कुछ हिन्दू लड़कियों के दिल में मुस्लिमों के लिए एक सॉफ्ट कार्नर होता ही है। इसके कई कारण हम कई दिनों से पढ़ ही रहे हैं। इनमें कई पहलुओं के साथ हिन्दू स्त्रियों के सामने मुगलों की एक विशेष छवि और अपने हिन्दू नायकों के गौरव गान का न होना भी एक कारण है। एक फिल्म आई थी “जोधा-अकबर”! उस झूठी कहानी को सुपरहिट कराने वाले कौन थे? अकबर को हिन्दुओं से कितना प्रेम था, यह पानीपत के युद्ध के बाद दिखाई देता है। अल-बदाऊंनी ((१५४० – १६१५) ने मुन्तखाब-उत-तवारीख (Muntakhab–ut–Tawarikh) में लिखा है:
“जब विजय के बाद दूसरे दिन बादशाह पानीपत आया तो उसने मरे हुए सैनिकों के सिरों की मीनार बनाई!” (पृष्ठ 10)
इसके बाद अय्याशियों पर क्या लिखा है, वह देखा जाए। उसने इसी पुस्तक के पृष्ठ 59 पर लिखा है “और इसी स्थान पर (मथुरा के आसपास) बादशाह ने अमीरों के साथ शादियों के माध्यम से रिश्ते बनाने का सोचा। दिल्ली पर सबसे पहले चर्चा की गयी और कव्वालों एवं हिजड़ों को उन अमीरों के हरमों में से लड़कियों को चुनने के लिए भेजा गया। और फिर शहर में आतंक छा गया।”
“आगरा के सरदार शेख बादाह की एक बहू थी। जिसका शौहर जिंदा था, मगर जो बहुत सुन्दर थी। एक दिन बादशाह की नज़र उस पर पड़ी और अकबर ने आगरा के सरदार के पास एक सन्देश भेजा कि वह उसकी बहू से निकाह करना चाहता है। और यह मुगल बादशाहों में नियम है कि अगर किसी बादशाह ने किसी औरत पर शारीरिक सम्बन्ध बनाने/निकाह करने के लिए निगाह डाल दी तो उस औरत के शौहर को हर हाल में अपनी बीवी को तलाक देना होगा। जैसा सुलतान अबू सैद और मीर चोबन और उसके बेटे दमश्क ख्वाजा की कहानी में दिखाया गया है। फिर अब्दुल वासी ने यह आयत पढ़ी “खुदा की धरती बहुत चौड़ी है। इस संसार के मालिक के लिए यह दुनिया बहुत संकुचित नहीं है।” और फिर उसका शौहर अपनी बीवी को तीन बार तलाक बोलकर दक्कन में बीदर चला गया और उसकी बीवी अकबर के हरम में आ गयी।
उससे पहले अकबर राजा भारमल की बेटी से निकाह कर चुका था (जिसके नाम के विषय में लेख में नीचे दिया है)। उसकी पहली बीवी उसके चाचा हिंदाल मिर्जा की बेटी थी, दूसरा निकाह हुआ था अब्दुल्ला खान मुगल की बेटी से, और फिर तीसरा निकाह उसने अपनी उस फुफेरी बहन से किया था, जिसका निकाह बैरम खान के साथ हुमायूं ने कराया था और फिर बैरम खान की कथित रूप से की गई हत्या के साथ अकबर ने उसके साथ निकाह कर लिया था।
इसी पुस्तक में इसी स्थान पर जब लिखा है कि मुगल बादशाह की नज़र पड़ने पर शौहर को अपनी बीवी को तलाक देना होता था, तो वह “कोड्स ऑफ चंगेज़ खान” के अनुसार होता था।
और यही कोड्स ऑफ चंगेज़ खान हैं, जिसके अनुपालन में जहांगीर अपनी अम्मी “मरयममुज्ज़मानी (Maryamuzzamani) के सम्मान में तब झुकता है जब वह लाहौर में उससे मिलने के लिए आती हैं। जहांगीर ने अपनी आत्मकथा तुजुके-जहांगीरी (अनुवाद Wheeler M. Thackston-व्हीलर एम थैक्स्टन ) में लिखा है “खुसरो की तलाश में मैंने अपने बेटे खुर्रम को महलों और खजाने की रक्षा के लिए नियुक्त कर दिया था और मेरा दिमाग शांत हुआ तो मैंने खुर्रम से कहा कि वह माननीय “मरयममुज्ज़मानी (Maryamuzzamani) और शेष हरम को लाहौर लाए। जब वह लाहौर पहुँची तो मैं एक नाव पर बैठकर अपनी अम्मी का स्वागत करने गया। कोरुनुश, और सिजदा और तस्लीम और वह सारी औपचारिकताएं करने के बाद, जो चंगेज़ कोड और तैमूर नियमों में छोटों के लिए बताई गयी हैं, मैंने शाम राजा के साथ बिताई।”
जिन बादशाहों को अपना मानने और जिनका डीएनए एक मानने की सनक है, वह अपनी अम्मी को कैसे सलाम किया जाए, उसके लिए कोड ऑफ चंगेज़ खान का सहारा लेते हैं, उसमें वह अपनी अम्मी के चरण स्पर्श नहीं करते! और उन्हें अपना बनाने के लिए, होड़ लगी हुई है!
जब इतिहास की किताबों में जहांगीर की माँ का नाम मरयममुज्ज़मानी (Maryamuzzamani) है, तो जोधा-अकबर जैसी झूठी कहानी को सुपर हिट कराने का कार्य क्या केवल मुस्लिम कर सकते हैं? नहीं! उसे सुपरहिट कराने में हिन्दुओं का ही हाथ है! और फिल्म अनारकली में एक दृश्य है जिसमें जहांगीर को कृष्ण भगवान को झूला झुलाते हुए दिखाया गया है। और वही लोगों के दिमाग में बैठा है। मगर तुजुके-जहाँगीरी के मिस्टर रोजर द्वारा किए गए अनुवाद में यह स्पष्ट लिखा है कि जहांगीर के लिए हिन्दू धर्म क्या था। जहांगीर ने पुष्कर झील के पास के अपने वर्णन में लिखा है
“अजमेर में झील के आसपास काफिरों की भाषा वाले कई मंदिर दिखाई देते हैं। उन्हीं में से एक मंदिर राणा शंकर ने बनवाया था, जो विद्रोही अमर का चाचा था और हमारे दरबार के प्रमुख सरदारों में से एक था, राणा ने उसमें एक लाख रूपए खर्च किए थे। उस मंदिर को जब मैं देखने गया तो मैंने देखा कि काले पत्थरों से एक मूर्ति बनी है और उसमें सिर “सुअर” (वराह) के आकार का है और शेष शरीर इंसान का है। हिन्दू धर्म कितना बेकार है कि एक बादशाह को, जो उस समय सर्वोच्च है, उसके सामने यह दिखा सकता है। और पूजा भी कर सकता है। मैंने उस अपवित्र आकार को तोड़ने और फिर उसे तालाब में फेंकने का आदेश दिया।” (पृष्ठ 254)
पर हमारे समाज की लड़कियों के सामने क्या पेश किया गया कि अकबर ने हिन्दू जोधा से शादी करके उसे वही रहने दिया था और जहांगीर हिन्दू देवी देवताओं का सम्मान करता था।
बल्कि जिस लव जिहाद की आज बातें होती हैं, उन घटनाओं की शुरुआत में जहांगीर का क्या कहना था, यह भी पढ़ना होगा। हिन्दुओं से प्यार करने वाले जहांगीर का कहना था कि “हिन्दू लडकियां इस्लाम में आ सकती हैं, मगर हिन्दुओं को मुसलमान लड़की देना? अगर किसी ने ऐसा किया तो उसे मौत की सजा दी जाएगी।” Wheeler M. Thackston द्वारा अनूदित जहाँगीर नामा में पृष्ठ 350 में लिखा है They intermarry with Hindus by both giving their daughters in marriage and taking them from Hindus। Taking them is all well and good, but giving them to Hindus God forbid! It was commanded that henceforth such customs would not be allowed, and anyone who committed such practices would be executed। (पृष्ठ 350)
अर्थात वह हिन्दुओं के साथ लड़की लेकर और देकर शादी करते थे। उन्हें लेना तो ठीक है, मगर हिन्दुओं को लड़की देना, खुदा ने मना किया हुआ है! यह आदेश दिया जाता है कि आज के बाद से यह नहीं होगा और जो भी हिन्दुओं में अपनी लड़की देगा उसे मृत्यु दंड दिया जाएगा!”
और उसने यह राजौर (कश्मीर) के विषय में लिखा था।
यह माना जा सकता है कि इतिहास का अकादमिक अध्ययन अवश्य वामपंथियों के पास था, पर यह सारे प्रकरण तो पुस्तकों में थे। क्यों हिन्दुओं ने संगठित होकर मंच बनाकर इन ऐतिहासिक भूलों पर प्रश्न नहीं उठाए बल्कि झूठी फिल्मों को महान घोषित कर दिया? और उन झूठी फिल्मों का प्रतिकार तो किया ही नहीं बल्कि हमने उनके निर्माता, निर्देशकों, संगीत देने वालों, गायकों, एक्टर और ऐक्ट्रेस को महान घोषित कर दिया? “मोहे पनघट पर नंदलाल छेड़ गयो रे” पर लड़कियों को नचाया गया! और इस एक रूपक के माध्यम से एक मतान्ध इस्लामी शासक को महान हिन्दू स्थापित कर दिया!
जब हिन्दू समाज ने फिल्म जैसे सशक्त माध्यम में अपने महान इतिहास के साथ हुई छेड़छाड़ के स्थान पर उसे महान इतिहास स्वयं बना दिया तो फिर आज लव जिहाद के लिए केवल लड़की को ही दोषी कैसे ठहरा सकते हैं। वह तो ग्रूमिंग जिहाद की शिकार है, जो उसके जन्म लेने के साथ ही आरम्भ हो जाता है।
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