राहुल गाँधी एक ऐसे राजनेता हैं, जिन्हे पिछले 22-25 वर्षों में कई बार लांच करने का प्रयास किया जा चुका है। हर कुछ महीनों बाद उन्हें किसी नए मुद्दे पर तैयारी करवा कर लाया जाता है, ऐसा दर्शाया जाता है जैसे अब वह राजनीति की दशा और दिशा बदल देंगे। परन्तु यह कांग्रेस का दुर्भाग्य ही है कि उन्हें बार बार निराश होना पड़ता है क्योंकि वह मूलभूत जानकारी से भी अनजान हैं।
आटे का भाव बताया ‘लीटर’ में
रविवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने महंगाई पर हल्ला बोल रैली में जमकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। राहुल गांधी यूपीए और भाजपा सरकार के दौरान गैस, तेल, दूध आटा का भाव भी बताने लगे। लेकिन भाषण के समय उनसे एक चूक हो गयी, जिसके बाद सोशल मीडिया पर लोग उनका उपहास उड़ाने लगे। दरअसल भाषण के दौरान राहुल गांधी ने आटा को किलो की जगह लीटर बता दिया।
राहुल गांधी यूपीए सरकार और एनडीए सरकार के समय बढ़ी महंगाई की तुलना कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मेरे पास महंगाई के आंकड़े हैं, 2014 में एलपीजी सिलेंडर 410 का है, आज 1,050 रुपये का है, पेट्रोल 70 रुपये लीटर आज तकरीबन 100 रुपये लीटर, डीजल 70 रुपये लीटर और आज 90 रुपये लीटर। सरसों का तेल 90 रुपये लीटर आज 200 रुपये लीटर। दूध 35 रुपये लीटर आज 60 रुपये लीटर। आटा 22 रुपये लीटर आज 40 रुपये लीटर हो गया। हालांकि उन्होंने तुरंत ही अपनी गलती सुधार ली, लेकिन तब तक तीर कमान से निकल चुका था।
राहुल गांधी के विरोधियों ने इस वक्तव्य का उपहास उड़ाना शुरू कर दिया। उनके इस वक्तव्य के बाद भाजपा के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट ने ट्वीट किया, “कांग्रेस के मित्रों, राजकुमार को सुनकर आपको “किलो” में आंसू आते हैं या “लीटर” में?
यहाँ राहुल गाँधी के समर्थक आरोप लगा रहे हैं कि उनके बोले गए वक्तव्य को पूरी तरह से नहीं दिखाया गया है। बात सही है, लेकिन इस विषय में लगभग सभी राजनीतिक दल एक समान हैं, कांग्रेस और उनके समर्थक भी इसी तरह प्रधानमन्त्री मोदी के वक्तव्यों को तोड़ मर्दो कर प्रस्तुत करता है। ऐसे में यह हर एक राजनीतिक दल का उत्तरदायित्व है कि वह ऐसी घटनाओं से लाभ लेने की चेष्टा ना करे, अन्यथा ऐसा होता ही रहेगा।
राहुल गाँधी का अम्बानी-अडानी राग
राहुल गांधी ने कहा कि देश में सबसे ज्यादा लाभ दो ही उद्योगपति उठा रहे हैं। आज देश दो हिस्सों में बंट गया है, एक गरीब मजदूर किसान और बेरोजगारों का और दूसरा इसी हिंदुस्तान में दस पंद्रह अरबतियों का। हमारी विचारधारा है देश सबका है, यह देश सिर्फ दो तीन उद्योगपतियों को नहीं गरीब किसान मजदूर का भी है।
राहुल गाँधी इशारों-इशारों में देश के बड़े उद्योगपतियों पर निशाना साध रहे थे, लेकिन वह यह बताना भूल गए कि उनकी सरकार के समय इन्ही उद्योगपतियों को सहायता और प्रोत्साहन दिया जाता था। आज भी कांग्रेस शासित प्रदेशों में अम्बानी और अडानी को खुल कर प्रोजेक्ट्स दिए जाते हैं, उन्हें सरकारी परियोजनाओं में प्राथमिकता दी जाती है, ऐसा क्यों है?
गुजरात को बताया नशे का केंद्र
राहुल गाँधी ने गुजरात में एक चुनावी रैली को सम्बोधित करते हुए गुजरात को नशे का केंद्र ही बता दिया। उन्होंने कहा कि मुंद्रा बंदरगाह से ड्रग ले जाया जाता है, लेकिन सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती है, यह गुजरात मॉडल है। उन्होंने कहा, गुजरात एक ऐसा राज्य है जहां आपको विरोध करने से पहले अनुमति लेनी होगी, जिनके विरुद्ध विरोध किया जाएगा उनसे अनुमति लेनी पड़ती है।
राहुल गांधी ने कहा कि गुजरात ड्रग्स का सेंटर बन गया है और सारे ड्रग्स मुंद्रा पोर्ट से निकल रहे हैं लेकिन आपकी सरकार यहां कार्रवाई नहीं कर रही है। इसका क्या कारण है? हर 2-3 महीने में मुंद्रा पोर्ट में ड्रग्स मिलते हैं जो गुजरात के युवाओं के भविष्य को नष्ट कर रहे हैं। हालांकि राहुल गाँधी इस विषय पर जनता को भ्रमित कर रहे हैं, हजारों करोड़ों की ड्रग्स अगर जब्त की जा रही है, इसका अर्थ यही है कि कार्यवाही हो रही है। अन्यथा यह ड्रग्स युवाओं को दी जाती और उसके दुष्प्रभाव देखने को मिलते।
राहुल गाँधी ने किये ‘कभी ना पूरे होने वाले’ वादे
ऐसा कहा जाता है, कि चुनाव जीतने के लिए राजनेता कुछ भी कर सकते हैं, सबसे आसान है बड़े-बड़े वादे करना। राहुल गांधी ने भी इसी परिपाटी पर चलते हुए गुजरात की जनता से बड़े- बड़े लेकिन कभी ना पूरे होने वाले वादे किये। उन्होंने कहा, “अगर हम गुजरात में सत्ता में आए तो हम किसानों का तीन लाख रुपये तक का कर्ज माफ करेंगे। यहां सत्ता में आने के बाद कांग्रेस कोरोना महामारी के दौरान मारे गए लोगों के परिवारों को 4 लाख रुपये का मुआवजा देगी।”
राहुल गाँधी ने कहा, “हम किसानों को मुफ्त बिजली और आम उपभोक्ताओं को 300 यूनिट मुफ्त बिजली देंगे। हम 3000 अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोलेंगे और लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देंगे। अभी जो गैस सिलेंडर 1000 रुपये में बिक रहे हैं, उन्हें 500 रुपये में दिया जाएगा। मैं बेरोजगारी खत्म करना चाहता हूं। गुजरात में 10 लाख युवाओं को रोजगार देने पर फोकस होगा। मैं गारंटी देता हूं कि गुजरात में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनेगी।”
हालांकि राहुल गाँधी यह भूल गए कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में उनके दल की सरकार हैं, यह सब सुविधाएं उन राज्यों में क्यों नहीं दी गयी हैं? उन्हें तो इन राज्यों में यह सब कदम उठा कर एक उदहारण प्रस्तुत करना चाहिए था, ताकि जनता उनके काम देख कर प्रभावित होती और उन्हें वोट करती। ऐसा लगता है कि राहुल गाँधी अभी में छठे और सातवे दशक की राजनीति कर रहे हैं, जहां राजनेता कुछ भी बोल कर चुनाव जीत जाते थे, उन्हें शायद नहीं पता कि अब जनता अत्यधिक जागरूक है और ऐसे प्रलोभनों में आसानी से नहीं आती।