कल सोशल मीडिया पर अमूल को भेजे गए पत्र के मामले में हर ओर से काफी विरोध एवं उपहास झेलने के उपरान्त आज पेटा इंडिया ने कहा कि उन्होंने तो अमूल इंडिया को उस नए ट्रेंड का उदाहरण दिया था, जो आजकल चलन में है और जहाँ पर नई संभावनाएं हैं।
पेटा है क्या और पेटा का हिन्दू विरोधी इतिहास?
पेटा अर्थात पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स अर्थात पशुओं के साथ नैतिक व्यव्हार करने वाले लोग, की स्थापना वर्ष 1980 में हुई थी और इस संस्था का मुख्यालय अमेरिका के वर्जीनिया में स्थित है। पूरे विश्व में इनके सदस्य हैं एवं यह सभी पशुओं से जुड़े उत्पादों जैसे कि मांस, दूध, चमडा आदि के बहिष्कार की बात करते हैं। और यही पेटा इंडिया के नाम से भारत में काम करते हैं।
मगर मजे की बात यह है कि पशुओं के लिए नैतिक व्यवहार करने वाली पेटा इंडिया के अधिकतर सेलेब्रिटीज की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर होता है।
इतना ही नहीं हर बार हिन्दुओं के प्रति पेटा की घृणा व्यक्त हुई है। पिछले वर्ष रक्षाबंधन पर पेटा इंडिया द्वारा किया गया अभियान हम सभी को याद है जिसमें यह लिखा गया था कि रक्षाबंधन पर चमड़े वाली राखी न बांधे, गाय की रक्षा करें। जबकि शायद पेटा इंडिया के लोग यह भूल गए थे कि या फिर उन्हें यह पता ही नहीं था कि राखी तो रेशम की या फिर कपास के धागों की बनाई जाती है या फिर सादा धागा ही राखी के काम आता है, राखी और गौ मांस? मगर बात बिगड़ते देखकर पेटा इंडिया ने माफी तो माँगी थी, पर उसके लिए भी हिन्दुओं को ही दोषी ठहरा दिया था।
रोचक बात तो यह है कि पेटा इंडिया कभी भी अवैध-गौ वध के विषय में आन्दोलन करती हुई नज़र नहीं आती हैं। कभी भी ब्लडलेस ईद की पुकार लगाती हुई नज़र नहीं आती हैं। इतना ही नहीं जिन जिन सेलेब्रिटीज को यह लोग अपने अभियान के लिए जोडती हैं, वह बीफ बैन अर्थात गौ मांस के प्रतिबन्ध के विरोध में आवाज़ उठाती रहती हैं, जैसे ऋचा चड्ढा आदि। एवं सोनम कपूर को इस कथित पशु प्रेमी संस्था ने अवार्ड दिया था, और वहीं दूसरी ओर वह साँपों की त्वचा से बने हुए पर्स का प्रचार करती हुई नज़र आई थी।
साथ ही आलिया भट्ट के वेगन होने का प्रचार किया जा रहा था तो वहीं दूसरी ओर आलिया भट्ट की वह तस्वीर भी चर्चा में रही थी जिसमें वह अस्सी हज़ार की वह ड्रेस पहने नज़र आई थीं, जो पूरी की पूरी ही चमड़े की बनी थी। ऐसा ही वाकया शिल्पा शेट्टी के साथ हुआ था, जब पेटा इंडिया ने शिल्पा शेट्टी को सम्मानित किया था जबकि शिल्पा शेट्टी का रोस्टेड टर्की का वीडियो अब तक उपलब्ध है।
अमूल के साथ क्या हुआ है विवाद?
कल पेटा इंडिया ने अमूल इंडिया को पत्र भेजकर अनुरोध किया था कि वह डेयरी उत्पादों को छोड़कर वेगन मिल्क का उत्पादन करें, क्योंकि बाज़ार में इन दिनों बदलाव आ रहे हैं।
PETA India's letter to @Amul_Coop in full, letting the company know about the business opportunity the rise in #vegan eating presents. @Rssamul #PETA pic.twitter.com/W7PMnkua6D
— PETA India (@PetaIndia) May 28, 2021
इस पत्र को भेजने के बाद जब हर ओर से आलोचना हुई तो अपने पक्ष में पेटा इंडिया ने व्यापार के बढ़ते हुए ट्रेंड के अनुसार दो रिपोर्ट्स अटैच की कि यूनिलीवर ने “एनफ” के साथ पार्टनरशिप में प्लांट आधारित प्रोटीन उत्पादों के क्षेत्र में कदम रखा।
PETA India's letter to @Amul_Coop in full, letting the company know about the business opportunity the rise in #vegan eating presents. @Rssamul #PETA pic.twitter.com/W7PMnkua6D
— PETA India (@PetaIndia) May 28, 2021
इस पत्र के उत्तर में अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर सोढ़ी ने कहा था कि “पेटा इंडिया चाहता है कि हम दस करोड़ गरीब किसानों की आजीविका छीन लें। और वह 75 साल में किसानों के साथ मिलकर बनाए अपने सभी संसाधनों को किसी बड़ी एमएनसी कम्पनियों द्वारा जेनेटिकली मॉडिफाई किये गए सोया उत्पादों के लिए छोड़ दें, वह भी उन महंगी कीमतों पर, जिन्हें औसत मध्यवर्गीय व्यक्ति खरीद ही नहीं सकता है।”
Peta wants Amul to snatch livelihood of 100 mill poor farmers and handover it's all resources built in 75 years with farmers money to market genetically modified Soya of rich MNC at exhorbitant prices ,which average lower middle class can't afford https://t.co/FaJmnCAxdO
— R S Sodhi (@Rssamul) May 28, 2021
उन्होंने पूछा कि क्या वह दस करोड़ डेरी किसानों को रोजगार देंगे, जिनमें से 70% भूमिहीन है, और कौन उनके बच्चों की फ़ीस देगा और कितने लोग हैं जो महंगे लैब से बने हुए फैक्ट्री फ़ूड इस्तेमाल करेंगे और वह भी केमिकल से बने हुए, और नकली विटामिन से बने हुए उत्पाद?
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक अश्विनी महाजन का ट्वीट भी काफी चर्चा में रहा जिसमें उन्होंने कहा है कि अधिकार डेयरी किसान भूमिहीन हैं। उन्होंने पता इंडिया के ही सुझाव को रीट्वीट करते हुए कहा कि आपका सुझाव उनके इकलौते आय के साधन को मार डालेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि यह ध्यान में रखा जाए कि दूध हमारे विश्वास, हमारी परम्पराओं, हमारे स्वाद में हैं और हमारी खानपान की आदतें बहुत सहज रही हैं और हमेशा ही पोषण का स्रोत रहे हैं:
Don’t you know dairy farmers are mostly landless. Your designs may kill their only source of livelihood. Mind it milk is in our faith, our traditions, our taste, our food habits an easy and always available source of nutrition. https://t.co/YwzKbwoQt3
— ASHWANI MAHAJAN (@ashwani_mahajan) May 26, 2021
इतना ही नहीं 26 मई को एडवर्टाइजिंग स्टैण्डर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया ने तीन पशु अधिकार संगठनों की शिकायत को खारिज कर दिया था, जिसमें ब्यूटी विदआउट क्रुएल्टी (बीडब्ल्यूसी), पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ़ एनिमल्स और शरण इंडिया ने देश के सबसे बड़े डेयरी उत्पाद अमूल के “मिथ वर्सेस फैक्ट्स” विज्ञापन के खिलाफ शिकायत की थी। जिसमें अमूल ने उन सभी झूठों का पर्दाफाश किया था, जिन्हें दूध के सम्बन्ध में फैलाया जा रहा था।
और यही कारण है कि वहां विफल होने के बाद पेटा इंडिया ने इस प्रकार कोशिश की, परन्तु एक बात समझ से परे है कि आखिर दस करोड़ लोगों के साथ साथ भारत के विकास का भी विरोधी पेटा इंडिया क्यों है?
बार बार यही लगता है जैसे भारत में रहकर भी भारतीय या कहें हिन्दू परम्परा को न जानने वाले लोग उन मुद्दों को उठाते हैं जो हिन्दुओं को आहत ही नहीं करता है बल्कि साथ ही वह हिन्दुओं की आजीविका पर भी असर डालते हैं?
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