spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
21.8 C
Sringeri
Thursday, March 28, 2024

हत्यारे अकबर की गढ़ी गयी नकली महानता के तले दबता हिन्दुओं का आत्मसम्मान!

मुग़ल बादशाह अकबर का ध्यान आते ही ऋतिक रोशन और ऐश्वर्या राव की फिल्म का दृश्य सामने आने लगता है, और अकबर महान की कहानियां तैरने लगती हैं। और हमारे बच्चों के मन में एक ऐसी छवि बन जाती है कि आहा, कितना महान था, इससे महान तो कोई हो ही नहीं सकता! उसने हमारी हिन्दू स्त्री को स्वीकार कर अहसान किया था। आदि आदि! और जैसे ही हमारी लड़की बॉलीवुड की फ़िल्में और एनसीईआरटी की इतिहास की पुस्तक पढ़ती है, वैसे ही उसके लिए एक ऐसी भूमि तैयार हो जाती है, जिस पर धर्मांतरण का एक घर बन सकता है।

परन्तु क्या वाकई ऐसा था? क्या वाकई जोधाबाई नामक कोई स्त्री थी भी? इतिहास यह नहीं कहता! इतिहास के अनुसार अकबर की कोई भी बीवी बाद में हिन्दू नहीं रह गयी थी क्योंकि जहांगीर ने बार बार अपनी अम्मी को मरयममुज्ज़मानी के नाम से संबोधित करता है। और इसी के साथ वह चंगेज़ खान के बनाए हुए नियम के हिसाब से ही उन्हें सलाम करता है। तो जोधा का भ्रम तो यहीं टूटता है।

अकबर ने पानीपत युद्ध के बाद मारे सैनिकों के सिरों की मीनार बनाई थी और ऐसा किसी हिन्दू ने नहीं लिखा है, बल्कि अल-बदाऊंनी (१५४० – १६१५)  ने मुन्तखाब-उत-तवारीख (Muntakhab–ut–Tawarikh) में लिखा है।

और अकबर के सामने जब अचेत हेमू लाया गया था, तब तो अकबर बालक ही था, और वह बैरम खान उसका संरक्षक था, जिसे वामपंथी इतिहास ने महान बताया है। जब हेमू की आँख में तीर लग गया था और वह अचेत हो गया, तो उसे बेहोशी की अवस्था में अकबर के सामने लाया गया। बैरम खान और शेष सरदारों ने बालक अकबर से कहा कि वह उसे मारे। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि अकबर को गाजी की उपाधि धारण करने के लिए कहा गया। और कुछ इतिहासकार कहते भी हैं कि अकबर ने हेमू को पराजित करने के बाद गाजी की उपाधि धारण की। थी। इस सम्बन्ध में अल बदाऊनी का कहना यह है कि बालक अकबर के सामने जब अचेत हेमू को लाया गया तो बैरम खान ने उससे कहा कि चूंकि यह उसका काफिरों के खिलाफ पहला युद्ध था, इसलिए इस काफिर को मारकर वह गाजी की उपाधि धारण करे।

अल-बदाऊंनी ((१५४० – १६१५)  ने मुन्तखाब-उत-तवारीख में लिखा है कि अकबर ने इंकार कर दिया और कहा कि मैं तो इसे पहले ही मार चुका हूँ, इसलिए क्या मारना इसे। तब बैरम खान और शेष सरदारों ने मिलकर बेहोश हेमू का सिर धड़ से अलग कर दिया और इतना ही नहीं हेमू का कटा हुआ सिर दिल्ली के द्वार पर लटका दिया गया, जिससे हिन्दुओं के भीतर भय बैठ जाए कि उन्हें विद्रोह नहीं करना है।

मगर विसेंट ए स्मिथ इससे सहमत नहीं हैं। वह द डेथ ऑफ हेमू इन 1556, आफ्टर द बैटल ऑफ पानीपत (The Death of Hemu in 1556, after the Battle of Panipat) में अहमद यादगार को उद्घृत करते हुए लिखते हैं कि “किस्मत से हेमू के माथे में एक तीर आकर लग गया। उसने अपने महावत से कहा कि वह हाथी को युद्ध के मैदान से बाहर ले जाए। मगर वह लोग भाग न पाए और बैरम खान के हाथों में पड़ गए। इस प्रकार बेहोश हेमू को बालक अकबर के पास लाया गया, और फिर उससे बैरम खान ने कहा कि अपने दुश्मन को अपनी तलवार से मारे और गाजी की उपाधि धारण करे। राजकुमार ने ऐसा ही किया, और हेमू के गंदे शरीर से उसका धड़ अलग कर दिया।”

डे लेट (De Laet) की पुस्तक में भी यही विवरण प्राप्त होता है। डच में लिखी गयी पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद स्मिथ ने दिया है जो इस प्रकार है “ हेमू के सैनिक अपने राजा को हाथी पर न देखकर भागने लगे और मुगलों ने अधिकार कर लिया। और बैरम खान ने हेमू को पकड़ कर अकबर के सामने प्रस्तुत किया। अकबर ने अली कुली खान के अनुरोध पर अचेत और आत्मसमर्पण किए हुए कैदी का सिर तलवार से काट दिया और फिर उसके सिर को दिल्ली के द्वार पर लटकाने का आदेश दिया।”

Smith, Vincent A। “The Death of Hemu in 1556, after the Battle of Panipat।” Journal of the Royal Asiatic Society of Great Britain and Ireland, 1916, pp। 527–535। JSTOR, www।jstor।org/stable/25189451। Accessed 18 July 2021

इस्लामिक जिहाद, अ लीगेसी ऑफ फोर्स्ड कन्वर्शन, इम्पीरियलिज्म एंड स्लेवरी में (Islamic Jihad A Legacy of Forced Conversion‚ Imperialism‚ and Slavery) में एम ए खान अकबर के विषय में लिखते हैं “बादशाह जहांगीर ने लिखा है कि मेरे पिता और मेरे दोनों के शासन में 500,000 से 6,00,000 लोगों को मारा गया था। (पृष्ठ 200)

और यह बहुत बड़ी विडंबना है कि गाजी अकबर को महान बनाने के लिए न केवल इतिहासकार बल्कि फिल्म निर्माता और साथ ही धारावाहिक निर्माता भी एक से बढ़कर एक झूठ बोलने लगे। झूठ परोसने लगे। और इसी झूठ का असर है कि हमारी लड़कियों के मन में वाकई एक सॉफ्ट कॉर्नर पैदा हो जाता है और वह अपने घरवालों और इतिहास की पुस्तकों एवं मनोरंजन की दुनिया के बीच फंस जाती है। यह दुखद है कि हिन्दू समाज ने हेमू को भुला दिया और अकबर को जिंदा ही नहीं रखा, बल्कि महान भी बना दिया, फिर अपने बच्चों को कैसे जिहाद समझा पाएंगे, जब हिन्दू समाज खुद ही जोधा-अकबर जैसी फ़िल्में सुपरहिट कराता है!

प्रश्न कीजियेगा कि अपनी लड़कियों को इतना सहज कैसे हमने बना दिया है? जिसने हिन्दुओं के सिरों की मीनारें बनाईं, उसे हमने अपनी बच्चियों के सामने महान बनाकर प्रस्तुत कर दिया, और फिर पूछते हैं कि बच्चियां उधर क्यों चली जाती हैं? क्योंकि हमने हेमू और महाराणा प्रताप को भुलाकर अकबर को महान बताया! कुछ प्रश्न हिन्दू समाज से हैं ही!


क्या आप को यह  लेख उपयोगी लगाहम एक गैर-लाभ (non-profit) संस्था हैं। एक दान करें और हमारी पत्रकारिता के लिए अपना योगदान दें।

हिन्दुपोस्ट अब Telegram पर भी उपलब्ध है। हिन्दू समाज से सम्बंधित श्रेष्ठतम लेखों और समाचार समावेशन के लिए  Telegram पर हिन्दुपोस्ट से जुड़ें ।

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.