“मंदिर की माँग करने वाला हिंदू ‘तानाशाह-अत्याचारी’, हिंदू हमेशा कानून के खिलाफ: सुप्रीम कोर्ट से रिटायर जज सुप्रीम कोर्ट के ही राम मंदिर फैसले पर रोए”, ऑपइंडिया, दिसंबर 06, 2024
“सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड जज रोहिंटन नरीमन ने एक लेक्चर के दौरान राम मंदिर पर दिए गए फैसले की आलोचना की है। उन्होंने इसे ‘न्याय का मजाक’, सेक्युलरिज्म का उल्लंघन करने वाला फैसला करार दिया, हिन्दुओं को कानून के खिलाफ रहने वाला बताया, मस्जिदों के खिलाफ याचिका डालने को दैत्य के सर की तरह बताया।
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवम्बर, 2019 को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का पटाक्षेप कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने लगभग एक दशक तक सुनवाई करने के बाद इस दिन हिन्दू पक्ष में फैसला दिया था। इसको लेकर लम्बे समय तक देश के बुद्धिजीवी और कट्टरपंथी वर्ग ने रोना-धोना किया था। इसके बाद मंदिर भी बन गया और लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं ने दर्शन भी कर लिए। लेकिन जिस तरह पुरवाई हवा चलने पर पुराना दर्द उठ पड़ता है, उसी तरह अब भी कभी-कभार लिबरल जमात के मन में यह हूक उठती ही रहती है।
राम मंदिर के फैसले को लेकर विलाप करने वालों में नया नाम उसी बिरादरी से है, जिसने उसे बनाने का फैसला दिया था। कॉन्ग्रेस सरकार में देश के सॉलिसिटर जनरल रहे और बाद में सुप्रीम कोर्ट में जज बने रोहिंटन नरीमन ने एक लेक्चर के दौरान राम मंदिर पर दिए गए फैसले की आलोचना की है। उन्होंने इसे ‘न्याय का मजाक’, सेक्युलरिज्म का उल्लंघन करने वाला फैसला करार दिया, हिन्दुओं को कानून के खिलाफ रहने वाला बताया, मस्जिदों के खिलाफ याचिका डालने को दैत्य के सर की तरह बताया…….”
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