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Monday, December 9, 2024

दृष्टी भी, इच्छाशक्ति भी

उर्जा के क्षेत्र में आयात पर निर्भरता को कम करनेसाथ ही वैकल्पिक माध्यमों की दिशा में अभूतपूर्व तेजी देखने को मिल रही है| राष्ट्रिय स्तर पर पेट्रोल में एथनाल मिलाने की सीमा अभी 10% फीसदी की गयी है| एथनाल एक तो गन्ने से प्राप्त होता हैदूसराअब गौदामों में  पड़ा सरप्लस अनाज से भी एथनाल बनानें की छूट दे दी गयी है| साथ ही सरकार ने एथनाल के आयत को घटने के लिए सीमा भी  शुल्क बढ़ा  दिया है| इस अनुकूलता का ही परिणाम है कि कम्पनीयां अब एथनाल को 13 से 15% तक ने की मांग कर रही हैं|

वैसे समग्र रूप से सरकार ये चाहती  है कि भविष्य में जितनी जल्दीजितना  ज्यादा हो सके जो स्थान आज पेट्रोल-डीज़ल  का है वो  बिजली प्राप्त कर ले| इस मार्ग में आने वाली प्रमुख दिक्कतों में से एक है बिजली को स्टोरेज करने में काम आने वाली उच्च गुणवत्ता युक्त बैटरी का निर्माण| जिसके लिए देश अभी आयात के भरोसे पर है| लेकिन जल्दी ही स्थिती बदलने वाली हैक्यूंकि देश में 18,100 करोड़ रूपए की एक प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पी एल आई) की  मंजूरी सरकार ने दे दी है जिसके अंतर्गत अब  कंपनीयों  को 60% हिस्सा देश में ही निर्माण करना होगा|

पाली सिलिकॉन एक ख़ास किस्म का प्लास्टिक है जिससे निर्मित सोलर सेल्ससोलर पेनल्स सोलर मोडयूल्स इत्यादि सब देश में बाहर से आयातित होते हैं| इसके कारण सोलर उपकरण चीन के मुकाबले 40% तक महगें हो जाते हैं| लेकिन अब इससे मुक्ति का मार्ग निकालनें की पहल शुरू हो चुकी हैऔर वो दिन अब दूर नहीं जब हम इस क्षेत्र में पूर्ण आत्मनिर्भर हो चुके होंगे. वर्ष 2030 तक भारत का लक्ष्य सौर उर्जा से 2.80 लाख मेगावाट (450 GW)  बिजली प्राप्त कर लेने का है|

इसमें अपना योगदान देते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज नें 75,000 कोरोड़ के निवेश का एलान किया है| जिसके अंतर्गत कच्चे माल (पाली सिलिकॉन प्लास्टिक) से लेकर तैयार माल (सोलर सेल्ससोलर पेनल्स , सोलर मोडयूल्स इत्यादि) सब कुछ गुजरात के जामनगर मे 5000 एकड़ में स्थापित होने वाले धीरुभाई अम्बानी ग्रीन एनर्जी गीगा काम्प्लेक्स में ही होगा| 

याद करें  वर्ष 2015 में मोदी नें घोषणा करी थी कि 2022 तक देश 175 GW सौर उर्जा क्षमता को प्राप्त कर लेगा| ये क्षमता आज कुल 100 GW हो चुकी हैजिसकी बदोलत हरित उर्जा-क्षमता के क्षेत्र में भारत नें दुनिया में चौथा स्थान प्राप्त कर लिया है|

‘१७००० फीट ऊँचाई पर स्थित ये वो भूभाग है, जहां घांस का टुकड़ा भी नहीं ऊगता| लद्दाख अनुपयोगी, और रहने के लायक जगह नहीं है| हम खुद भी नहीं जानते कि वास्तव ये कहाँ स्थित है|’ अक्साई चिन को चीन के हांथों गवांते हुए , जवाहरलाल नेहरु नें ये बात कही थी| पर आज उसी लद्दाख में दुनिया का सबसे अधिक क्षमता वाला 5,000 मेघवाट का सौर उर्जा सयंत्र का निर्माण चल रहा है, जिसकी  लगत  45,000 करोड़ रूपए की है तथा जिसका 2023 तक संचालन शुरू हो जायेगा| पर्यावरण की दृष्टी से इसका एक लाभ ये भी होगा कि हम देश को 12,750  टन कार्बन उत्सर्जन से बचा लेंगे|

अक्षय उर्जा का लाभ कृषि और किसान को कैसे पहुँचे इस पर अब सरकार का ध्यान कुछ ज्यादा दिखने लगा है| इसलिए पहले से ही चल रही ‘कुसुम’ [किसान उर्जा सुरक्षा उत्थान महाअभियान] योजना के अंतर्गत किसानों द्वारा सोलर पंप खरीदने पर सब्सिडी ३०% से बढ़ाकर ६०% कर दी गयी है| ये सब्सिडी राज्य और केंद्र सरकारें मिलकर वहन करेंगी|

इतना ही नहीं किसान को सोलर-पंप की लागत का शुरू में केवल १०% ही वहन करना पड़ेगा, बाकी भुगतान उसे बैंक से लोन के रूप में प्राप्त हो जायेगा| सोलर-इकाई एक बार स्थापित हो जाने के बाद उससे प्राप्त अतरिक्त विद्युत अगर किसान बेचना चाहे तो उसे खरीदने पर विद्युत वितरण कंपनी को सरकार पांच साल तक अपनी ओर से अलग से ५०पैसा प्रति यूनिट प्रोत्साहन राशी के रूप में देगी| डीज़ल और विद्युत संचालित पंप की जगह सोर-पंप की ओर आकर्षित करने के लिए सरकार की अगले १० वर्षों में ४८,००० करोड़ रूपए व्यय करने की योजना है|

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Rajesh Pathak
Rajesh Pathak
Writing articles for the last 25 years. Hitvada, Free Press Journal, Organiser, Hans India, Central Chronicle, Uday India, Swadesh, Navbharat and now HinduPost are the news outlets where my articles have been published.

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