HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
29 C
Sringeri
Monday, June 5, 2023

आर्यन खान मामले में अंतत: आ ही गया “मुस्लिम सुपरस्टार” का कार्ड

शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान का मामला अब हिन्दू मुसलमान होता जा रहा है। कल तक पूरे देश का कथित चहेता सुपरस्टार अब कुछ एक्टिविस्ट पत्रकारों और नफरत फैलाने वालों की निगाहों में केवल और केवल मुस्लिम सुपर स्टार हो गया है।

पसमांदा मामले पर भागने वाली आरफा खानम शेरवानी ने एक बार फिर से समाज को तोड़ने वाली और अपना पिछड़ा और कट्टरपंथी इस्लामी रूप दिखाते हुए कहा है कि

“आर्यन खान मामले का कोई भी लेना देना ड्रग्स का सेवन करने से नहीं है, मगर इसमें शाहरुख खान को निशाना बनाया जा रहा था। आर्यन खान के जमानत लेने के मूल अधिकार को भी इस स्वतंत्र देश में इंकार किया जा रहा है। शाहरुख खान निश्चित ही हमारे समय के सबसे बड़े मुस्लिम सुपर स्टार है। यह शाहरुख खान के लिए सन्देश है कि या तो हमारा साथ दो या फिर सजा के लिए तैयार हो जाओ!”

हालांकि जनता अब इस प्रकार के विक्टिम कार्ड को झेलने के लिए तैयार नहीं है। परन्तु यह देखना वास्तव में हैरान करता है, कि जिस देश में बहुसंख्यक हिन्दुओं ने कला के नाम पर धर्म नहीं देखा और कला को हमेशा ही धर्म और मजहब से परे माना, उस देश में देश की कानूनी एजेंसियों को यह अधिकार भी नहीं है कि वह किसी मुस्लिम कलाकार के बेटे को ड्रग्स के लिए हिरासत में ले सकें?

क्या इस देश में मुस्लिम पहचान संविधान और क़ानून सभी से बढ़कर हो गयी है? क्या अब इस देश में मुसलमान हर बात पर अपने पीड़ित होने का विक्टिम कार्ड खेलेंगे? क्या वह इसलिए यह करते हैं कि उनके कुकृत्यों का हिसाब न माँगा जाए?

संजय दत्त को भी एके 47 रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, संजय दत्त के पिता अभिनेता होने के साथ साथ नेता भी थे, पर किसी ने भी यह नहीं कहा कि हिन्दू होने के कारण उन्हें फंसाया जा रहा है। हिन्दुओं के लिए सदा अपराध महत्वपूर्ण है। परन्तु इन जहर फैलाने वाले कथित पत्रकारों के लिए मुस्लिम पहचान किसी भी देश के संविधान से भी कहीं बढ़कर है। वह ही श्रेष्ठ हैं, यह भाव उनके दिल का स्थाई भाव है क्योंकि उनके अनुसार उन्हीं को जन्नत नसीब होगी एवं शेष लोग जहन्नुम में जाएंगे।

खैर वह मजहबी बात हो जाएगी। परन्तु जो सबसे महत्वपूर्ण है वह यह प्रश्न कि क्या मुसलमानों को इस आधार पर कि वह अल्पसंख्यक हैं (कथित रूप से), हर प्रकार का अपराध करने की छूट दी जा सकती है? क्या भारत के संविधान ने अल्पसंख्यकों को यह सब अपराध करने का भी विशेषाधिकार दे रखा है?  क्या क़ानून में उनके अपराधों के लिए मजहब के आधार पर छूट है? नहीं, ऐसा नहीं है!

फिर ऐसा क्यों होता है कि पहचान लेने के लिए, और उस पहचान से पैसे कमाने के लिए कोई धर्म या मजहब की दीवार नहीं होती है और जैसे ही आप कानून के जाल में फँसते हैं, आपकी कथित अल्पसंख्यक पहचान जाग जाती है?

बार बार ऐसा ही होता है।  यहाँ तक कि दुर्दांत अपराधियों के लिए भी यही विक्टिम कार्ड खेला जाने लगा है। आरफा जैसे लोगों को जब आईना दिखाया जाता है तो वह उसी तरह से भाग जाती हैं, जैसे उस दिन पसमांदा मुसलमानों की समस्या सुनकर भाग गयी थीं। जब डॉ फैयाज़ ने प्रश्न किया था कि आखिर वह देशी मुसलमानों की मूल समस्या के बारे में बात क्यों नहीं करना चाहती हैं?

दुर्भाग्य की बात यही है कि इस देश में जहां पर कथित रूप से हिन्दू बहुसंख्यक है, वहां पर वह धर्म से परे जाकर दिलीप कुमार, शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान, आदि की फ़िल्में सुपरहिट करवा सकता है और साथ ही वह उन्हें सुपरस्टार की उपाधि भी दे सकता है, वह सलीम जावेद द्वारा लिखी गयी हिन्दू घृणा पर भी सहज कुछ नहीं कहता था, फिर भी वह “साम्प्रदायिक” है, और वहीं जो लोग लगातार मुस्लिम पहचान, मुस्लिम तहजीब और विक्टिमाईजेशन की बात करते हैं, वह “सेक्युलर हैं”!

आरफा जैसे लोग जो खुले आम यह कह सकते हैं कि उन्हें रणनीति बदलनी है, लक्ष्य नहीं, वह खुलकर अपना मुस्लिम कार्ड खेल सकते हैं, और बरसों तक शाहरुख खान को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में, जो क़ानून का पालन करता है, जिसके लिए उसका देश और उसके क़ानून ही सर्वोपरि हैं, पर्दे पर देखने वाला हिन्दू, शाहरुख खान या पूरे बॉलीवुड से यह अपेक्षा भी नहीं कर सकता है कि वह लोग गलत के विरोध में बोलेंगे? यदि बोलेंगे नहीं भी तो कम से कम मुस्लिम कार्ड का विरोध करेंगे?

बुद्धिजीवियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वह ऐसी किसी भी हरकत का विरोध करेंगे या फिर नेताओं से यह उम्मीद की जाती है कि वह गलत का विरोध करेंगे। पर अब तो कांग्रेस का पक्ष रखने वाले कथित एक्टिविस्ट तहसीन पूनावाला खुलकर शाहरुख के पक्ष में आ गए हैं और उन्होंने कहा है कि “महात्मा गांधी के बाद यदि किसी हिन्दुस्तानी को विदेशों में पहचाना जाता है तो वह शाहरुख खान हैं!”

यह किसी भी देश का दुर्भाग्य होगा कि एक नशेड़ी बेटे का पिता और वानखेड़े स्टेडियम में नशे में हाथापाई करने वाला व्यक्ति किसी भी देश की पहचान बने!

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.