अफगानिस्तान में तालिबान दिनों दिन अपना अधिकार जमाता जा रहा है। आज के समाचार के अनुसार तालिबान ने कंधार पर कब्ज़ा कर लिया है, जो अफगानिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है।
"Taliban claim to capture Kandahar, Afghanistan's second-largest city," tweets AFP News Agency
— ANI (@ANI) August 12, 2021
इसके साथ ही तालिबान ने कंधार में जेलों को तोड़ दिया है और कई कैदियों को छुड़ा लिया है। और साथ ही अफगानी औरतों पर पहले की ही तरह अत्याचारों को करना शुरू कर दिया है। कंधार में अधिकार पर लड़कियों की शिक्षा के लिए अपना गैर सरकारी संगठन चलाने वाली पस्थाना दुर्रानी का यह साक्षात्कार बेहद डराने वाला है, जिसमें वह कह रही हैं कि यह ऐसा ही है जैसे सब कुछ लुट जाना।
“This means losing your houses, your dreams, your goals, your ambition… everything.”
Pashtana Durrani, executive director of an NGO for girls' education speaks to @krishgm from Kandahar in Afghanistan, a city under siege by the Taliban. pic.twitter.com/j6qUPzDkP3
— Channel 4 News (@Channel4News) August 12, 2021
इसमें पत्रकार उनसे पूछ रहे हैं कि “तालिबान के साथ कुछ बातचीत जैसा तो हुआ था।”
पस्थाना कह रही हैं कि हाँ, क़तर में! पर वह क़तर में उस बातचीत में मौजूद नहीं थीं।
और फिर पत्रकार जब प्रश्न करते हैं कि “आखिर यह कहाँ तक जाएगा?”
पस्थाना का दर्द उभर कर आता है, जब वह कहती हैं “यह ऐसा ही है कि जैसे सत्ता द्वारा कहा जा रहा है कि हमें छोड़ दिया जाए। जो एलीट और अमीर लोग हैं, उन्हें बाहर जाने का मौक़ा मिल जाए और शेष लोगों को बेच दिया जाए। अफगानिस्तान के आम लोगों को बेच दिया जाए, अफगानिस्तान के आम लोगों को उन भेडियों के आगे फेंक दिया जाए, क्योंकि यही वह चीज़ है जिसे वह गिन सकते हैं।”
फिर वह लोगों का दर्द बताते हुए कहती हैं “क्या आप विश्वास मानेंगे कि बच्चे लहूलुहान हो रहे हैं, लोग काबुल के हिस्सों में शरण ले रहे हैं, लोग कंधार की दुकानों में शरण ले रहे हैं। और कोई रास्ता नहीं है। हमारा नेटवर्क पूरे दिन के लिए डाउन था। हमारी यही ज़िन्दगी रह गयी है।”
जब उनसे पूछा गया कि “इन सबका आपके लिए क्या मतलब है?”
तो उन्होंने कहा कि “इसका यही मतलब है कि मैं अपना सब कुछ खोने जा रही हूँ, जिसके लिए मेरे पिता, मैंने और मेरे परिवार ने काम किया है। वह सब कुछ जिसके लिए हर लड़की ने पिछले बीस सालों में काम किया, और हर इंसान ने पिछले बीस वर्षों में काम किया है। इसका मतलब है आपके सपने खोना, घर खोना, आपका हर लक्ष्य खोना, आपकी महत्वाकांक्षाओं का खोना, और एक अफगान के रूप में आपकी पहचान का खो जाना। माने सब कुछ खो जाना।”
इस पर पत्रकार ने जब पूछा कि जो कुछ भी आपके साथ हो रहा है, उसका हमें दुःख है, मगर यदि वह आपके दरवाजे पर आकर दस्तक देता है तो आप क्या करेंगी?”
इस पर पस्थाना का दर्द और झलक कर आता है। वह कहती हैं “प्राथना! हम केवल प्रार्थना कर सकते हैं क्योंकि इसके अलावा अब हम कुछ नहीं कर सकते। और इसके अलावा करने के लिए कुछ नहीं है!”
इसके बाद वह इंटरव्यू ध्यान रखने की सलाह के साथ बंद हो जाता है।
पस्थाना के ट्वीट, से उनका डर उनकी चिंता तो सामने आती ही है, सरकार से भी कई सवाल वह कर रही हैं। ग्रामीणों के तालिबान की शरण में जाने पर वह लिख रही हैं कि गाँव वालों के पास और कोई विकल्प ही नहीं है, सरकार ने संवाद ही नहीं किया।
The government was too busy olaying dumb and corrupt. The villgers had no other option. Not once I remember government tried reaching out to rural areas. They have failed us. Shame on the government. https://t.co/c5cDWnfkzp
— Pashtana Zalmai Khan Durrani پښتنه درانی (@BarakPashtana) August 12, 2021
इसके साथ ही वह इस बात पर भी सवाल उठा रही हैं कि उन्हें बचाने का दावा करने वाले बचाने के लिए लड़ क्यों नहीं रहे हैं: वह लिखती हैं कि कोई विरोध ही नहीं हो रहा है, कोई भी बदले में लड़ाई नहीं लड़ रहा। जो बचाने का दावा करते थे, उन पर शर्म आती है!
The is no resistance. Nobody os fighting back. Shame on all those who claimed to protect. Shame on you @ashrafghani @hmohib @FFazly
— Pashtana Zalmai Khan Durrani پښتنه درانی (@BarakPashtana) August 12, 2021
पस्थाना अफगानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा के लिए कार्य कर रही हैं। और उनकी ट्विटर वाल पर जाकर कई सवाल पैदा हो रहे हैं कि क्या वाकई उस कट्टरपंथ का विरोध नहीं हो रहा है, जो औरतों को घरों में कैद करने ही नहीं बल्कि यौन गुलाम बनाने आ रही है? क्या यह ऐसा नहीं लग रहा जैसे एक बहुत बड़ा समर्थन ही उस विचार को है, जो कट्टरता से भरा हुआ है और सरकार जैसे आत्मसमर्पण करती जा रही है। ऐसा कई लोगों के मतों से जैसा आभास हो रहा है।
विदेशी मामलों की पत्रकार लौरा रोजेन ने ट्वीट किया कि
“गजनी में गवर्नर के ऑफिस के एक कर्मचारी ने कहा कि गर्वनर दाउद लघमानी ने अपना ऑफिस वरिष्ठ तालिबान कमांडर को सौंप दिया।” उसने कहा कि “लघमानी ने तालिबान कमांडर को एक फूल दिया और बधाई दी।”
“An employee of the governor’s office in Ghazni said that Gov. Daud Laghmani simply handed over his office to a senior Taliban commander. ‘He gave a flower to the Taliban commander and congratulated him,’ he said.” https://t.co/r1BCn9pa5s
— Laura Rozen (@lrozen) August 12, 2021
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लिए विशेषज्ञ पत्रकार सलीम जावेद तालिबान लड़ाकों के साथ लघमानी की तस्वीर साझा करते हुए लिखते हैं,
लम्बा व्यक्ति लघमानी है, जो गनी के सबसे बढ़िया साथी है और जो तालिबान लड़ाकों का स्वागत फूलों से कर रहे हैं:
The taller one is Laghmani, one of Ghani’s best men, who welcomed Taliban fighters with flowers. https://t.co/b3encLMQTb pic.twitter.com/uST7zFORQo
— Saleem Javed (@mSaleemJaved) August 12, 2021
वहीं तालिबान कंधार के बाद निष्कंटक काबुल की ओर बढ़ रहा है और भारत ने काबुल में रहने वाले अपने नागरिकों के लिए सलाह जारी कर दी है।
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