बिहार में एक ऐसी घटना सामने आई है, जो सभी का दिल दहला देने केलिए पर्याप्त है। पहले लोगों को लगता था कि आफताब ने जो किया, वही शायद सबसे घिनौना रहा होगा, मगर अब जो बिहार से सामने आया है, वह नृशंसता एवं क़ानूनहीनता की सबसे बड़ी घटना तो है ही, साथ ही यह उस आजादी के दुष्परिणाम को भी बताती है, जिसने आज की हिन्दू “औरतों” को अपने चंगुल में सबसे अधिक फंसा रखा है।
क्या पति और परिवार से बाहर प्रेम की आजादी खोजने की जिद्द के चलते यह हो रहा है? पहले घटना को जानते हैं। यह घटना घटी है भागलपुर में जहाँ पर किसी शकील नामक आदमी ने नीलम यादव पर हमला किया, उसके अंगों पर वार किया, उसके अंगों को काटा। जब तक महिला को अस्पताल ले जाया गया, उसकी मौत हो गयी थी। इस घटना से सोशल मीडिया स्तब्ध रह गया था। स्तब्ध इसलिए क्योंकि यह घटना दिन में हुई थी और कोई सहज अनुमान ही नहीं लगा सकता था कि ऐसा भी हो सकता है।
भागलपुर में नीलम यादव की भरे बाजार धारदार हथियार से काटकर हत्या कर दी गयी।
इस क्रूरता से हर कोई दहल गया था। और शकील मियाँ को हिरासत में लिए जाने की मांग हो रही थी। हालांकि अब उसे हिरासत में ले लिया गया है,
जहाँ पहले यह घटना बार-बार यह कह रही थी, कि शकील मियाँ नीलम से अपरिचित हैं और नीलम देवी के पति का कहना था कि वह शकील मियाँ को नहीं जानते हैं। परन्तु आज मीडिया के अनुसार यह घटना भी कहीं न कहीं उसी भाव से उपजी है जिसमें शायद भटकाव होता है।
जागरण के अनुसार अशोक यादव की पत्नी नीलम देवी की बेरहमी से की गयी हत्या में उसके बहुत नजदीकी रहे शकील मियाँ का नाम आया है, जिसके नीलम के साथ बहुत ही नजदीकी सम्बन्ध थे। हालांकि नीलम ने अचानक से पारिवारिक दबाव के चलते दूरी बना ली जिसके चलते शकील ने इतना बड़ा कदम उठाया। जागरण के अनुसार “पीरपैंती थानाध्यक्ष राजकुमार ने बताया कि नीलम और शकील के खेत का सिमाना एक ही जगह था। इसलिए नीलम के घर शकील का आना-जाना लगा रहता था। इस दौरान दोनों काफी नजदीक हो गए थे। उन दोनों की नजदीकी से नीलम के घर वाले नाराज हो नीलम को भला-बुरा कह दिया था। शकील को भी चेतावनी देकर घर आने से मना कर दिया था। फिर शकील ने नीलम से संपर्क बनाने का जब भी प्रयास किया वह उसे टाल दी रही थी। नीलम से हो रही उपेक्षा से वह कुपित हो गया था। फिर उसने धारदार हथियार से नीलम को कत्ल करने के इरादे से बेरहमी से उसके अंगों पर वार पर वार कर काटता चला गया।“
वहीं कुछ मीडिया पोर्टल इसे लेकर यह कह रहे हैं कि नीलम देवी ने शकील मियाँ से कुछ पैसे उधार लिए थे। अब वह पैसे वापस लेने का दबाव बना रहा था और मृतका पैसे नहीं चुका पा रही थी, तो शकील ने यह कदम उठाया। प्रभातखबर के अनुसार
“भागलपुर के एसएसपी बाबू राम ने कहा कि पीरपैंती थाना अंतर्गत एक महिला की हत्या मामले में अभी तक की जांच से ये पता चला है कि मृतका तथा अभियुक्त दोनों के खेत अगल-बगल में हैं। अभियुक्त ज्यादातर बासा में ही रहता था। दोनों में घनिष्ठ संबंध थे। मृतका ने अपनी लड़की की शादी में अभियुक्त से कुछ पैसे उधार लिये थे। अभियुक्त पैसे लौटाने के लिए दबाव बना रहा था। मृतका पैसे नहीं लौटा पा रही थी। इसको लेकर एक महीना पहले भी दोनों पक्षों में विवाद हुआ था।”
यह बात तो स्पष्ट हो रही है कि कहीं न कहीं शकील मियां और नीलम आपस में परिचित तो थे ही और नजदीकियां भी थीं। तो फिर ऐसा क्या हुआ कि शकील ने इतना बड़ा कदम उठाया। यदि पैसा उधार लिया था तो भी इस घटना के लिए पुलिस में शिकायत की जा सकती थी और यदि उसने कथित प्रेम प्रसंग में ऐसा कदम उठाया था तो भी यह कदम और ऐसी नृशंस हत्या कहीं न कहीं उस मानसिकता को बताती है जो हद से अधिक क्रूर है।
अवैध सम्बन्धों को सामान्य बनाने का दुष्परिणाम तो नहीं हैं ऐसी घटनाएं?
यदि यह घटना प्रेम प्रसंग के चलते हुई है तो यह देखना होगा कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? आखिर ऐसा क्या है जिसके चलते यह घटना हुई। यदि जागरण वाली बात सत्य है तो यह भी विचारने की बात है कि इसके पीछे के कारण क्या हैं? महिला के पति ने कहा कि शकील मियाँ से उनकी कोई रंजिश नहीं थी। अशोक यादव का कहना था कि उन्होंने शकील से मना किया था कि वह उनके घर न आया करें, क्योंकि वह खराब आदमी है।
कैसा खराब आदमी, में बताया गया कि कह चोरी-चकारी आदि करता है। मगर यह भी प्रश्न उठता है कि वह आता क्यों था? यदि आपराधिक प्रवृत्ति शकील की बाद में पता चली तो ऐसी क्या घटना हुई थी? और यदि पुलिस की बात ठीक है तो इसके पीछे कहीं न कहीं उन फिल्मों एवं धारावाहिकों की भी बहुत बड़ी भूमिका है, जो पति से इतर सम्बन्ध बनाने को बहुत सामान्य बताती हैं, या फिर दोस्ती का अर्थ ही कथित गंगा जमुना तहजीब बना दिया है!
एक नहीं बल्कि कई धारावाहिक इसे बहुत सामान्य बताते हैं कि पति के साथ से ऊबा जा सकता है। एक फिल्म आई थी “कभी अलविदा न कहना”, जिसमें शाहरुख खान, प्रीति जिंटा, रानी मुखर्जी आदि मुख्य भूमिका में थीं। उस फिल्म में शाहरुख खान और रानी मुखर्जी अपनी अपनी शादियों से खुश नहीं थे। अभिषेक बच्चन का चरित्र बहुत ही केयरिंग पति का था, मगर रानी मुखर्जी उससे खुश नहीं होती है तो वहीं शाहरुख की पत्नी की भूमिका निभा रही प्रीति जिंटा भी अपने पति के लिए समर्पित पत्नी होती है, परन्तु फिर भी शाहरुख़ अपनी पत्नी से खुश नहीं होते हैं और शाहरुख और रानी मुखर्जी अपनी अपनी शादियों को तोड़ते हैं।
इस शादी तोड़ने को इस फिल्म के प्रचार में मुख्य बिन्दू बनाया गया था। और यह हैरानी व्यक्त की जाती थी कि आखिर कोई भी दंपत्ति कैसे जीवन के इतने वर्ष साथ काट सकते हैं, जब प्यार ही नहीं!
ये जो प्यार की आजादी जैसे शब्द हैं, इन्होनें हिन्दू स्त्रियों को बहुत भ्रमित किया है। टीवी पर आने वाले तमाम धारावाहिक भी यह प्रदर्शित करते हैं कि जैसे एक उम्र के बाद पति और पत्नी के बीच प्रेम समाप्त हो जाता है। कई ओटीटी में ऐसे प्रसंग दिखाए गए हैं जिनमें यह प्रमाणित किया जाता है कि दरअसल अधेड़ उम्र की औरतें एक ऐसे अकेलेपन से होकर गुजरती हैं, जहाँ पर उन्हें दैहिक और मानसिक रूप से साथ की जरूरत होती है, जिसे एक प्रेमी या परपुरुष ही पूरी कर सकता है। एक नहीं कई ऐसी सीरीज आई थी। जिनमें पति से बाहर के संबंधों को एकदम सामान्य तो दिखाया ही था, साथ ही यह भी दिखाया था कि हिन्दू महिलाओं का ध्यान उनके पति नहीं रखते हैं। जैसे netflix पर ज़िन्दगी इन शॉर्ट में दिव्या दत्ता एवं नीना गुप्ता वाले एपिसोड, पूरी तरह से महिलाओं को पति से बाहर की ओर धकेलने के लिए ही थे।
इसका दूसरा एपिसोड था उसमें दिव्या दत्ता का पति संजय कपूर अपने दोस्त के सामने अपनी पत्नी को स्लीपिंग पार्टनर कहता है और वह इस उम्र तक जब उनकी किशोर बेटी कहीं होस्टल में पढ़ रही है, वह विरोध नहीं करतीं।
यौन रूप से अतृप्त रखना ही हिन्दू पुरुषों का काम है, ऐसा दिखाया जाता है और महिलाएं भी कहीं न कहीं इस जाल में फंस जाती हैं। ऐसे एक नहीं कई मामले सामने आते हैं जिनमें महिलाएं अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कर देती हैं।
कई बार उनकी हत्या होती है तो कई बार वह कई मुसीबतों में फंसती हैं। परन्तु यह मामला इसलिए दुर्लभ श्रेणी का है क्योंकि यह हत्या क्रूरतम तरीके से की गयी है।
देखना होगा कि क्या घर से महिलाओं को सड़क की ओर धकेलने वाला फेमिनिज्म इस घटना पर कुछ कहता है या नहीं?