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Tuesday, April 16, 2024

पीएफआई ने भारत को इस्लामिक मुल्क बनाने के लिए शुरू किया ‘मिशन 2047’, क्या है यह?

गजवा ए हिन्द की बातें अधिकाँश मुस्लिमों का एक सपना है, और यह भी सत्य है कि इसे पाने के लिए हर कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन प्रयासरत है। इस सपने को वह शीघ्रातिशीघ्र पूरा करना चाहते हैं, इसी क्रम में या कहें इसी सपने को पूरा करने की चाह में पीएफआई भी है। ऐसे ही एक षड्यंत्र का पर्दाफाश बिहार पुलिस ने पटना के फुलवरी शरीफ में छापेमारी कर किया है। पुलिस ने नयाटोला में चलाए जा रहे एक कार्यालय से दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस को यहां से कई देश विरोधी और आपत्तिजनक वस्तुएं प्राप्त हुई हैं। साथ ही पुलिस को पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के ‘मिशन 2047‘ के बारे में भी पता लगा है। फुलवरी शरीफ के सहायक पुलिस अधीक्षक मनीष कुमार के अनुसार गोपनीय जानकारी के आधार पर की गई इस छापेमारी के बाद कई दस्तावेज, पैंपलेट,झंडे, और बुकलेट बरामद हुए है, जो मिशन 2047 से जुड़े हैं, इस षड्यंत्र का एक ही उद्देश्य है, 2047 तक भारत को इस्लामिक मुल्क बनाना।

पुलिस ने दो आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है, जिनके नाम हैं मोहम्मद जलालुद्दीन और अतहर परवेज है। जलालुद्दीन झारखंड पुलिस में दारोगा रह चुका है और कुछ ही समय पहले ही सेवानिवृत्त हुआ था। वहीं, अतहर परवेज प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सक्रिय सदस्य रह चुका है। उसका भाई बम ब्लास्ट के एक केस में जेल जा चुका है, वहीं अतहर खुद भी एक मामले में जमानत पर चल रहा है।

फुलवारी शरीफ में चल रहा था आतंकवादी कैंप

पुलिस के अनुसार फुलवारी शरीफ में यह लोग आतंकवादी कैम्प चला रहे थे। इनका एक ही उद्देश्य था, किसी भी तरह से भारत में साम्प्रदायिक दंगे भड़काना। जिहाद और इस्लामिक कट्टरपंथ के नाम पर काफिरों को निशाना बनाना ही इनका ध्येय था। इस विषय की जांच करने के लिए अब एनआईए भी जुड़ गया है, और पूरे देश को यह आशा है कि सत्य का पता शीघ्र ही लगेगा।

पुलिस की कार्रवाई में बहुत ही आपत्तिजनक सामग्री प्राप्त हुई है, जिसमें भारत के विरुद्ध इस्लामिक षड्यंत्र के बारे में लिखा गया है । पुलिस ने मौके से पीएफआई के झंडे, पीएफआई के पोस्टर और भड़काऊ साहित्य भी अपने कब्जे में लिया है। इसके अतिरिक्त एक सात पन्नों का दस्तावेज मिला है, जिसमे पीएफआई के मिशन 2047 के बारे में लिखा हुआ था।

क्या है ‘मिशन 2047’ ?

इस दस्तावेज़ में भारत में पुनः इस्लामिक हुकूमत को लाने का आह्वान किया गया है। इसमें लिखा है कि एक समय भारत पर मुसलमानों का शासन होता था, आज भी इंडोनेशिया के बाद सबसे ज्यादा मुसलमान भारत में रहते हैं। लेकिन इतनी मुस्लिम जनसँख्या होने का पश्चात भी भारत में मुसलमानों की स्थिति अच्छी नहीं है। आज देश के 9 जिलों में मुस्लिम आबादी 75 प्रतिशत से ज़्यादा है, और सतत प्रयास किये जाएँ तो भारत में 2047 तक इस्लामिक शासन लाया जा सकता है। इसीलिए इसे मिशन 2047 नाम दिया गया है।

पीएफआई के मिशन 2047 के चार चरण

इस मिशन को पूरा करने के लिए एक चरणबद्ध योजना बनाई गयी है। पहले चरण में भारत के मुस्लिमों को भड़काया जाएगा, उन्हें बताया जाएगा कि वह इस देश में असुरक्षित हैं, उनके साथ अन्याय हो रहा है। इस चरण में मुसलमानों को यह संदेश दिया जाएगा कि वह भारतीय होने से पहले एक मुस्लिम हैं, और इस्लाम का रक्षण करना ही उनका ध्येय है। इस चरण में उन्हें तलवार और अन्य हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा।

दूसरे चरण में सीमित हिंसा के द्वारा मुसलमानो को शक्ति प्रदर्शन को कहा गया है। उनके अनुसार ऐसी हिंसा करने से दूसरे धर्मों के धर्मावलम्बियों में दर पैदा होगा। जब मुस्लिमों का एक वर्ग ऐसी हिंसा में लिप्त होगा, तब दूसरा वर्ग भारतीय संविधान, लोकतंत्र और अम्बेडकर के विचारों की बात करेगा, ताकि उसकी असली मंशा किसी के सामने ना आये। इस वर्ग का काम होगा हिंसक वर्ग का रक्षण करना और उनका सहयोग करना।

तीसरे चरण में आदिवासियों, दलितों, और अन्य पिछड़ी जातियों को भ्रमित कर एकसाथ जोड़ा जाएगा। उन्हें भड़का कर हिन्दू धर्म से दूर किया जाने का प्रयास होगा। इनका उद्देश्य कम से कम 10 प्रतिशत दलितों और आदिवासियों को मुसलमानों के साथ ला कर एक मजबूत गठजोड़ बनाना था, ताकि उसका दुरूपयोग राजनीतिक और सामाजिक बदलाव करने में किया जा सके।

चौथे चरण में पीएफआई के उग्रवादी मुसलमानों और दलितों के प्रतिनिधि बन जाएंगे और राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता को अपने नियंत्रण में लेने का प्रयास करेंगे। इसके पश्चात देश की न्यायपालिका, सरकार, प्रशासन, पुलिस और सेना में पीएफआई अपने लोगों को नियुक्त करेगी। जब पीएफआई के पास पर्याप्त शक्ति आ जाएगी तो वो इस्लामिक सिद्धांतों के आधार पर भारत का नया संविधान लागू कर देंगे। तत्पश्चात भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र बना दिया जाएगा।

समय आ चुका है पीएफआई पर प्रतिबन्ध लगाने का

आतंकी संगठन सिमी के प्रतिबंधित होने के बाद इंडियन मुजाहिद्दीन का गठन किया गया था। 2013 में आतंकी यासीन भटकल की गिरफ्तारी से इंडियन मुजाहिद्दीन की कमर टूट गई थी। इंडियन मुजाहिद्दीन के पतन के बाद देश के विभिन्न राज्यों में पीएफआई और उसकी सहयोगी संस्था सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया को मजबूत करने का काम किया जा रहा है। केरल की दो और कर्नाटक की एक संस्था को मिलाकर पीएफआई का गठन किया गया था। बीते कुछ महीनों में हुई कई सांप्रदायिक हिंसाओं में पीएफआई का नाम आ चुका है।

पिछले ही महीने ईडी ने पीएफआई से संबंधित 22 बैंक अकाउंट प्रतिबंधित कर दिए थे । ईडी के अनुसार पीएफआई को विदेशो से भारी मात्रा में धन मिलता है। इस धन का उपयोग वह भारत को अस्थिर करने में करते हैं, इस आतंकवादी संगठन पर तुरंत प्रभाव से रोक लगानी चाहिए और इसके सदस्यों के विरुद्ध आतंकवाद निरोधक कानून के अनुसार कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।

पटना पुलिस के एसएसपी ने पीएफआई की तुलना आरएसएस से कर मचाया बवाल

इस विषय की जांच कर रहे पटना पुलिस के एसएसपी ने पीएफआई के आतंकी मॉड्यूल की तुलना आरएसएस से करके बवाल मचा दिया है। पटना के एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो ने कहा कि ‘जैसे आरएसएस में लाठियों के इस्तेमाल के लिए शाखाएं और प्रशिक्षण दिए जाते हैं, वैसे ही शारीरिक शिक्षा की आड़ में पीएफआई युवाओं को अपने केंद्र में बुला रहा था और उनकी विचारधारा को बढ़ावा देने और उनका ब्रेनवॉश करने का प्रयास कर रहा था।’

इस वक्तव्य पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के साथ अधिकारी पर कार्रवाई की मांग की है। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शीर्ष पुलिस अधिकारियों से अगले 48 घंटों के भीतर श्री ढिल्लों से स्पष्टीकरण मांगने को कहा है। बिहार के राज्यसभा सदस्य और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि पटना के एसएसपी को इस तरह के बयान को तुरंत वापस लेना चाहिए और इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।

यह तो नहीं कहा जा सकता कि एसएसपी ढिल्लों ने यह वक्तव्य क्यों दिया, लेकिन यह पूर्ण रूप से गलत है। आरएसएस एक सामाजिक संगठन है, जो लोगो को आत्मरक्षा करना सिखाता है, और सामाजिक समरसता पर जोर देता है। इस संगठन का एक ही लक्ष्य है, भारत के सर्वांगीण विकास में सहयोग करना और राष्ट्र को मजबूत बनाना। वहीं पीएफआई एक उग्रवादी संगठन है, जिसका उद्देश्य मुस्लिमों को भड़का कर, उनका दुरूपयोग कर भारत के सामाजिक ताने बाने को तोड़ देश को कमजोर करना। पीएफआई का हाथ कई देश विरोधी गतिविधियों में आ चुका है, अतः आरएसएस से पीएफआई की तुलना करना गलत ही नहीं एक षड्यंत्र के चलते हिन्दुओं को ही आतंकवादी घोषित करना है।

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