spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
19.1 C
Sringeri
Saturday, December 14, 2024

ग्रैमी विजेता रिकी केज ने शरणार्थियों द्वारा प्रस्तुत भारतीय राष्ट्रीय गान का मर्मस्पर्शी वीडियो बनाया; लेकिन हिंदू-सिख शरणार्थियों को क्यों भूल गए ?

भारत में इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस बड़े धूम धाम से मनाया गया। इस अवसर पर, प्रसिद्ध संगीतकार और ग्रैमी पुरस्कार विजेता रिकी केज ने हमारे राष्ट्रगान को बड़े ही भावनात्मक तरीके से प्रस्तुत किया है। उन्होंने और चार देशों के 12 शरणार्थी गायकों ने मिल कर भारतीय राष्ट्रगान का भाव विह्वल कर देने वाला वीडियो प्रस्तुत किया है। यह वीडियो संयुक्त राष्ट्र भारत और संयुक्त राष्ट्र रिफ्यूजी एजेंसी (यूएनएचसीआर) ने मिल कर बनाया है। इस वीडियो में हमारे पडोसी देशों श्रीलंका, म्यांमार, अफगानिस्तान और अफ्रीका के कैमरून के नागरिकों को दिखाया है, जो किन्ही कारणों से भारत में शरण ले चुके हैं।

भारतीय सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने इस वीडियो को ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा है: “दुनिया भर से भारत के लिए सम्मान और प्रेम आ रहा है! भारत के 75 वें आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर, ग्रैमी पुरस्कार विजेता – @rickykej और 4 राष्ट्रीयताओं के 12 शरणार्थी गायक राष्ट्रगान को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

वीडियो में दिख रहे लोगों में अफगानिस्तान के अब्दुल्ला, श्रीलंका की दिसांथाना और कैमरून के ओडेत्ते सम्मिलित हैं। इनके अतिरिक्त म्यांमार से औरा, रेम मावी, लेन नुआम, विक्टर, मारिया, मुआनपी, और चान भी इस वीडियो में दिखाए गए हैं। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी रविवार को यह वीडियो साझा किया और कहा था कि : “भारत हमारे अस्थिर से ग्रस्त पडोसी देशों के इन युवाओं के दिलों में रहता है, जिन्होंने भारत माता की शरण में आशा और भविष्य पाया है।”

वहीं यूएनएचसीआर इंडिया ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लिखा, “भारत के 75वें आजादी का अमृत महोत्सव के लिए, 12 शरणार्थी गायकों के साथ 2 बार के ग्रैमी पुरस्कार विजेता रिक्की केज की भावनाओं और माधुर्य के मिश्रण के साथ भारत के राष्ट्रगान को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यूएनएचसीआर ने आगे लिखा कि, ‘हम इस 75वें स्वतंत्रता दिवस पर भारत के लोगों को बधाई देते हैं। हम आपकी दयालुता, प्यार और समर्थन के लिए भारत के लोगों और सरकार को धन्यवाद देते हैं।

वीडियो में कोई हिन्दू-सिख शरणार्थी क्यों नहीं है?

हम भी इस प्रयास की सराहना करते हैं, और हमे पूरा विश्वास है कि इस तरह के वीडियो से यह सन्देश दुनिया में जाएगा कि भारत कैसे अपने पडोसी देशों के शरणार्थियों को गले लगता है, उनके धर्म, जात आदि को देखे बिना उन्हें पूरा सम्मान दिया जाता है। यह दिखाता है कि हम कैसे एक अत्यधिक अस्थिर पड़ोस में रहते हैं, जहाँ लोगों पर अत्याचार होता है तो उन्हें भारत ही एक सहायक देश के रूप में दिखता है, जहाँ उन्हें सुरक्षा, शरण, और एक उज्जवल भविष्य मिल सकता है।

लेकिन यहाँ एक प्रश्न भी उठता है, कि इस वीडियो में दिखाए गए 12 शरणार्थियों में कोई हिन्दू-सिख शरणार्थी क्यों नहीं है ? अगर हम भारतीय उपमहाद्वीप की बात करें, तो स्वतंत्रता के पश्चात यहाँ हिन्दू ही सबसे अधिक मात्रा में शरणार्थी बने हैं। विभाजन के समय लाखों हिन्दू और सिख पाकिस्तान से अपना घर बार छोड़ कर आने पर विवश किये गए थे। उसके पश्चात भी हमारे तीनो पडोसी इस्लामिक मुल्कों से हिन्दू और सिखों का पलायन चलता ही रहा।

इन इस्लामिक देशों में हिन्दुओं और सिखों की संख्या दिन प्रति दिन कम होती जा रही है। अभी भी हर वर्ष हजारों की संख्या में इन मुल्कों से हिन्दू और सिख अपना घर बार छोड़ कर आते हैं और भारत में शरण लेते हैं, क्योंकि इनके साथ इन मुल्कों में बहुत ही बुरा व्यवहार किया जाता है। इन लोगो का अवैध धर्मांतरण किया जाता है, हिन्दू और सिख लड़कियों का अपहरण कर उनका निकाह मुस्लिमों से करवाया जाता है, ताकि वहां जनसांख्यिकी बदलाव लाये जा सकें। यही कारण है कि स्वतंत्रता के समय इन मुल्कों में हिन्दुओं और सिखों की संख्या अच्छी खासी हुआ करती थी, लेकिन अब नगण्य हो चुकी है।

क्या संयुक्त राष्ट्र को हिन्दू-सिख शरणार्थियों के कष्ट नहीं दिखते?

क्या ऐसा माना जाए कि संयुक्त राष्ट्र, यूएनएचसीआर, और रिकी केज को भारत में एक भी हिंदू या सिख शरणार्थी नहीं मिला? या उन्होंने हिन्दू और सिख शरणार्थियों को इस अभियान में सम्मिलित करना लायक ही नहीं समझा?

प्रश्न कड़ा है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की कार्यविधि से यही लगता है कि वह मानवाधिकार के विषयों पर, शरणार्थियों के विषयों पर दोमुंहा व्यवहार करता है। यह वीडियो तथाकथित उदारवादियों और संयुक्त राष्ट्र के अत्यधिक पक्षपाती दृष्टिकोण का एक उदाहरण भर है। उन्होंने चुनिंदा रूप से मुस्लिम, ईसाई और यहां तक कि बौद्ध शरणार्थियों को इस वीडियो में लिया है, लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी शरणार्थी आबादी (हिंदू-सिख) को गायब कर दिया है।

संयुक्त राष्ट्र कभी भी हिंदुओं के जबरन उत्पीड़न के मुद्दों को नहीं उठाता है । यह ऐसा संस्थान है जो हिंदूफोबिया की अवधारणा को कभी स्वीकार नहीं करता है, जिसका उपयोग हिंदुओं की आवाज को दबाने के लिए किया जाता है। वहीं पाकिस्तान की सरकार के आग्रह पर इन्होने इस्लामोफोबिया को स्वीकार कर लिया था, जिसका उपयोग कट्टर इस्लामिक लोग अपने बुरे कृत्यों को छिपाने के लिए और सहानुभूति पाने के लिए करते हैं।

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.