संसार इस समय एक संक्रमण काल से निकल रहा है, जहाँ अधिकतर देश पिछले दो वर्षों के कोरोना काल से उत्पन्न आर्थिक विपन्नताओ से उभर रहे हैं, वहीं रूस और यूक्रेन के मध्य एक सीमित युद्ध हो रहा है, जिसके फलस्वरूप अमेरिका, यूरोपियन यूनियन के देश और रूस के बीच तनाव उत्पन्न हो गया है, इस कारण दशकों से चली आ रही वैश्विक व्यवस्था भी प्रभावित हो गयी है।
इन परिस्थितियों के मध्य भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का तीन दिवसीय यूरोप दौरा खत्म हो गया है। यह बहुत महत्वपूर्ण यात्रा थी, क्योंकि प्रधानमंत्री जी यूरोपियन यूनियन और नाटो के देशों के नेतृत्व से मिले और कई महत्वपूर्ण विषयों पर मनन चिंतन हुआ। प्रधानमंत्री सबसे पहले जर्मनी पहुंचे, उसके बाद वे डेनमार्क और फ्रांस भी गए। इन देशो के साथ ही प्रधानमंत्री ने नार्डिक देशो के नेताओ के साथ भी गोष्ठी की, और मात्र 65 घंटो में उन्होंने 25 महत्वपूर्ण बैठकों में हिस्सा लिया।
प्रधानमंत्री की यूरोप यात्रा की कार्यसूची
यहाँ यह जानना महत्वपूर्ण है कि इस यात्रा की क्या कार्यसूची थी, क्या विषय थे, जिन पर मंत्रणा हुई और आने वाले समय में उनका क्या व्यापक प्रभाव वैश्विक राजनीति पर पड़ सकता है। इस लेख में हम आपको इस विषय में जानकारी देंगे।
जर्मनी– प्रधानमंत्री मोदी अपनी यात्रा के प्रथम पड़ाव पर जर्मनी की राजधानी बर्लिन पहुंचे, जहां उन्होंने जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। मोदी और शोल्ज ने छठे भारत-जर्मनी इंटर-गवर्नमेंटल कंसल्टेशन (IGC) की अध्यक्षता भी की, यह ओलाफ शोल्ज के दिसंबर 2021 में जर्मनी के चांसलर बनने के बाद पहली वार्ता थी। प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर शोल्ज ने दोनों देशो के व्यापारियों को सम्बोधित किया, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मनी के भारतीय समुदाय से भी वार्ता की।
भारत और जर्मनी के बीच 9 महत्वपूर्ण अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। जिसमें ग्रीन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट पार्टनरशिप पर एक संयुक्त घोषणापत्र (JDI) सम्मिलित है, जिसके अंतर्गत जर्मनी 2030 तक भारत को 10 बिलियन यूरो की नई और अतिरिक्त विकासात्मक सहायता की अग्रिम प्रतिबद्धता देने पर सहमत हुआ। बर्लिन में प्रधानमंत्री मोदी के होटल एडलॉन केम्पिंस्की पहुंचने पर भारतीय समुदाय के लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया, प्रधानमंत्री ने भी पूरी तन्मयता से भारतीय समुदाय से वार्ता की और उनके योगदान के लिए सराहना की।
डेनमार्क – अपनी यात्रा के दूसरे पड़ाव में प्रधानमंत्री मोदी ने डेनमार्क की यात्रा की, जहाँ राजधानी कोपेनहेगन में डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन और क्वीन माग्रेट द्वितीय से द्विपक्षीय विषयों पर बात की। यहां प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया, इसके अतिरिक्त उन्होंने भारत-डेनमार्क बिजनेस फोरम के मंच से भारतीय समुदाय को भी संबोधित किया।
भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी आइसलैंड की प्रधानमंत्री कैटरीन जैकब्सडॉटिर, नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर, स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन और फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन के साथ बैठक की। शिखर सम्मेलन में सभी देशो के नेताओं ने भारत और नॉर्डिक देशों के बीच प्रगाढ़ सहयोग को बनाये रखने का निश्चय किया और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी चर्चा को केंद्रित किया, जिसमें यूक्रेन में संघर्ष, बहुपक्षीय सहयोग और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त अर्थव्यवस्था, नवाचार और डिजिटलीकरण पर भी विचार विमर्श हुआ।
फ़्रांस: अपनी महत्वपूर्ण विदेश यात्रा के अंतिम पड़ाव पर प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस में रुके। यहां उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से बातचीत की। इस यात्रा का महत्त्व इस बात से समझा जा सकता है कि इसी वर्ष भारत और फ्रांस के बीच कूटनीतिक रिश्तों के 75 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं, वहीं प्रधानमंत्री मोदी की ये इमैनुएल मैक्रॉन से उनके पुनः फ्रांस के राष्ट्रपति निर्वाचित होने के पश्चात पहली वार्ता थी।
दोनों देशो के नेतृत्व ने रक्षा, अंतरिक्ष, असैन्य परमाणु सहयोग, सामरिक विषयों, वैश्विक मुद्दों, और दोनों देशो के नागरिको के आपसी संबंधों सहित कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने फ़्रांस से प्रस्थान करने से पहले ट्वीट करते हुए कहा, “फ्रांस की मेरी यात्रा संक्षिप्त लेकिन बहुत उपयोगी थी। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और मुझे अलग-अलग विषयों पर चर्चा करने का अवसर मिला। मैं उन्हें और फ्रांसीसी सरकार को गर्मजोशी से आतिथ्य के लिए धन्यवाद देता हूं।”
यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी लगभग 6 महीने बाद विदेश यात्रा पर गए हैं। अंतिम बार प्रधानमंत्री मोदी पिछले वर्ष 29 अक्टूबर से लेकर 2 नवंबर तक इटली और यूनाइटेड किंगडम की यात्रा पर गए थे। कोरोना काल में पीएम मोदी का ये चौथा विदेश दौरा था, इससे पहले वर्ष 2021 में पीएम मोदी तीन बार विदेश दौरे पर गए थे, जबकि 2020 में उन्होंने किसी भी देश का दौरा नहीं किया था।
प्रधानमंत्री मोदी का यह विदेशी दौरा बहुत सफल सिद्ध हुआ है, और जिस तरह से भारतीय नेतृत्व ने जर्मनी, फ़्रांस, और नॉर्डिक देशो से घनिष्ट सम्बन्ध बनाये हैं, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि निकट भविष्य में भारत ना सिर्फ रूस-यूक्रेन के युद्ध को ख़त्म करने में मध्यस्थता कर सकता है, वहीं यूरोपियन यूनियन और नॉर्डिक देशो के साथ व्यापारिक संबंधों और सामरिक विषयों पर दूरगामी परिणाम भी देखने को मिलेंगे।