“शैतानी संजाल, अपराध की ढाल”, पाञ्चजन्य, जनवरी 11, 2025
“जिस प्रकार चंदन गुप्ता हत्याकांड के आरोपियों को बचाने में एनजीओ और प्रभावी चेहरे सक्रिय थे, वैसी ही सक्रियता बहराइच के राम गोपाल मिश्रा के हत्यारोपियों और दिल्ली दंगों के आरोपियों को बचाने में दिखी थी। कट्टरपंथियों और एनजीओ की अंतरराष्ट्रीय शक्तियों से इसी गठजोड़ पर एनआईए अदालत ने गंभीर सवाल उठाए हैं
भारत में कुछ वर्ष पहले तक मुस्लिम कट्टरपंथी केवल सनातन परंपरा की यात्राओं पर हमले करते थे, लेकिन अब राष्ट्रीय पर्व और तिरंगा यात्रा पर भी हमले करने लगे हैं। कट्टरपंथी हमलावरों को बचाने के लिए बाकायदा एक नेटवर्क काम कर रहा है, जो सत्ता के गलियारों से लेकर अदालतों तक सक्रिय है। इसमें कुछ सामाजिक संगठन का मुखौटा ओढ़े एनजीओ भी शामिल हैं, जिन्हें कट्टरपंथियों को सजा से बचाने और उनकी आर्थिक सहायता के लिए विदेशों से पैसे मिलते हैं। इसकी स्पष्ट झलक दिल्ली के दंगों में देखी गई थी और अब चंदन गुप्ता हत्याकांड में तो न्यायालय के सामने ही सात एनजीओ के नाम आगे आए हैं। हाल ही में एनआईए अदालत ने इस मामले में 28 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने इस हत्याकांड के आरोपियों को बचाने में देसी-विदेशी एनजीओ की भूमिका और उनके विदेशी वित्त पोषण पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
भारत ने विकास की एक नई अंगड़ाई ली है। आर्थिक, सामाजिक, तकनीकी ही नहीं, अंतरिक्ष अनुसंधान में भी नए आयाम स्थापित हुए हैं, जिसका लोहा पूरे विश्व ने माना है…..”
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