30 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी का 100 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। अहमदाबाद के अस्पताल यूएन मेहता इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर में श्रीमती हीराबेन ने शुक्रवार सुबह अंतिम सांस ली। प्रधानमंत्री की माताजी के निधन की खबर सुनते ही पीएम मोदी गांधीनगर पहुंचे, जहां मुक्तिधाम में हिंदू रीति-रिवाज से मां हीराबेन का अंतिम संस्कार किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने मां हीराबेन के पार्थिव शरीर को कंधा दिया और मुखाग्नि भी दी।
सांस संबंधी दिक्कतों की वजह से बुधवार को हीराबेन को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सुबह लगभग ६ बजे यह समाचार बताया गया जिसके पश्चात देश-दुनिया के लोगों ने प्रधानमंत्री को संवेदना प्रकट की और उन्हें ढांढस भी बंधाया। प्रधानमंत्री के परिवार ने एक साधारण हिन्दू परिवार की तरह अपनी मां का अंतिम संस्कार संपन्न किया । हीराबेन के अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ी थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मां को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘‘शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम। मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है। मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से।
पीएम मोदी के परिवार ने मां हीराबा के निधन पर एक संदेश जारी किया था। जिसमें उन्होंने कहा कि हम इस कठिन समय में उनके लिए की गई प्रार्थनाओं के लिए सभी का धन्यवाद करते हैं। सभी से हमारा विनम्र अनुरोध है कि दिवंगत आत्मा को अपने विचारों में रखें और अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम और प्रतिबद्धताओं को जारी रखें। हीराबा को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
मां से प्रेरणा ले प्रधानमंत्री ने अपने सभी कार्यक्रम पूरे किये
इस निजी आघात के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मां हीराबेन की अंत्येष्टि के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पश्चिम बंगाल में अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम भी पूर्ण किए।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। इसके अतिरिक्त उन्होंने 7,800 करोड़ रुपये से ज्यादा की अन्य परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने निजी कारणों के चलते पश्चिम बंगाल नहीं पहुंच पाने के लिए क्षमा भी मांगी। हालांकि, इस दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री की मां के निधन पर शोक जताया और कहा कि मां से बढ़कर कुछ और नहीं है। प्रधानमंत्री ने अपने इस कृत्य से देश को सन्देश दिया कि कर्तव्य सर्वोपरि होता है, और जनता ने इसकी भूरी भूरी प्रशंसा भी की।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोगों की तरफ से, हमें यह अवसर देने के लिए आपको मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं। आपके लिए यह दुखदायी दिन है, आपकी मां हमारी भी मां हैं । मां से बढ़कर कुछ और नहीं है ,भगवान आपको अपना काम जारी रखने की शक्ति दे, कृपया थोड़ा आराम करें।
इस अवसर पर भी विपक्ष ने दिखाई कुरूप सोच
एक ओर दुनिया भर में इस समाचार के पश्चात प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को देश विदेश के नेता और गणमान्य लोग शोक सन्देश प्रेषित कर रहे थे तो वहीं प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं ने इस संवेदनशील समय पर अपनी कुरूप सोच का उदाहरण दिया।
समाजवादी पार्टी के नेता आईपी सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला किया है। प्रधानमंत्री ने अपनी मां का अंतिम संस्कार करने के पश्चात कुछ सरकारी कार्यक्रमों में भाग लिया था, समाजवादी पार्टी के नेता ने उन पर ‘हिंदू रीति-रिवाजों’ का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया।
उन्होंने ट्वीट कर अपने नेता अखिलेश यादव की तुलना प्रधानमंत्री से करते हुए कहा, एक वो हिंदू बेटा जिसने सभी हिंदू संस्कारों का मान रखते हुए तेरहवीं तक सब कुछ त्याग पिता की आत्मा को शांति हेतु पाठ किया। एक वो बेटा जो हिंदू संस्कारों को नकारते हुए सूतक में शुभ कार्य प्रतिबंधित होने के बावजूद माँ के निधन के उपरांत सरकारी कार्यक्रम में शामिल हुआ। हिंदू कौन हुआ?
इसके अतिरिक्त, कांग्रेस पार्टी के समर्थकों ने भी हीराबेन मोदी के निधन का मज़ाक उड़ाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। एक ऋचा शर्मा, जो स्वयं को गांधीवादी और नेहरूवादी विचारधारा में विश्वास करती हैं, ने दावा किया कि हीराबेन के अंतिम संस्कार के लिए फूलों की पंखुड़ियों को बर्बाद किया जा रहा था।
ऋचा शर्मा एक कांग्रेसी हैं, पेटा की कार्यकर्ता भी हैं, और साथ ही गाँधी परिवार की बड़ी प्रशंसक हैं। उनका प्रधानमंत्री की मां के निधन पर इस प्रकार से मजाक उड़ाना कहीं ना कहीं कांग्रेस की सोच को प्रदर्शित करता है।
ऐसे ही एक कथित पत्रकार हैं श्याम मीरा सिंह, जो कांग्रेस से प्रभावित हैं। पिछले ही दिनों यह पत्रकार कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में सम्मिलित भी हुए थे। इन्होने राहुल गाँधी का साक्षात्कार भी लिया था। आज प्रधानमंत्री की मां के निधन पर इन्होने अपनी कलुषित सोच उजागर की है और इतने संवेदनशील विषय पर इतना अमानवीय ट्वीट किया है।
इन्हे तो प्रधानमंत्री मोदी के उनके कार्यक्रम में भाग लेने से भी परेशानी है। इनसे समस्या है कि प्रधानमंत्री अपनी मां के निधन के पश्चात भी ऐसे कार्यक्रमों में क्यों सम्मिलित हो रहे हैं। सोचिये यह विरोध का स्तर कितना नीचे ले गए हैं।
यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक नेता की मृत्यु का ख़ुशी मनाने या उपहास करने के लिए कांग्रेस के पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर यह कोई नई घटना नहीं है। हमने पहले भी भाजपा नेताओं सुषमा स्वराज और अरुण जेटली की मृत्यु इसी तरह का उपहास देखा था। यह बड़ा ही दुखद है कि देश के विपक्षी दल मृत्यु जैसे संवेदनशील घटना पर देश के प्रधानमंत्री का उपहास कर रहे हैं, ऐसा कर यह लोग क्या सन्देश देना चाहते हैं?
मां, ये सिर्फ एक शब्द नहीं है। यह हमारे जीवन की वह भावना होती जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया होता है। दुनिया का कोई भी कोना हो, कोई भी देश हो, हर संतान के मन में सबसे अनमोल स्नेह मां के लिए होता है। मां, सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती बल्कि हमारा मन, हमारा व्यक्तित्व, हमारा आत्मविश्वास भी गढ़ती है। और अपनी संतान के लिए ऐसा करते हुए वो खुद को खपा देती है, खुद को भुला देती है। हम प्रधानमंत्री मोदी जी को इस दुःख की घडी में अपनी संवेदना प्रकट करते हैं, हम आशा करते हैं कि भगवान् प्रधानमंत्री और उनके परिवार को इस दुःख को सहने की शक्ति और सम्बल दे।