spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
31 C
Sringeri
Saturday, April 20, 2024

आदिपुरुष की रिलीज़ तिथि टली, होगा वीएफएक्स में सुधार: जनता ने किया था “मुस्लिम लुक” वाले हनुमान जी आदि का विरोध

प्रभु श्री राम पर बनने वाली फिल्म आदिपुरुष की रिलीज़ को कुछ समय के लिए टाल दिया गया है और अब यह फिल्म जून 2023 में रिलीज़ होगी। आज आदिपुरुष की टीम की ओर से यह औपचारिक घोषणा की गयी। ओम राउत ने इस फिल्म के रिलीज की तिथि बदलने की घोषणा करते हुए लिखा कि वह अब इसके वीएफएक्स पर और अधिक कार्य करेंगे और फिर ही फिल्म रिलीज होगी।

ओम राउत ने ट्वीट करके साझा किया कि

आदिपुरुष केवल एक फिल्म नहीं, प्रभु श्री राम के प्रति भक्ति व हमारे गौरवशाली इतिहास और संस्कृति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

दर्शकों को एक अद्भुत अनुभव देने के लिए, आदिपुरुष के निर्माण से जुड़े लोगों को थोडा अधिक समय देने की आवश्यकता है।

आदिपुरुष अब 16 जून 2023 को रिलीज होगी

यह घोषणा इसलिए और महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि जितना ही इस फिल्म के लुक्स का विरोध हो रहा था, उतना ही उसे मनोज मुन्तशिर द्वारा सही भी ठहराया जा रहा था। लोगों को इस बात का बुरा लग रहा था कि आखिर गलत का समर्थन इस सीमा तक क्यों किया जा रहा था। इस फिल्म का टीजर आते ही लोग भड़क गए थे। लोगों ने प्रश्न उठाए थे और कहा था कि जब प्रभु श्री राम ने अपनी खड़ाऊँ भरत को दे दी थीं, तब वह ऐसे में सैंडल कैसे पहनकर चल सकते हैं? प्रभु श्री राम के चेहरे से स्वाभाविक सौम्यता पूरी तरह से गायब है!

कृति सेनन की छवि तनिक भी सीता माता की नहीं थी और हनुमान जी तो पूरी तरह से अब्राह्मिक चरित्र ही लग रहे थे। समस्त धार्मिक चरित्रों के विकृत चित्रण को यह कहकर उचित ठहराया जा रहा था कि वह आज के समय के अनुसार बनाई जा रही है। रावण की लंका जो सोने की लंका थी, उसे भी विकृत रूप से काली काली दिखाया गया था। रावण का स्वरुप भी कहीं से वाल्मीकि रामायण में चित्रित चरित्र के जैसा नहीं था। रावण के पुष्पक विमान को एक राक्षसी स्वरुप में परिवर्तित कर दिया था।

लोग इस हद तक इसके विरोध में आ गए थे कि उन्होंने इस फिल्म के बॉयकाट का भी अभियान चला दिया था। हालांकि ओम राउत और मनोज मुन्तशिर इसे बार-बार कहते रहे कि उन्होंने कहानी में छेड़छाड़ नहीं की है, तो क्या प्रभु श्री राम का चमड़े के सैंडल पहनना कहानी के साथ खिलवाड़ नहीं था? प्रभु श्री राम के सन्यासी रूप के साथ छेड़छाड़ कहानी के साथ छेड़छाड़ नहीं थी? क्या पुष्पक विमान का विकृत रूप रामायण को विकृत करना नहीं है?

वहीं इस फिल्म में जिन कलाकारों को लिया गया है, उनमें से कई लोगों की सोच अत्यंत संकुचित है, जिसमें सैफ अली खान की छवि तो पूरी तरह से हिन्दू विरोधी है ही। सैफ अली खान का यह स्पष्ट मानना ही है कि वह हिन्दू धर्म को नहीं मानते हैं,। और उनका वह वीडियो वायरल है ही, जिसमें उन्होंने तैमूर नाम रखे जाने को लेकर स्पष्ट किया था। और जब मनोज मुन्तशिर यह लिखते हैं कि आदिपुरुष में काम करने वाले सभी प्रभु श्री राम का आदर करते हैं, तो दीपावली पर सोनल चौहान, जो इस फिल्म में उर्मिला का चरित्र निभा रही हैं, क्या लिखती हैं वह देखना चाहिए: उसने लिखा था कि दीवाली पर पटाखा चलाइये नहीं, पटाखा बनिए

लोगों को रावण और खिलजी के लुक को लेकर आपत्ति थी जिस पर मनोज मुन्तशिर से उस पूरे लुक को सही ठहराया था।

हालांकि इसके बाद भी लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था और उन्होंने प्रश्न किए थे कि क्या हनुमान जी को चमड़ा पहनाया जाएगा? लोगों ने तब भी विरोध किया था

परन्तु उसके बाद भी एक प्रकार से यह कुतर्क चालू रहे थे, लोगों ने ओम राउत के ट्वीट पर हनुमान जी का लुक साझा करते हुए लिखा है कि हमें क्या अपेक्षा थी और हमें क्या मिला है:

मनोज मुन्तशिर को भी अपने ट्वीट पर अभी भी लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। एक यूजर ने लिखा कि पहले ताना जी में एक राजपूत को कट्टर मुस्लिम के रूप में दिखा दिया था और वह फिल्म सफल रही थी, और इस बार आपने वही कार्य रावण के चरित्र के साथ किया, परन्तु इस बार आपने सीमा लांघ दी है

इस पर लोगों ने ताना जी फिल्म से ही और उदहारण दिए कि कैसे हिन्दी फ़िल्में हिन्दू भावनाओं के साथ खेल करती हैं

इस पर लोगों ने उनके इस लेख को भी घेरा जिसमें मनोज मुन्तशिर यह अनुरोध करते हुए दिखाई दिए थे कि यह रामायण को वैश्विक ले जाने की यात्रा है

यही समस्या आती है। वैसे तो रामायण स्वयं में वैश्विक है ही। आज रामायण का मंचन कहाँ नहीं होता है, फिर भी यदि रामायण को वैश्विक बनाना भी था तो उसके लिए प्रभु श्री राम को ग्रीक योद्धा क्यों दिखाना है? आज भी रामानंद सागर की रामायण को लोग उतनी ही श्रद्धा से देखते हैं, जितनी पहले देखते थे। वैश्विक बनने के लिए, वैश्विक दिखने के लिए अपने विमर्श को हानि पहुंचाना और अपनी वेशभूषा को त्यागना कहाँ की समझदारी है?

आज भी रामचरित मानस को उसी श्रद्धा के साथ पढ़ा जाता है, जितना आज से सैकड़ों वर्ष पूर्व पढ़ा जाता था, क्या गोस्वामी तुलसीदास जी ने तत्कालीन विमर्श के अनुसार प्रभु श्री राम के रूप में परिवर्तन किया था?

क्या उन्होंने तत्कालीन विमर्श के अनुसार पात्रों के रूप में परिवर्तन किया था? क्या उन्होंने माता सीता के वस्त्रों आदि को यह कहते हुए परिवर्तित किया कि हमें वैश्विक विमर्श के अनुसार माता सीता का रूप बदल देना है? जैसा अभी कृति सेनन को सीता रूप में लाकर किया गया है या फिर प्रभु श्री राम को ग्रीक योद्धा दिखाकर किया गया है”? या फिर रावण के स्वरुप को बदल कर किया गया?

रावण एक खलनायक है, परन्तु वह वैम्पायर नहीं है? वह चमगादड़ पर बैठकर उड़ने वाला वह वैश्विक (ईसाई अवधारणा के अनुसार मोनेस्टर नहीं है) खलनायक नहीं है जो हैरी पॉटर जैसी किसी किताब का कोई राक्षस लगे? यह कहाँ की बुद्धिमानी है कि अपनी कथा, अपने इतिहास को आप पश्चिम की दृष्टि से परोसें? फिर आप कोई काल्पनिक कथा लिखें न, रामायण पर यह प्रयोग क्यों? प्रभु श्री राम पर यह प्रयोग क्यों? प्रभु श्री राम पर प्रयोग नहीं किया जाता, उनकी भक्ति की जाती है!

कथा का अनुकूलन कभी भी उस कल्चर के अनुसार कैसे कर लिया जाएगा, जिसका विश्वास ही हमारी कथा पर नहीं है? जो हमारी कथाओं को मिथक समझती है? क्या हम उस कल्चर के लिए फ़िल्में बनाएँगे या लिखेंगे जिसकी दृष्टि में राम कुछ हैं ही नहीं?

राम को हिन्दू दृष्टि से हम जगत के सम्मुख प्रस्त्तुत करेंगे या फिर प्रभु श्री राम से पहले हिन्दू स्वरुप छीनेंगे, उन्हें सेक्युलर और वैश्विक बनाएंगे और फिर जगत के सम्मुख प्रस्तुत करेंगे?हमने अपने पहले के लेख में भी कहा था कि यह डिजिटल अनुकूलन कैसे प्रभु श्री राम, माता सीता की छवि के साथ खिलवाड़ कर रहा है! कैसे कुपोषित कृतिसेनन हमारी सीता माता नहीं लग रही है! क्या हम अपनी देवियों का अनुकूलन पश्चिम के सौन्दर्य के मापदंड के अनुसार करेंगे?

देखना होगा कि फिल्म में क्या परिवर्तन आते हैं क्योंकि कई लोगों को अभी भी विश्वास नहीं है कि ऐसा कुछ होगा जो उनके भरोसे पर खरा उतरेगा!

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.