मजहब के नाम पर भारत से अलग हुए पाकिस्तान में हिन्दुओं के लिए अत्याचारों का दौर अभी जारी है। हिन्दू लड़कियों का अपहरण तो हो ही रहा है, मगर उसके इतर भी कई कृत्य हो रहे हैं। क्या कोई सोच सकता है कि एक समुदाय को पानी ही देने से इंकार कर दिया जाएगा?
मगर पाकिस्तान में हुआ है। पाकिस्तान में हिन्दू मेघवार समुदाय को पानी तक देने से इंकार कर दिया गया है। पाकिस्तान वाच के अनुसार एक दिल दहला देने वाली घटना में, सिंध के थारपारकर जिले के ढाली तालुका के चापर खोसो गांव में हिंदू मेघवार समुदाय के सदस्यों को पहले पानी तक जाने से मना किया गया और बाद में स्थानीय मुसलमानों राजू खोसो, सिकंदर खोसो और अन्य लोगों द्वारा गांव से निकाल दिया गया।
इस निर्दयी बहिष्कार और निष्कासन की घटना के चलते महिलाओं और बच्चों सहित हिंदुओं को थाने के बाहर खुले आसमान के नीचे शरण लेने के लिए विवश होना पड़ा। वह पुलिस के पास भी एफआईआर दर्ज कराने के लिए लेकिन दुर्भाग्य से उनकी बात नहीं सुनी गयी और वह निराशा में डूब गए।
पाकिस्तान जैसे देश में अल्पसंख्यक समूहों के प्रति इस तरह का भेदभावपूर्ण व्यवहार असामान्य नहीं है। हालाँकि, पानी और घर जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए तरसाना दरअसल मानवाधिकारों का उल्लंघन है और इसे किसी भी परिस्थिति में माफ़ नहीं किया जा सकता है।
अब यह स्थानीय अधिकारियों पर निर्भर करता है कि वह प्रभावित समुदाय के सदस्यों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए त्वरित कार्रवाई करे। पुलिस को तुरंत प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए और इस अत्याचार के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए।
वहां पर हिन्दुओं के लिए स्थितियां इस सीमा तक परेशान करने वाली हो गयी हैं कि उनकी कल्पना ही कठिन हो जाती है। होली पर हाल ही में हिन्दुओं पर कॉलेज में हमला किया गया था,
इतना ही नहीं। अब तो एक और हिन्दू लड़की का अपहरण और जबरन निकाह भी सामने आ गया है। जब कथित महिला दिवस पर तमाम तरह के महिलाओं के विमर्श तैयार किए जा रहे थे, उस समय भी पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों पर अत्याचार जारी थे।
उस समय भी एक 17 वर्षीय हिन्दू लड़की लक्ष्मी का अपहरण उसके घर से आशिक खोसो और उसके दो दोस्तों ने कर दिया था
इतना ही नहीं एक बीस वर्षीय हिन्दू युवती गुडी भील का अपहरण कर लिया गया था और उसका जबरन निकाह सिकंदर बजीर से कर दिया गया। उसका नया नाम समीना बजीर है
पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ तमाम तरह के अत्याचार लगातार होते रहे हैं और होते रहते हैं, परन्तु अन्तराष्ट्रीय समुदाय जैसे आँखें मूंदे बैठा है। यूएनओ जैसी संस्थाएं भी इस बात पर मौन रहती हैं कि हिन्दुओं पर अत्याचार आखिर कब रुकेगा? या फिर उनके लिए आवाज कौन उठाएगा?
सब्र का बाँध कब तक रहेगा? यहाँ पर प्रश्नों का सागर है, परन्तु जैसे सागर की कोई सीमा नहीं है, हिन्दुओं के दुखों की भी कोई सीमा नहीं है।