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Friday, March 29, 2024

हिंदुओं की लक्षित हत्याओं के पीछे है एक वृहद्द कट्टरपंथी इस्लामी मशीनरी? कब रुकेगा भारत में हिन्दुओं का नरसंहार?

भारत कहने के लिए तो एक हिन्दू बहुसंख्यक देश है, लेकिन यहाँ सैंकड़ो वर्षो से हिन्दुओं का ही शोषण और संहार होता आया है। हमारे देश का धर्म आधारित बंटवारा भी हुआ, लेकिन उसके पश्चात भी स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं आया। सेकुलरिज्म और गंगा जमुनी तहजीब के नाम पर हिन्दू की ही बलि चढ़ती आयी है। पिछले कुछ समय से आप देखेंगे कि कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने हिन्दू त्यौहारों पर आक्रामक हमले शुरू कर दिए हैं, हिन्दुओं को लक्षित करने उनकी ह्त्या की जा रही है।

भाजपा नेता नुपूर शर्मा के तथाकथित ईशनिंदा वाले वक्तव्य के बाद से ही हिंदू विरोधी घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो गयी है। इस घटना के बाद भारत के महत्वपूर्ण अरब व्यापारिक भागीदारों के संशय की स्थिति बनाई गयी, खाड़ी में भारतीय वस्तुओं का बहिष्कार करने का आह्वान किया गया। यह पर्याप्त नहीं हुआ, तो कट्टर इस्लामिवादियों ने सड़कों पर आ कर विरोध करना शुरू कर दिया, ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगाए गए।

हिन्दुओं की लक्षित हत्याओं में हुई एकाएक बढ़ोत्तरी

इसके पश्चात वो हुआ जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की नृशंस हत्या हुई, जिसने भय का माहौल पैदा किया। उस घटना को कमरे पर फिल्माया गया, जिहादी नारे लगाए गए, उसके पश्चात भारत के विभिन्न हिस्सों में ऐसी और भी घटनाएं होने लगी। महाराष्ट्र में उमेश कोल्हे को ऐसे ही मार दिया गया, और उस षड्यंत्र में तो उनके मित्र और पडोसी ही सम्मिलित थे। पिछले ही दिनों मध्यप्रदेश में ऐसे ही संदिग्ध परिस्थितयों में छात्र निशांक राठौड़ की भी मृत्यु हुई, जिसके पश्चात उसके पिता को आपत्तिजनक मैसेज भी प्राप्त हुआ था।

कुछ ही दिनों पहले भाजपा युवा मोर्चा के सदस्य प्रवीण कुमार नेट्टारू को धारदार हथियारों से मार डाला गया था। पुलिस के अनुसार, कुछ अज्ञात हमलावरों ने उनकी हत्या कर दी, हालांकि उन्हें इस्लामी आतंकवादी संगठनों पीएफआई और एसडीपीआई के इस हत्या में सम्मिलित होने के मजबूत साक्ष्य मिले हैं। पुलिस ने मोहम्मद शफीक बल्लेरे और जाकिर सावनुरु नाम के दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

इसके अतिरिक्त देशभर में हिन्दुओं को धमकियां दी जा रही हैं, उन्हें नूपुर शर्मा का समर्थन करने पर हत्या कर देने की बात कही जा रही है। अगर इन सभी घटनाओं को देखा जाए तो आपको पता लगेगा कि यह लक्षित हिंसा की घटनाएं ऐसे ही नहीं हो रही हैं। एक पारिस्थितिक तंत्र बनाया जा चुका है, जो हिन्दुओ के मन में डर पैदा करने के लिए ऐसी हिंसा कर रहा है। इसमें अब कोई संदेह नहीं है कि इन हत्याओं को पीएफआई और एसडीपीआई और अन्य कई इस्लामी संगठनों की सक्रिय मदद से किया गया है।

हिन्दुओं की हत्याओं के पीछे हैं कट्टर इस्लामिक आतंकवादी संगठन

भारत में कट्टर इस्लामिक तत्वों ने दारुल खाडा और सत्या सरिनी ट्रस्ट नामक संगठन बनाये हैं, जो कहने को तो ‘सामाजिक कार्य’ करने का दावा करते हैं, लेकिन इनका एकमात्र उद्देश्य है भारत में जिहाद फैलाना और कट्टरपंथी इस्लाम की अवधारणा को सुदृढ़ करना। सत्या सरनी ट्रस्ट अवैध धर्मांतरण का कार्य करती है, जो दक्षिण के राज्यों में जनसांख्यिकी संतुलन को बिगाड़ने का काम कर रही है। इस संस्था के सम्बन्ध आईएसआईएस से भी हैं, और सूत्रों के अनुसार यह संस्था इस्लामी आतंकवादी संगठनों के लिए लोगों की भर्ती भी करते हैं।

वहीं दारुल खाडा का उद्देश्य है मुस्लिम युवाओं को जिहादी बनाना और हिंदुओं पर लक्षित हमले करवाना। दारुल खाडा बड़े-बड़े दावे करता है, कि वह मुस्लिम समुदाय के नागरिक विवादों को संभालता है। लेकिन उसका असली काम कुछ और है, वह अपने प्रभुत्व को सुदृढ़ करने के लिए हिंदू नेताओं के हमलों और हत्याओं का आदेश देता है। 2018 में, एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने एक डोजियर तैयार किया था जिसमें कहा गया था कि पीएफआई का संगठन, दारुल खाडा देश में एक समानांतर प्रशासन चला रहा है।

एनआईए के डोजियर में यह भी कहा गया है कि जुलाई 2009 में, दारुल खाडा ने मलप्पुरम में घोषणा करवाई थी, कि मुस्लिम समुदाय सभी तरह के सिविल न्यायालयों और पुलिस का पूर्ण बहिष्कार कर दे। मुस्लिमों को हर तरह की कानूनी या सामाजिक उपचार के लिए दारुल खाडा से ही संपर्क करने का आह्वान किया था। दारुल खाडा एक तरह का शरिया न्यायालय है, जिसमे मुस्लिमों के मामला का निबटारा किया जाता है, साथ ही हिन्दुओं पर हमले करने के आदेश भी दिए जाते हैं।

अतीत में हुई बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्षा की वीभत्स हत्या और प्रोफेसर टीजे जोसेफ के साथ एक घटना की जांच के दौरान, जिनके हाथ काट दिए गए थे, एनआईए ने पाया कि पूरे भारत में हिंदू नेताओं हो रहे लक्षित हमलों के पीछे यही संगठन हैं। यह सब पीएफआई के ही संगठन हैं, और वही इन सभी की आर्थिक सहायता भी करता है। वहीं युवाओं को भटकाने के लिए एसडीपीआई जैसी कट्टर संस्था बनाई गयी है, जिसने पिछले दिनों कर्नाटक में हिजाब के मामले पर बड़ा बवाल किया था।

यह दुखद है कि हजारों वर्षों से इस भूमि पर रहते आ रहे हिन्दू ही शांति से अपना जीवन जीने में असमर्थ हैं। सरकार के पास सभी साक्ष्य हैं, उन्हें इन आतंकी संगठनों पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में हिंदुओं की ऐसी कोई हत्या न हो।

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