा जेल में मोहिंदर पाल बिट्टू नाम के एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी; बिट्टू पंजाब के बरगारी में गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति का अनादर करने के मामले में 2015 से जेल में बंद था।
- सितंबर 2016 में अमृतसर की बलविंदर कौर नाम की महिला की उसके पति लाभ सिंह ने हत्या कर दी थी। बलविंदर पर नवंबर 2015 में यह आरोप लगा था कि उसने चप्पल पहनकर गुरुद्वारे के गर्भगृह में प्रवेश किया था।
- जुलाई 2016 में, पंजाब के लुधियाना जिले में एक गुरुद्वारे के बाहर अनुसूचित जाति की 47 वर्षीय महिला बलविंदर कौर की 2 बाइक सवार लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। वह उससे एक साल पहले ही पवित्र ग्रन्थ का अपमान करने के आरोप के मामले में जेल से बाहर आई थी।
हाल ही के वर्षों में पंजाब में समाज और राजनीति दोनों ही स्तर पर गुरुग्रंथ साहिब की प्रतियों का अपमान केंद्र में आ चुका है। वर्ष 2018 में, मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में पंजाब कैबिनेट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में एक नई धारा (295AA) प्रस्तुत करने का निर्णय लिया था,, जिसमें प्रमुख धार्मिक ग्रंथों के अपमान पर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान था।