चर्चों में होने वाली यौन शोषण की घटनाएं दुनिया भर में व्याप्त है। पहले इस तरह की घटनाओं को दबाया जाता था, लेकिन समय के साथ साथ पश्चिमी मीडिया में इन्हे पुरजोर तरीके से उजागर किया जाता है, हालांकि भारत में अभी भी ऐसी घटनाओं पर मीडिया और सामाजिक संस्थाएं चुप ही रहती हैं। यह देखने में आया है कि चाहे वह सेक्स से वंचित कैथोलिक पादरी हों या पेंटेकोस्टल पादरी, यह लोग चर्चों में महिलाओं और बच्चों का यौन शोषण करते हैं। इस लेख के माध्यम से कुछ सबसे चौंकाने वाली घटनाओं को सूचीबद्ध किया गया है।
1) केरल में कैथोलिक पादरी रॉबिन वडक्कुमचेरी द्वारा एक 16 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार – पादरी रॉबिन द्वारा प्रताड़ित लड़की ने एक बच्चे को जन्म दिया और रॉबिन ने उसे छिपाने के लिए उसके माता-पिता, अस्पताल के कर्मचारियों, अनाथालय के कर्मचारियों और अन्य सभी लोगों को प्रलोभन दिए। उसने पीड़िता के गरीब पिता पर ही बलात्कार का आरोप लगाया और उन पर दबाव दाल कर यह बात मनवा भी ली। घटना का पता लगने पर पादरी ने भागने का प्रयास भी किया, बाद में पकडे जाने पर उसने लड़की से शादी करने का प्रस्ताव भी रखा।
पादरी ने अपने संपर्कों का दुरूपयोग किया, और न्यायालय में सुनवाई के दौरान पीड़िता को यह कहने के लिए विवश किया कि यह उसने आपसी सहमति सम्बन्ध बनाये थे। लड़की को यह कहने पर भी विवश किया गया कि पुलिस और मजिस्ट्रेट ने उस पर दबाव डाल कर पादरी के विरुद्ध वक्तव्य देने का दबाव डाला था। स्थानीय चर्च पत्रिका संडे शालोम ने एक संपादकीय में पीड़ित लड़की को ही अपराध के लिए उत्तरदायी बताया था। इस पत्रिका ने बड़ी ही बेशर्मी से लड़की के चरित्र को लक्षित करते हुए कहा कि उसे अपनी गलती का उत्तर भगवान् को स्वयं ही देना होगा।
पादरी रॉबिन जब कलपेट्टा में सेंट डी पॉल चर्च से जुड़े थे, तब भी उन पर कम उम्र की लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार करने का भी आरोप लगाया गया था। चर्च पर यह भी आरोप है कि उसने पीड़ितों को गोपनीयता बनाए रखने और आरोप दायर करने से रोकने के लिए भुगतान किया है। चर्च ने इन आरोपों को दबाने में मदद की, जिसने उन्हें पीडोफिलिया में लिप्त रहने के लिए प्रोत्साहित किया। बाद में केरल उच्च न्यायालय ने उनकी सजा को भी घटाकर 10 साल कर था।
2) आंध्रप्रदेश में ईसाई पादरी ने चार वर्ष 17 महिलाओं का यौन शोषण किया – यह घटना आंध्रप्रदेश की है, जहां धर्मांतरण का काम जोर शोर से चल रहा है, वहीं एक पादरी ने मात्र चार वर्षों में १७ महिलाओं का यौन शोषण किया। पादरी उन महिलाओं को यह कहकर धमकाता थे कि अगर वह चर्च परिसर छोड़ने का प्रयत्न करेंगी तो उनके परिवार को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। महिलाओं के अलावा सात लड़कों को वहां जबरन रखा गया और उनका भो शोषण किया गया।
जब पुलिस ने पीड़ित महिलाओं से पूछताछ की, तो कई ने पादरी के डर से कुछ नहीं कहा, जबकि कुछ अचेत अवस्था में थीं और वक्तव्य देने में असमर्थ थीं। यह बताया गया कि यह महिलाएं अब सामान्य व्यवहार करने में असमर्थ हो गयी हैं, अपने परिवार को भूल चुकी हैं। पादरी ने उनका मानसिक शोषण भी किया और इसका प्रभाव अब उनपर जीवन भर रहेगा।
3) केरल में पादरियों द्वारा यौन शोषण के मामले बहुतायत में सामने आते हैं। इस घटना में एक विवाहित महिला का यौन शोषण 5 पादरियों ने कई वर्षों तक किया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार सबसे पहले मलंकारा सीरियन ऑर्थोडॉक्स चर्च के पादरी ने इस पहिला को शादी का प्रलोभन दे कर उसका यौन शोषण किया था। जब विवाहिता ने ग्लानि में आ कर अपने विवाह पूर्व संबंध को एक अन्य पादरी के समक्ष स्वीकार किया, तो उस पादरी ने इस बात का फायदा उठा कर महिला को धमकी दी कि वह उसके पति को सब कुछ बता देगा, और उसके पश्चात उसका शोषण करना शुरू कर दिया।
इन पादरियों ने महिला की आपत्तिजनक चित्रों का दुरूपयोग किया और अन्य पादरियों को वितरित कर दिया। महिला के साथ कुल 5 पादरियों ने यौन शोषण किया। इस मामले में भी चर्च ने पीड़िता को ही दोष दिया, चर्च ने कहा कि महिला ने झूठा दावा किया कि उसके साथ पादरियों ने 380 बार यौन शोषण किया गया। चर्च ने इस मामले को महिला और उन पांच पादरियों के मध्य एक प्रेम प्रसंग बता कर उन्हें एक प्रकार से दोष मुक्त करने का प्रयास किया।
4) मई 2022 को, कैथोलिक पादरी फादर थॉमस परक्कुलम को 4 अवयस्क छात्राओं के साथ बलात्कार करने के लिए 18 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। वह चेन्नई स्थित सोसाइटी ऑफ यूजीन डी माजेनोड से जुड़े थे और कोट्टारकरा के पास पुल्माला में होली क्रॉस सेमिनरी में एक पादरी के रूप में कार्य करते थे। पुलिस के अनुसार इस पादरी ने चर्च में प्रशिक्षण ले रहे नवयुवकों का भी यौन शोषण किया था। यह पादरी पुलिस की हिरासत से छूट कर भाग गया था, हालांकि उसे बाद में फिर से पकड़ कर जेल में डाल दिया गया था।
5) केरल की 16 वर्षीय फातिमा सोफिया का कैथोलिक पादरी फादर अरोकियाराज द्वारा यौन शोषण और हत्या कर दी गयी थी, उसके पश्चात चर्च ने इस घृणित अपराध को दबाने का प्रयास किया। इस मामले में मृतका की माँ पर चर्च ने दबाव डाल कर गलत शिकायत दर्ज करवाई, जिसमे पादरी के नाम का उल्लेख ही नहीं था। हालांकि फादर अरोकियाराज ने पीड़िता की माँ के समक्ष यह स्वीकार किया था कि कि उसने ही उसकी बेटी की हत्या की थी, लेकिन चर्च और प्रशासन की मिलीभगत के कारण इस मामले को आत्महत्या बता कर बंद कर दिया गया था।
लड़की की माँ को इस प्रसंग के बारे में तब पता लगा जब उन्हें सोफिया की किताब में पादरी अरोकियाराज का एक प्रेम पत्र मिला। पादरी ने कैननिकल कमेटी के समक्ष यह स्वीकार किया था कि उसने लड़की का “दुरूपयोग” किया था और उसके पश्चात उसकी हत्या कर दी थी। फिर भी, चर्च ने इस घटना के बारे में पुलिस को सूचित नहीं किया, वहीं लड़की की माँ ने यह दावा किया कि चर्च के सदस्यों को इस घटना और पादरी की संलिप्तता के बारे में पूरी तरह से पता था।
मृतका की माँ ने पुलिस से पुनः इस मामले की जांच करने का निवेदन किया, जिसे नहीं माना गया। बाद में वह विवश हो कर मीडिया के पास गई और सब कुछ उजागर कर दिया। परिणामस्वरूप चर्च के लोगों ने मृतका के घर पर पथराव किया गया, उसकी माँ को विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा, उन्हें चर्च से निष्काषित कर दिया गया और उसकी बेटी को बिना संस्कारों के दफना दिया गया।
6) 2015 में, मुंबई में एक कैथोलिक पादरी द्वारा 12 साल के लड़के का यौन उत्पीड़न किया गया था। जब पीड़ित के माता-पिता ने चर्च से न्याय पाने का प्रयास किया, तो उन्हें हतोत्साहित करने के लिए कहा गया कि इस मामले को दबा दिया जाए, क्योंकि वह एक लड़का है। लड़के ने अपना जीवन समाप्त करने की कोशिश की और फिर से यौन शोषण होने के डर से वह चर्च जाने से भी डरता था। पुजारी के समर्थकों ने पीड़ित के परिवार के बारे में कई गलत अफवाहें फैलाईं, वहीं चर्च ने इस मामले में भी पूरी तरह से आरोपी का ही समर्थन किया।
7) 2014 में, चर्च ऑफ साउथ इंडिया (सीएसआई) के पादरी को 2 अवयस्क लड़कियों के साथ बलात्कार करने और दलालों को बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पादरी ने लड़कियों को छोटे-छोटे उपहारों और पैसों का प्रलोभन दिया और उन्हें अपने प्रेम जाल में फंसा लिया। भ्रमित हो कर लडकियां अपने घरों से भाग गयी और पादरी के घर पहुंच गयीं, जहाँ पादरी और उसके मित्र ने दोनों के साथ बलात्कार किया। यही नहीं, इसके पश्चात पादरी ने दोनों लड़कियों को एक वेश्यावृत्ति कराने वाले डाला को भी बेच दिया था।
8) पश्चिम बंगाल में एक पादरी ने 12 साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया, जिससे वह गर्भवती हो गई और जीवन के लिए संघर्ष कर रही थी। इस गरीब लड़की को उसकी मां ने बचपन में ही छोड़ दिया था, वहीं उसका पिता मानसिक रूप से अस्थिर था। इस कारण से वह अपनी दूर की रिश्तेदार के साथ रह रही थी, जिसका पति एक पादरी था। इस पादरी ने उस लड़की का बचपन से ही यौन शोषण करना प्रारम्भ कर दिया था। लड़की ने अपनी रिश्तेदार महिला को इस घटना के बारे में बताया, लेकिन उसने भी उसी को चुप रहने की धमकी दी।
कुछ समय पश्चात लड़की गर्भवती हो गयी , तब पादरी घबरा गया और उसे एक चिकित्सक के पास ले गया। चिकित्सक ने पादरी को गर्भपात का सुझाव दिया क्योंकि 12 साल की बच्ची शारीरिक रूप से एक बच्चे को जन्म देने के लिए अयोग्य थी। उसने कुछ इंजेक्शन लगाया और बाद में भ्रूण की गर्भ में ही मृत्यु हो गई थी, जिस कारण लड़की की जान को भी खतरा उत्पन्न हो गया था।
9) पंजाब में एक ‘दलित’ लड़की को एक पादरी ने फुसलाया और उसका जबरन धर्म परिवर्तन करा कर उसके साथ बलात्कार किया। बाद में उस पादरी ने उस लड़की को एक अन्य ईसाई व्यक्ति को 1 लाख रुपये में बेच दिया। जिसने उसे अपने घर में जबरन बंद कर उसका यौन शोषण किया।
10) दिल्ली में एक अपंजीकृत ‘बच्चों का घर’ चलाने वाले एक पादरी ने 7 साल तक एक अवयस्क लड़की का यौन उत्पीड़न किया। वह उसे घरेलू सहायिका के रूप में भी उपयोग करता था। यह मामला खुलने पर लड़की ने बताया कि उस पादरी ने कई वर्षों तक कई लड़कियों और लड़कों का भी यौन शोषण किया था।
इन घटनाओं से पता चलता है कि कैसे चर्च, एक संस्था के रूप में, आध्यात्मिकता के नाम पर पीडोफाइल और यौन शोषण करने वाले पादरियों का समर्थन और उन्हें प्रोत्साहित भी करता है। चर्च ही नहीं, उनसे जुड़ी अन्य संस्थाएं भी यौन शोषण के गढ़ हैं, जहां पर कहीं न कहीं खुलेआम लड़कों और लड़कियों का यौन शोषण होता है, और हर प्रकार की शिकायतों को दबाने का प्रयास भी किया जाता है।
English to hindi- Manish Sharma