रविवार, 9 अक्टूबर को, पश्चिम बंगाल के कोलकाता के मोमिनपुर इलाके में रहने वाले हिंदुओं ने 1946 के नोआखली दंगों की पुनरावृत्ति देखी। दुर्गा पूजा और उसके बाद के अन्य धार्मिक समारोहों से क्रोधित हुए कट्टर इस्लामवादियों ने हिन्दुओं पर हमला कर किया। यह कोजागरी लोकखी पूजा का अवसर था, जो शरद पूर्णिमा के दिन बंगाल और कुछ अन्य हिस्सों में हिंदुओं द्वारा मनाई जाने वाली लक्ष्मी पूजा का एक संस्करण माना जाता है। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यह हिंदू त्योहार मुसलमानों द्वारा मनाए जाने वाले ईद-मिलाद-उन-नबी के दिन ही पड़ा, और इसी कारण इस्लामवादियों ने यह हमला किया।
मोमिनपुर, जैसा कि नाम से पता चलता है, एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, यहाँ बहुत ही सीमित संख्या में बंगाली हिंदुओं रहते हैं, जो चारों ओर से कट्टर इस्लामवादियों से घिरे हुए हैं। यहाँ रहने वाले अधिकांश हिन्दू दलित हैं, और इन्होने एक पूजा पंडाल स्थापित किया था, इसके अतिरिक्त इन्होने ज्ञान चंद्र घोष पॉलिटेक्निक कॉलेज के पास दुर्गा पूजा का आयोजन भी किया था। हरिजन दुर्गोसेव समिति द्वारा आयोजित इस पूजा से इस्लामवादी चिढ़े हुए थे, और वह हिन्दुओं पर यह पंडाल हटाने और लक्ष्मी पूजा बंद करने का दबाव बना रहे थे।
चूंकि पश्चिम बंगाल में जहां भी दुर्गा पूजा का आयोजन होता है, उसी स्थान पर देवी लक्ष्मी की पूजा करना अनिवार्य माना जाता है। इसलिए आयोजकों ने पंडाल नहीं हटाया। हरिजन दुर्गोसेव समिति ने कहा था कि रविवार को लक्ष्मी पूजा होने के बाद ही दुर्गा पंडाल को हटाया जा सकता है। इस बात से क्रुद्ध हुए इस्लामिक तत्वों ने कोजाहारी लोकखी पूजा की शाम को दुर्गा पंडाल में तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया था। इस जिहादी तत्वों ने ना सिर्फ हिंदू घरों और दुकानों पर पथराव किया, उनके प्रतिष्ठानों को जलाया, उनके वाहनों को तोडा, बल्कि शाम को बड़ी बेशर्मी से ईद-मिलाद-उन-नबी भी मनाया।
यहाँ एक चौकाने वाली जानकारी मिल रही है कि इन जिहादी लोगों ने पहले हिन्दुओं पर हमले किये और उसके पश्चात एकबलपुर पुलिस थाने में जा कर पूजा समिति से जुड़े हिंदुओं के विरुद्ध ही मामले दर्ज करवा दिए, उन्होंने कहा कि हिन्दुओं ने इस्लामी ध्वज को अपवित्र किया था, जिसकी प्रतिक्रिया में मुसलमानों ने हमला किया। हिन्दुओं पर हमले करने वाले जिहादियों के वीडियो भी उपलब्ध हैं, लेकिन उसके पश्चात भी उन पर कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी है। यह राज्य में टूटी हुई कानून-व्यवस्था की स्थिति को उजागर करता है, और यह भी दर्शाता है कि कैसे पश्चिम बंगाल की सरकार और प्रशासन हिन्दुओं के प्रति द्वेष की भावना रखते हैं।
यह हमला पंडाल तक ही सीमित नहीं था, मोमिनपुर के मैला डिपो इलाके में इस्लामवादियों ने हिंदुओं के वाहनों और दुकानों में तोड़फोड़ की है। कोलकाता बंदरगाह क्षेत्र मयूरभंज में भी हिन्दुओं के घरों में तोड़फोड़ की गई है। पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि हिंदू समुदाय को पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि स्थानीय प्रशासन द्वारा पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
बीजेपी नेता प्रीतम सूर ने भी कोलकाता की सड़कों पर इस्लामिक द्वारा किये जा रहे हिंसा और अत्याचारों के दृश्य साझा किए। उन्होंने बताया कि ,“हम पर बम और ईंटें फेंकी जा रही हैं। पुलिस भी भागने को मजबूर है। स्थिति अत्यंत विकट हो गयी है, और लक्ष्मी पूजा के पवन अवसर पर लोकतंत्र का चेहरा काला कर दिया गया है।”
हिंदू घरों और व्यवसायों में तोड़फोड़ करने के बाद, हाथों में इस्लामिक झंडे उठाए उन्मादी इस्लामी भीड़ ने एकबलपुर पुलिस स्टेशन पर भी हमला कर दिया, जिससे डर कर पुलिसकर्मी वहां से भाग गए। यह विडम्बना थी कि जिस पुलिस बल ने कुछ हफ़्ते पहले नगर में शांतिपूर्ण रैली करने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला किया था, वह लोग हिंसक इस्लामी भीड़ देख कर अपने जीवन के लिए भाग रहे थे।
ट्विटर यूजर सैयद इश्तियाक आलम के अनुसार, मोमिनपुर का हिंदू विरोधी नरसंहार गुलाम असरफ (फीनिक्स समूह के मालिक), रेहान खान (टीएमसी पार्षद के दामाद) और शाहबाज आलम (टीएमसी नेता के करीबी सहयोगी) का षड्यंत्र था। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि सरकार इस मामले में मूक दर्शक बनी हुई है। तृणमूल कांग्रेस के नेता और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, जिन्होंने कुख्यात रूप से घोषणा की थी कि वह ‘नबन्ना अभिजन’ भाजपा रैली के शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को उनके सिर में गोली मार देंगे, उन्होंने हिन्दुओं और पुलिस पर किये गए हमलों पर अभी तक वक्तव्य भी नहीं दिया है।
विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से संपर्क किया और राज्य प्रायोजित इस्लामी दंगाइयों से हिंदू समुदाय की रक्षा के लिए क्षेत्र में केंद्रीय बलों की तत्काल तैनाती की मांग की। उन्होंने कहा कि कोलकाता कथित रूप से स्व-घोषित बुद्धिजीवियों का घर माना जाता है, लेकिन उन सभी ने इन घटनाओं पर अभी तक चुप्पी बनाए रखी है।
पश्चिम बंगाल में यह कोई पहली घटना नहीं है जिसमे हिन्दुओं को निशाना बनाया गया है। स्वतंत्रता से पहले ही बंगाल में हिंसा शुरू हो गयी थी, विभाजन के समय ऐसी ही मजहबी हिंसा में हजारों हिन्दू मार दिए गए थे । उसके पश्चात कांग्रेस और वामपंथी सरकारों ने इतने दशकों ने कट्टर इस्लामिक तत्वों को पाला पोसा और अपने वोट बैंक की तरह उपयोग किया। सत्ता में बने रहने के लिए इन राजनीतिक दलों ने अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्यों को प्रदेश में खुलेआम घुसपैठ करने दी।