प्रियंका चोपड़ा और निक जोन्स की बेटी के साथ ही एक बार फिर से सरोगेसी पर बहस तेज हो गयी है। क्या होती है सरोगेसी? और क्यों इसका चलन घातक हो सकता है, इस पर विचार करना चाहिए। प्रियंका चोपड़ा से पहले भी कई सेलेब्रिटी ने सरोगेसी से बच्चे पाए हैं। बॉलीवुड से ही प्रीति जिंटा, शिल्पा शेट्टी, करण जौहर, शाहरुख खान, एकता कपूर, तुषार कपूर जैसे लोग शामिल हैं। और करण जौहर, एकता कपूर, तुषार कपूर जैसे लोग तो विवाह किए बिना ही इस तकनीक की सहायता से मातापिता बन चुके हैं।
अब इसमें प्रियंका चोपड़ा का नाम जुड़ चुका है।
सरोगेसी का अर्थ होगा है यदि कोई महिला या तो बच्चा न पैदा करना चाहे या फिर उसे कोई मेडिकल समस्या है, जैसे गर्भधारण से महिला की जान को खतरा हो या वह बच्चा पैदा करने में अक्षम है तो ऐसे में किसी दूसरी महिला की कोख को किराए पर लिया जाता है। इसी प्रक्रिया को सरोगेसी कहते हैं।
इस पर फिर से बहस आरम्भ हो गयी है। प्रसिद्ध लेखिका तसलीमा नसरीन ने इस मुद्दे पर एक ट्वीट किया, जिसमें हालांकि उन्होंने नाम किसी का नहीं लिया, परन्तु इस प्रक्रिया पर निशाना साधा और ट्वीट किया कि
उन्होंने लिखा कि सरोगेसी इसीलिए संभव है क्योंकि अमीर लोग हमेशा ही समाज में गरीबी चाहते हैं, और वह भी अपने हितों के लिए। अगर आपको किसी बच्चे का लालन पालन करने के लिए किसी की जरूरत है तो आपको केवल ऐसी को नौकरी पर लेना है, जिसके पास घर नहीं है। बच्चों में आपके गुण आने चाहिए- यह केवल संकीर्णता से भरी स्वार्थी सोच है!
इस पर लोगों ने उनका विरोध करना आरम्भ कर दिया। लोगों का कहना है कि यह उनकी पसंद है और वह किसी भी तरीके से अभिभावक बनना चुन सकते हैं।
परन्तु यह भी प्रश्न उठता ही है कि जिस बच्चे को कोख में रखकर अनुभव नहीं किया गया है, तो वह किस प्रकार से उस बच्चे के साथ जुड़ पाएंगे और यह बहुत ही स्वाभाविक प्रश्न है क्योंकि गर्भावस्था के उन नौ महीनों में महिला जो कुछ भी खाती पीती है, जैसा वह सोचती है वैसा ही बच्चे के भाव आते हैं।
गर्भावस्था में यदि यह विचार आते रहेंगे कि यह गर्भ तो मात्र पैसों के लिए है, तो क्या यह सब भाव बच्चे में नहीं पहुंचेंगे? किसी का भी बीज हो गर्भ में, परन्तु उसके विचार तो उसकी माँ के अनुसार ही होंगे, जिसने उसे अपनी कोख में रखा है, यही कारण है कि गर्भावस्था में महिलाओं को प्रसन्न रहने एवं स्वस्थ आहार लेने की बात की जाती है।
उन्होंने एक और ट्वीट किया कि उन महिलाओं को कैसा महसूस होता होगा जब उन्हें सरोगेसी से रेडीमेड बेबी मिलता होगा? क्या उनमें अपने बच्चों को लेकर वही भावनाएं उमड़ती होंगी जैसे उन माओं में उमड़ती है, जो बच्चों को जन्म देती हैं।
एक यूजर ने समर्थन करते हुए लिखा कि उन्हें भी तसलीमा जैसा ही अनुभव होता है। यह ऐसा ही जैसे आपने किसी को कच्चा माल दिया और बना बनाया उत्पाद ले लिया, और कुछ पैसे दे दिए। सरोगेसी केवल अनैतिक ही नहीं है बल्कि आपराधिक भी है। इसमें बच्चों के साथ आप भावनात्मक रूप से कैसे जुड़ सकते हैं, यही वह भावना है, जो आपके साथ पूरे जीवन भर रहती है।
इस पर हालांकि उन्हें कई लोगों ने घेरा और इसके साथ ही ट्विटर पर यह बहस छिड़ी है कि, प्रियंका चोपड़ा को अपना जीवन क्यों नहीं जीने दिया जाता, परन्तु वह लोग यह भूल जाते हैं कि सेलेब्रिटी जो जीवनशैली जीते हैं, उसका प्रभाव आम जन पर पड़ता है और यदि सेलिब्रिटी ही अपने जीवन में शिशु को खरीदेंगे तो आम जनता पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? क्योंकि बाजार उन्हें ही नायक बनाकर प्रस्तुत करता है!
इसके साथ ही इसमें कहीं न कहीं महिलाओं का भावनात्मक शोषण भी सम्मिलित होता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि सरोगेसी में बच्चों को जन्म देने वाली महिला को पर्याप्त धन मिलता है, परन्तु क्या वह पूरे नौ महीनों तक उस बच्चे के साथ मानसिक नहीं जुड़ जाती होगी या फिर फेमिनिस्ट के लिए मातृत्व मात्र एक शारीरिक प्रक्रिया है, उसमें भावनातमक कुछ नहीं है? और वह महिला जिसने जन्म दिया होता है, वह किन स्वास्थ्य परिस्थितयों से होकर गुजरती है, और लगातार बनने वाले दूध को यदि बच्चे द्वारा प्रयोग न किया जाए, तो कैसी परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है, इस ओर भी इन वोक और फेमिनिस्ट का ध्यान नहीं जाता है।
इसी बात को लेकर पुरुषों के लिए कार्य करने वाली एक संस्था ने ट्वीट किया कि
फेमिनिस्ट के लिए मैरिटल रेप तो अमानवीय है, परन्तु सरोगेसी, जहाँ पर एक कथित अमीर दंपत्ति किसी दूसरी महिला को मानसिक और भावनात्मक रूप से शोषण का शिकार बना रहा है, वह आधुनिकता का प्रतीक है और कूल है। हम प्रियंका और निक को इसलिए बधाई नहीं देंगे क्योंकि मातृत्व कोस्मिक गेम नहीं है
जो लोग इसे एक महिला का विकल्प बता रहे हैं, वह यह भूल रहे हैं कि यदि कोई महिला अमीर कपल के लिए सरोगेसी के लिए इच्छुक भी होती है तो उसमें स्पष्ट है कि पैसा ही मुख्य होता है और यह वास्तव में किसी जरूरत मंद महिला का भावनात्मक शोषण ही है और कुछ नहीं!
तसलीमा नसरीन ने दो और ट्वीट किए, जिनमें एक में उन्होंने लिखा कि वह तक तक सरोगेसी को स्वीकार नहीं करेंगी जब तक अमीर महिलाएं भी सरोगेट माँ नहीं बनती और जब तक पुरुष भी प्यार से बुर्का नहीं पहनते मैं बुर्के को स्वीकार नहीं करूंगी और वह तब तक वैश्यावृत्ति स्वीकार नहीं करेंगी जब तक पुरुष भी यौनकर्मी नहीं बनते और महिला ग्राहकों की प्रतीक्षा करते, तब तक सरोगेसी, बुर्का, वैश्यावृत्ति महिलाओं और गरीबों का शोषण हैं.
फिर उन्होंने आज ट्वीट किया कि उनके सरोगेसी के ट्वीट उनके विचार हैं, यह प्रियंका निक के विषय में नहीं हैं. उन्हें इस जोड़े से प्यार है
परन्तु यह भी सत्य है कि फेमिनिस्ट द्वारा इसे व्यक्तिगत पसंद बताना या फिर पेशा बताना किसी बौद्धिक कुतर्क या छल से कम नहीं है। यह अमीरों द्वारा गरीबों और गरीबी के साथ किया गया भद्दा मजाक है!
हाँ, यदि मेडिकल रूप से महिला के गर्भधारण करने में समस्या है तो इसका प्रयोग करना चाहिए, परन्तु अमीरों द्वारा और सेलेब्रिटी द्वारा बिना कारण उठाया जाने वाला यह कदम सहज और स्वाभाविक नहीं है।
Hindus ne 1947 ke baad bharat ko secular country banane ke baad dusri Jo sabse badi galati ki hai woh hai feminism ko accept karna
Surrogacy was introduced for those mothers physically incapable of giving birth on their own. Not to be misused by these lazy fatso celebrities whose only contribution in life is virtue signalling & giving unsolicited inane gyan on anything under the sun! That 75+ year old woman in AP who gave birth to twins with ART through her own uterus is mother extolled & exemplified than these fake feminists & celebrities!
It’s not just birth of the baby that these impotent celebrities outsource but also parenting the baby which will be equally outsourced to a nanny while these celebrities live a fake indulgent life, boozing, attending rave parties, public shows & everything else useless & unproductive!
Lets hope the baby born to such lousy woke couples doesn’t end up becoming a victim of the debilitating woke gender identity politics these adult wokes believe in exclusively!