क्या कोई कलाकार किसी विधायक का विरोध करने के लिए फर्जी आईडी बना सकता है और उससे अभद्र टिप्पणी कर सकता है? या फिर और लोगों के विरुद्ध भी अभद्र टिप्पणियाँ कर सकता है? क्या किसी कलाकार के विरोध का तरीका इस हद तक भी जा सकता है, परन्तु ऐसा हुआ है, और ऐसा एक मामला मध्यप्रदेश के सीधी से आया है, जहाँ पर एक चर्चित कलाकार नीरज कुंदेर ने विधायक का विरोध करने के लिए हर सीमा पार कर दी और एक फर्जी आईडी बनाई। उसे अनुराग मिश्रा का नाम दिया गया एवं सीधी के विधायक केदारनाथ शुक्ला एवं उनके बेटे गुरुदत्त शरण शुक्ला के विरुद्ध अभद्र टिप्पणी करने के लिए प्रयोग किया गया।
इसकी शिकायत विधायक पुत्र ने सिटी कोतवाली पुलिस से की थी और उसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की। पुलिस ने फेसबुक के पास आईडी भेजकर जब पूछा कि यह आईडी किसकी है, तो जो नाम निकलकर आया तो सभी चौंक गए। पुलिस के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गयी क्योंकि दूसरे के नाम पर फर्जी आईडी चलाने वाला कोई अपराधी न होकर जिले का प्रतिष्ठित रंगकर्मी नीरज कुंदेर था।
दैनिक भास्कर के अनुसार नीरज कुंदेर ने अनुराग मिश्रा के नाम से जो फर्जी आईडी बना रखी थी, उससे वह कई लोगों को परेशान करता था। और वह कई महीनों से लोगों के साथ अभद्र तरीके से बात करता था। आपत्तिजनक post और कमेन्ट करता था।
उसके बाद उसने सीधी के विधायक केदारनाथ शुक्ला और उनके बेटे गुरुदत्त शरण शुक्ला के विषय में अभद्र टिप्पणी की। भास्कर के अनुसार जब आरोपी नीरज को बाहर निकाला गया तो सैकड़ों लोगों ने चोर चोर के नारे लगाए क्योंकि उसके विरुद्ध कई बार शिकायतें हो चुकी थीं, परन्तु अभी तक वह पकड़ा नहीं गया था।
लोगों का कहना है कि राजनीतिक विरोध राजनीतिक होना चाहिए, अभद्रता नही!
इस गिरफ्तारी का विरोध भी आरम्भ हो गया है:
जैसे ही नीरज कुंदेर को हिरासत में लिए जाने का समाचार फैला, वैसे ही कथित कला वर्ग से विरोध आरम्भ हो गया। यह समझ नहीं आता कि कला का उद्देश्य जहाँ समाज में सकारात्मकता का प्रचार करना होता है तो वहीं, इप्टा जैसी संस्थाएं किसी ऐसे व्यक्ति को कलाकार भी कैसे कह सकती हैं, जिसने फर्जी आईडी बनाकर लोगों के साथ अभद्रता की है।
मध्य प्रदेश में इप्टा के महासचिव ने कहा कि यह सत्तारूढ़ दल के नेता और विधायक के इशारे पर हुआ है। उनका कहना है कि नीरज की गिरफ्तारी का विरोध करने वाले कलाकारों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इप्टा जैसी संस्थाएं बहुधा उन शक्तियों के साथ खडी दिखाई देती हैं, जिनका उद्देश्य समाज को तोडना होता है। इसमें भी इन्होनें कहा कि हम पुलिस कार्यवाही की निंदा करते हैं और पुलिस प्रशासन और सरकार से कहना चाहते हैं कि वैचारिक असहमति और शांतिपूर्ण प्रतिरोध लोकतंत्र की बुनियादी शर्त है। सरकार और उसके नुमाइंदे उसके प्रति उदार और सहिष्णु बनें तथा कलाकारों का दमन और उत्पीड़न बन्द करें।
परन्तु कलाकार अपनी दुर्भावना के आधार पर कुछ भी कर सकते हैं। कलाकार अपने विचारों के आधार पर लोक को दूषित कर सकते हैं और यहाँ तक कि फर्जी आईडी बनाकर समाज में दुर्भावना उत्पन्न कर सकते हैं। परन्तु कलाकार पर कार्यवाही न की जाए? यह कैसे पक्षपात की बात कर रही है इप्टा?
वहीं अब इसमें एक और नया मोड़ आ गया है!
सोशल मीडिया पर एक अर्धनग्न तस्वीर वायरल हो रही है और कहा जा रहा है कि इसमें दो पत्रकार एवं आठ नाट्यकर्मी हैं। इस तस्वीर के सोशल मीडिया पर आने के बाद हंगामा हो रहा है। जहाँ एक स्थानीय पत्रकार कनिष्क तिवारी का कहना है कि नीरज कुंदेर की गिरफ्तारी का लोग विरोध कर रहे थे, और वह वहां पर कवरेज कर रहे थे, तो पुलिस ने उन्हें भी हिरासत में ले लिया। तो वहीं घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए सीधी जिले के एसएसपी का कहना है कि नीरज कुंदेर एक रंगकर्मी हैं, उनकी गिरफ़्तारी के बाद लोग प्रदर्शन करने आए थे, थाने के बाहर आपत्तिजनक नारेबाज़ी कर रहे थे। पुलिस ने उन्हें समझाया, लेकिन वो नहीं माने। देर रात में प्रदर्शनकारियों को भी हिरासत में लिया गया था और विधिवत 151 के तहत गिरफ़्तार भी किया गया था।”
कनिष्क तिवारी सहित अन्य लोगों की अर्धनग्न तस्वीर वायरल हो रही है। कनिष्क पर पहले भी एक शिकायत सीधी कोतवाली में दर्ज है। इस सम्बन्ध में पुलिस का कहना है कि कनिष्क के यह सभी आरोप निराधार हैं, कि विधायक के कहने पर उनपर कार्यवाही हो रही है, दरअसल कनिष्क के विरुद्ध एक और मुकदमा पहले से चल रहा है। वर्ष 2021 में वह एक होस्टल में घुस गए थे। इस घटना के सम्बन्ध में अभी तक जाँच चल रही है!
परन्तु प्रश्न यहाँ पर कलाकारों द्वारा विरोध के इस निम्नतर स्तर पर उतरने का है कि क्या कला, जिसे लोग भगवान मानते हैं, उसकी पूजा करने वाले लोग किसी को बदनाम करने के लिए इतने नीचे स्तर पर जा सकते हैं? क्योंकि जब भी कोई कलाकार कोई कुकृत्य करता है तो वह नहीं बल्कि कला पर ही कहीं न कहीं प्रश्न उठ जाते हैं!