भारत में हालांकि अभी ट्रांस का चलन नहीं आया है, परन्तु यह कितने दिन नहीं आएगा यह नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि फिल्मों के माध्यम से इसका प्रचार होने लगा है, जैसा हमने हाल ही में एक फिल्म में देखा था और अब हाल ही में केरल में एक स्कूल में जेंडर फ्री यूनिफ़ॉर्म की शुरुआत की गयी है। अर्थात लड़के और लड़कियों की एक सी ही यूनिफ़ॉर्म। ऐसा यूनिफ़ॉर्म में भेदभाव समाप्त करने के लिए उठाया गया एक कदम बताया जा रहा है। हालांकि स्कूल के इस निर्णय के खिलाफ मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने विरोध किया, परन्तु स्कूल का कहना है कि उनमें से कोई भी किसी भी बच्ची का अभिभावक नहीं है।
जेंडर न्यूट्रल से क्या भेदभाव कम होगा या और समस्याएं उत्पन्न होंगी?
जेंडर न्यूट्रल से क्या भेदभाव कम होगा या फिर समस्याएं और भी उत्पन्न होंगी। क्योंकि यह अभी तक केवल कपड़ों तक है, परन्तु जेंडर न्यूट्रल टॉयलेट की भी मांग गाहे बगाहे उठती रहती है। क्या इसमें हमारी लडकियां सहज होंगी? यह एक बड़ा प्रश्न इसलिए है क्योंकि पश्चिम अब इन्हीं जेंडर विमर्शों से उपजी समस्याओं के दायरे में है। वहां पर ट्रांस-वुमन के स्टेट्स के कई दुरूपयोग सामने आए हैं।
हमने अपने पिछले लेख में बताया था कि ट्रांस-वुमन क्या होती हैं, जिनका शरीर पुरुष का हो मगर उसकी यौनिक पहचान महिला की हो और अब इसके व्यापक विस्तार पर आते हैं।
26 अक्टूबर 2021 को बीबीसी में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई जिसमें यह लिखा था कि हम पर कुछ ट्रांस महिलाओं ने सेक्स के लिए दबाव डाला!”
जेनी नामक “समलैंगिक” महिला ने कहा कि वह समलैंगिक है और उसे महिलाओं के साथ यौन सम्बन्ध बनाना पसंद है, परन्तु उन महिलाओं के साथ जो बायोलोजिकल महिलाएं हैं। जेनी कहती है कि चाहे कोई कितनी भी अपनी यौनिक पहचान महिला की बताए, मगर यदि वह शारीरिक रूप से पुरुष है तो आप उसे महिला कैसे मान सकते हैं? जेनी बताती है कि उन्हें अब यह मानने के लिए बाध्य किया जा रहा है कि एक पुरुष के यौनांग दरअसर एक महिला के यौनांग है क्योंकि वह इंसान जो आदमी के शरीर में है, मगर चूंकि वह खुद को महिला मानता है, इसलिए वह महिला है!
आप भ्रमित हो गए न? हर कोई होता है और हो रहा है, परन्तु फेमिनिज्म के बाद यह समाज को तोड़ने के लिए और हमारे बच्चों को परिवार से अलग करने के लिए और समाज में एक और विघटन के लिए भूमिका तैयार हो रही है और पश्चिम में अब महिलाओं में ही इन ट्रांस महिलाओं को शामिल किए जाने की वकालत की जा रही है!

आपराधिक तत्वों द्वारा लाभ उठाया जाना
क्या इन कथित ट्रांस महिलाओं को महिलाओं की श्रेणी मेंलाने से महिलाएं सुरक्षित रह सकेंगी? यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है जिनका सामना आज पश्चिम कर रहा है। भारत में भी फिल्मों के माध्यम से बच्चों के मस्तिष्क में यह बातें स्थापित की जाने लगी हैं कि यह बहुत सामान्य है और लैंगिक एवं यौनिक पहचान में अंतर है।
भारत में भी कई कॉर्पोरेट अब जेंडर के मुद्दों को लेकर कथित रूप से संवेदनशील हो गए हैं और जेंडर भेदभाव के नाम पर वोकिज्म के जाल में फंस रहे हैं।
भारत में भी बलात्कार के मामलों को जेंडर न्यूट्रल करने की मांग की जा रही है!
जेंडर न्यूट्रलिटी के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं और यहाँ तक कि सभी सेक्सुअल अपराधों को जेंडर न्यूट्रल बनाने की मांग की जा रही है. अर्थात यदि लडकी के साथ कोई अपराधी बलात्कार करता है और यदि वह कहता है कि वह ट्रांस-जेंडर है अर्थात वह न ही पुरुष है और न ही महिला, तो क्या होगा?
दिल्ली की निर्भया का मुकदमा लड़ने वाली सीमा कुशवाहा का कहना है कि यदि हर सेक्सुअल अपराध को जेंडर न्यूट्रल बना दिया जाएगा तो भारत में महिलाओं को लिंग के आधार पर होने वाली हिंसा से बचाना बहुत कठिन हो जाएगा.
हालांकि राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी इस मामले को जिन्दा करने की कोशिश कर चुके हैं और राज्य सभा में प्राइवेट मेंबर बिल ला चुके हैं कि अपराधी और पीड़ित को जेंडर न्यूट्रल कर दिया जाए। उन्होंने राज्य सभा में कहा था कि बिल का उद्देश्य महिलाओं के बलात्कार या भेदभाव के अनुभव या पीड़ा को कम करके आंकना नहीं है, परन्तु एक समाज के तौर पर हमें सभी के लिए सम्वेदना जगानी चाहिए और इसमें पुरुष और ट्रांसजेंडर बलात्कार पीड़ित भी शामिल होने चाहिए!
पश्चिम में कुछ बेहद चौंकाने वाले मामले सामने आए थे
यह सब बातें सुनने में बहुत अच्छी लगती हैं, परन्तु उनके परिणाम बहुत भयावह होते हैं और इनसे पश्चिम जूझ रहा है। हाल ही में कई ऐसे मामले आए जिनमें पुरुष के शरीर में औरत का दावा करने वालों ने असली औरतों के साथ बलात्कार किया।
कैम्ब्रिजशायर में जनवरी में एक ट्रांसमहिला को बलात्कार के आरोप में पंद्रह वर्ष की सजा सुनाई गयी है, जिसने पीड़िता के साथ इतनी बुरी तरह से बलात्कार किया था कि उस लड़की को अभी तक दुस्वप्न आते हैं और वह चीखती है।

ऐसे ही कई मामले अमेरिका से आए जिनमें महिला कैदियों का बलात्कार उन ट्रांसमहिलाओं ने किया, जिन्होनें खुद के आदमियों के शरीर में औरत होने का दावा किया था। इलियोंस की महिलाओं की सबसे बड़ी जेल में एक कैदी ने कहा था कि उसका बलात्कार एक ट्रांसजेंडर साथी ने किया था, जिसे उसके कमरे में स्थानांतरित किया गया था।
पश्चिम के जो इस genजेंडर को लेकर पहचान के खतरे आ रहे हैं कि आपको लैंगिक पहचान भगवान ने देकर भेजी है, परन्तु आप अपनी यौनिक अभिरुचि के आधार पर अपनी यौनिक पहचान बता सकते हैं, और वहां पर आवाजें उठ रही हैं, जैसे हमने पिछले लेख में जे के रोव्लिंग को देखा था. भारत में यह विष और अधिक फैले, उससे पहले यह आवश्यक है कि ऐसी हर बात का विरोध हो जो व्यक्ति की लैंगिक एवं यौनिक पहचान को लेकर इतना भ्रमित कर दे कि व्यक्ति कुंठित हो जाए तथा समाज का ताना बाना छिन्न भिन्न हो जाए!
इसे आप ऐसे मान सकते हैं कि कल को कोई भी किसी भी लडकी का बलात्कार कर सकता है और फिर यह कह सकता है कि वह स्वयं को न ही पुरुष मानता है और न ही महिला! वह ट्रांस है! और इस प्रकार दंड भी उसी के अनुसार निर्धारित होगा!