spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
21.5 C
Sringeri
Thursday, April 25, 2024

क्या होगा जब जन्म से लड़के, शरीर से बलिष्ठ परन्तु कथित रूप से यौनिक “औरतें”, महिलाओं की प्रतिस्पर्धा में महिला बनकर भाग लेंगी?

पिछले दो लेखों में हमने ट्रांसवुमन के बारे में बात की है। किस प्रकार से ट्रांसजेंडर को प्रगतिशील कहकर महिमामंडित किया जा रहा है, हम सभी ने देखा है। भारत में भी यह आरम्भ हो गया है और कुछ ही वर्षों में हम इसका चरम देखेंगे। पर क्या कभी इस पर विचार किया है कि यदि लड़के के रूप में जन्मा और बलिष्ठ शरीर वाला आदमी यह दावा करे कि वह कोई आदमी नहीं है, बल्कि महिला है और वह महिलाओं की टीम में खेलना चाहता है, फिर क्या होगा? क्या उसके लिए स्थितियां अनुकूल होंगी? यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है!

फेमिनिस्ट कितना भी दावा करें समानता का, कि सभी समान हैं, फिर भी यह बात स्पष्ट है कि महिलाओं और पुरुषों में शारीरिक समानता नहीं होती है और यही कारण हैं कि फेमिनिस्ट बार बार कभी मासिक धर्म के दौरान छुट्टी मांगती हैं, तो कभी अपनी रक्षा के लिए कड़े नियम बनाने की बात करती हैं। एक ओर वह स्वयं असमानता का सिद्धांत गढ़ती हैं और फिर दूसरी ओर समानता का राग गाती हैं। परन्तु यही समानता और कथित जेंडर समस्या हमारे बच्चों को इतना मानसिक भ्रमित कर देती है कि वह आने वाले खतरे को भांप नहीं पाते और उस जाल में फंस जाते हैं।

15 दिसंबर को एक ट्वीट होता है, जिसमें यह कहा जाता है कि ट्रांस स्विमर “लिया” थॉमस ने सभी महिला प्रतिस्पर्धियों को 40 सेकण्ड के अंतर से पराजित कर दिया, यह पूरी तरह से एक तमाशा है!

दरअसल बात हो रही है, अमेरिका में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय की तैराकी की टीम में एक “ट्रांस-वुमन” “लिया थॉमस”“Lia” Thomas ने महिलाओं की टीम से खेलते हुए न केवल स्कूल के बल्कि राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ डाले।  लिया थॉमस अपने इस लैंगिक परिवर्तन से पहले विल थॉमस हुआ करता था और विल थॉमस के रूप में वह पुरुषों की तैराकी की टीम में भाग ले चुका था।

अर्थात वह पहले से ही एक पुरुष तैराक था और फिर उसे अहसास होने लगा कि उसका शरीर बेशक आदमी का है, परन्तु वह भीतर से एक महिला है। उसके अनुसार वर्ष 2018 में उसे यह अहसास होने लगा कि वह एक ट्रांस है और एक तैराक के रूप में अपने भविष्य के विषय में उसे चिंता हुई। उसने वर्ष 2018-19 में पुरुषों की प्रतियोगिता में भाग लिया और उसमें कोई भी स्थान नहीं आया। जिसके कारण उसे बहुत तनाव हुआ।

फिर एक वर्ष के बाद उसने स्वयं को परिवर्तित करने का निर्णय लिया। मई 2019 में उसने यह निर्णय अपनी टीम के सभी लोगों को सुना दिया।

क्या कहते हैं नियम?

अमेरिका में एनसीसीए अर्थात (National Collegiate Athletic Association) के नियमों के अनुसर एक ट्रांसजेंडर महिला एथलिट एक वर्ष तक “टेस्टोंस्टेरोन सप्रेशन ट्रीटमेंट” लेने के बाद महिलाओं की स्पोर्ट्स टीम में भाग ले सकती है।

लिया थॉमस का हो रहा है विरोध

महिला खिलाडियों और उनके परिवारों द्वारा लिया थॉमस का विरोध हो रहा है। यहाँ तक कि स्विमिंग की पत्रिका ने भी इस बात को गलत माना है। इसके सम्पादक के अनुसार एनसीएए के दिशानिर्देशों के अनुपालन के अनुसार हारमोन दवाइयां लेने के बाद भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि थॉमस का जो जैविक यौवन है, उसका बहुत अधिक फायदा है। उसने  लगभग बीस साल तक मसल बनाए और अपने शरीर से बनने वाले प्राकृतिक रूप से टेस्टोंस्टेरोंन से फायदा उठाया है और उसकी यह ताकत रातो रात गायब नहीं हो जाएगी। और यही कारण है कि थॉमस जब पानी में उतरती है/उतरता है तो उसके पास अतिरिक्त फायदा होता है। उन्होंने इसे डोपिंग का ही एक रूप कहा है

साथी खिलाड़ी और उनके अभिभावक भी क्रोधित हैं

साथी खिलाड़ी इस बात से बहुत गुस्सा हैं कि थॉमस महिला श्रेणी में खेल रही/रहा है! एक खिलाड़ी का कहना है कि कोच से सभी ने बात की है, परन्तु कोच को केवल जीत चाहिए। वह हर कोच की तरह है, और मन ही मन में हर कोई जानता है कि यह गलत है।

एक और खिलाड़ी ने कहा कि “अधिकतर टीम के सदस्य इस “गलत” स्थिति पर गुस्सा हो रहे हैं।  वह इतने हताश हैं कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कितनी भी मेहनत कर लें, वह हारने ही जा रही हैं।”

कुछ लोगों के अनुसार कॉलेज में लड़कियों के साथ अन्याय हो रहा है। और महिला एथलिट को समान अवसरों से वंचित किया जा रहा है।

टेनिस में भी ट्रांस-एथलीट का स्वागत किया गया था

पिछले दिनों मार्टिना नवरातिलोवा ने जब ट्रांस-एथलीट को धोखे के रूप में ब्रांड किया था तो वीमेन टेनिस एसोसिएशन की सीईओ स्टीव सिमोन ने यह कहा था कि टूर की नीति ओलम्पिक के मानकों के अनुसार है, जिसमें कहा गया है कि आदमी से औरत बने ट्रांस एथलिट भी बिना जेंडर रीअस्साइनमेंट सर्जरी के महिलाओं की प्रतिस्पर्धा में खेल सकते हैं, पर यह सब उनके अधिकतम टेस्टोंस्टेरोन स्तर पर निर्भर करता है, जो ओलंपिक्स मानकों में दिया है।

महिलाओं की स्पर्धा केवल महिलाओं के लिए हो

हालांकि लिया थॉमस के मामले में साथी खिलाडियों को शांत रहने के लिए कहा गया है, परन्तु असंतोष व्याप्त है। और अब अभिभावक भी बोल तो रहे हैं, परन्तु वह सामने नहीं आ रहे हैं क्योंकि इससे उनकी बच्चियों पर असर पड़ेगा। डेलीमेल के अनुसार यूपेन महिलाओं की तैराकी की टीम के अभिभावकों ने एनसीएएए को इस सन्दर्भ में पत्र भेजा है कि ट्रांसजेंडर तैराक लिया थॉमस को महिलाओं की टीम में खेलने से रोका जाए। एक अभिभावक का कहना है कि सभी डरे हुए हैं। अभिभावक इसलिए डरे हुए हैं कि उनके बच्चे को नुकसान होगा। हम इस स्कूल के लिए 80,000 डॉलर दे रहे हैं।

भारत में यह बीमारी अभी तक नहीं है, यह सत्य है, परन्तु कब तक नहीं रहेगी यह नहीं कहा जा सकता है क्योंकि जिस प्रकार ट्रांस-जेंडर का महिमामंडन हो रहा है और उसे एक नया नॉर्म बताया जा रहा है, कि ऐसा होना सामान्य है, यह स्थिति आने में देर नहीं लगेगी!

क्या होगा कि कोई लड़का आदतन लड़की होकर लड़कियों के गुट में घुस जाए या फिर उनके खेल में घुस जाए?

जिन प्रश्नों के उत्तर अभी पश्चिम खोज रहा है, हम भी शीघ्र ही उसी स्थिति में होंगे, तैयार होकर चलना ही होगा!

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.