spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
22.3 C
Sringeri
Thursday, April 18, 2024

मदरसों में बलात्कार और चुप्पियाँ

हाल ही में बांग्लादेश के विषय में ढाका ट्रिब्यून (Dhaka Tribune) में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसके अनुसार जनवरी से दिसंबर 2020 तक 626 बच्चों का बलात्कार बांग्लादेश में हुआ।  उसके बाद लिखा है कि आइन ए शालिश केंद्र के अनुसार मदरसा में 25 लड़कों का बलात्कार वहां के शिक्षकों, प्रधानाचार्यों या अन्य काम करने वालों के द्वारा किया गया।

उसके बाद कई बच्चों द्वारा झेले गए शोषण की कहानियाँ हैं जिनमें मदरसों में किया गया शोषण आपके रोंगटे खड़े करने के लिए पर्याप्त है।  इसमें बच्चे बता रहे हैं कि कैसे बच्चे मदरसे के शोषण से बचने की कोशिश कर रहे हैं। वह पीड़ा और अपमान से गुजर रहे हैं। एक बच्चे की कहानी है कि जुम्मन (बदला हुआ नाम)  वर्ष 2010 में केवल 12 वर्ष का था, और उसके अभिभावकों ने उसे ढाका के दक्षिणखान में स्थानीय मदरसा में भेजा। वहां पर एक शिक्षक इदरिस ने उससे कहा कि अगर वह उसकी हर बात मानेगा तो वह जन्नत जाएगा। उस सेवा में इदरिस के दाढ़ी को मेहंदी लगाना, उसके काम करना और इदरिस की मालिश करना शामिल था।

ऐसे ही एक दिन उसने जुम्मन को अपने कमरे में बुलाया और उसके साथ अप्राकृतिक कृत्य किया। जुम्मन पीड़ा में था, मगर वह बच्चा होने के नाते कुछ नहीं कर सकता था।  इस रिपोर्ट के अनुसार इदरिस ने वीडियो भी बना लिए थे और उसके बाद वह जुम्मन को धमकी देता था कि अगर उसने किसी को कुछ बताया तो जिन्न आ जाएगा।  मगर घर के आर्थिक हालातों के चलते जुम्मन इदरिस का गुलाम बना रहा।

फिर जुलाई 2019 में जुम्मन के एक भाई ने यह अनुभव किया कि जब इदरिस उसे अकेले में बुलाता है तो वह डर जाता है। फिर जुम्मन ने इतने सालों का दर्द कहा और उसके कहने पर रिपोर्ट दर्ज हुई और 22 जुलाई को इदरिस को हिरासत में ले लिया गया।  रैपिड एक्शन बटालियन के प्रवक्ता सुजय सरकार का कहना है कि लोग साधारण तौर पर यह विश्वास नहीं कर पाते हैं कि मजहबी तालीम देने वाला इंसान इज्जत लूटने जैसा गंदा काम कर सकता है।

ढाका ट्रिब्यून की इस रिपोर्ट के अनुसार लोग आवाज़ उठाने से डरते हैं। क्योंकि उन्हें मजहब का विरोधी बता दिया जाता है। ऐसा भी नहीं हैं कि केवल बांग्लादेश में ही ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार तुर्की में भी राज्य द्वारा संचालित इस्लामिक हतिप स्कूल्स में बच्चों के यौन शोषण की रिपोर्टिंग सत्ताधारी दल के आदेश पर रोक दी गयी थी।

पड़ोसी पाकिस्तान में भी मदरसे में बच्चों के यौन शोषण के मामले बहुत ज्यादा है। एसोसिएट प्रेस द्वारा की गयी एक जांच के अनुसार पाकिस्तान में मदरसा, मजहबी स्कूलों में यौन शोषण बहुत लम्बे समय से चली आ रही समस्या है। इस रिपोर्ट के अनुसार ऐसे मामले बहुत ही कम अदालतों में जा पाते हैं क्योंकि पाकिस्तान की कानूनी व्यवस्था ऐसी है जो पीड़ित के परिवार को यह आज़ादी देती है कि वह अपराध करने वालों को माफ़ कर दें और ब्लड मनी को स्वीकार कर लें।

इस रिपोर्ट के अनुसार शर्म के कारण बहुत ही कम लोग हैं, जो ऐसे मामलों में आगे आते हैं। अधिकतर मामलों में लोग चुप रहना ही पसंद करते हैं। शर्म के साथ एक और चीज़ है जिससे वह लोग लड़ते हैं वह हैं,  पैगम्बर की निंदा का क़ानून, जिसमें दोषी पाए जाने पर मौत की सजा है।  इतना ही नहीं इस रिपोर्ट के अनुसार गरीबों की बात कोई सुनता नहीं है और जिन लड़कों के साथ ऐसी हरकतें होती हैं, वह अधिकतर इसी गरीब वर्ग से आते हैं।

बांग्लादेश और पाकिस्तान की तरह भारत में भी स्थितियां भिन्न नहीं हैं। भारत में भी आए दिन मदरसों में बच्चों के साथ हुए यौन शोषण की घटनाएं आती रहती हैं।  पिछले वर्ष केरल में ही एक मामला सामने आया था जिसमें मदरसा शिक्षक पर अपनी ही बेटी के बलात्कार का आरोप था, और बलात्कार ही नहीं बल्कि जबरन गर्भपात का भी आरोप था। नाबालिग बेटी ने जब अपने ही पिता द्वारा की गयी दरिंदगी के बारे में बताया तो पता चला कि एक नहीं उसके साथ कई लोगों ने बलात्कार किया था।

मेरठ से लेकर गाज़ीपुर तक ऐसी कई कहानियाँ हैं, मगर एक बात जो ध्यान देने योग्य है वह है ऐसे मामलों पर चुप्पियों की कहानी।

मदरसे एक मजहबी तालीम के संस्थान हैं, केंद्र हैं, जहाँ पर एक मजहब की तालीम दी जाती है।  मगर ऐसा क्या कारण है कि इस केंद्र में बच्चों के साथ होने वाले अत्याचारों की हर रिपोर्ट दम तोड़ देती है, वह विमर्श का हिस्सा नहीं बन पाती है। वहीं मंदिर में एक छोटी सी घटना के कारण एक खास विचारधारा के लेखक और पत्रकार मंदिरों को तोड़ने की बात करने लगते हैं।

बांग्लादेश में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के लौटने के बाद से हिंसा की जो तस्वीरें आई थीं वह भयावह थी। मगर उससे भी ज्यादा भयावह है चुनिन्दा मीडिया का चुनिन्दा मौन! न ही वह उन हिंसक घटनाओं के विरोध में कुछ बोला और न ही 8 अप्रेल 2021 को प्रकाशित इस रिपोर्ट पर!

हाँ, यदि उनके एजेंडे के अनुसार कोई रिपोर्ट आई होती तो आज बात कुछ और होती।


क्या आप को यह  लेख उपयोगी लगा? हम एक गैर-लाभ (non-profit) संस्था हैं। एक दान करें और हमारी पत्रकारिता के लिए अपना योगदान दें।

हिन्दुपोस्ट अब Telegram पर भी उपलब्ध है। हिन्दू समाज से सम्बंधित श्रेष्ठतम लेखों और समाचार समावेशन के लिए  Telegram पर हिन्दुपोस्ट से जुड़ें ।

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.