ऐसा माना जाता है कि भारत में चर्च ऐसे कुछ संस्थानों में से एक है जिनके पास अकूत संपत्ति है, देश भर में इनके पास लाखों एकड़ की जमीन है। देश भर में लाखों चर्च, हजारों मिशनरी विद्यालय, और सैंकड़ों आश्रय गृह चलाये जाते हैं, और ऐसा दर्शाया जाता है जैसे दुनिया भर का परोपकार यह लोग करते हैं। लेकिन चर्च और मिशनरी का एक स्याह संसार है, जहाँ अपराध भी होते हैं, महिलाओं और बच्चों का शोषण भी होता है, और अन्य तरह के कुकृत्य होते रहते हैं।
नवी मुंबई के एक चर्च में अवयस्क लड़कियों से छेड़छाड़ के आरोप में पुलिस ने एक 55 वर्षीय पादरी को गिरफ्तार किया है। आश्रय गृह में आने वाली हर युवती और महिला के साथ यह पादरी छेड़छाड़ किया करता था। इस विषय पर शिकायत करने वाले तीन लोगों ने बताया कि पादरी विक्स और तेल लगाने के बहाने उनके गुप्तांगों को छूता था और आपत्ति व्यक्त करने पर उनके साथ मारपीट करता था और उन्हें शौचालय में बंद कर देता था। पुलिस ने पादरी को बेलापुर कोर्ट में प्रस्तुत किया, जहां से उसे पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
ठाणे जिला महिला एवं बाल कल्याण विभाग को एक शिकायत मिली थी, उसके पश्चात 5 अगस्त को बाल संरक्षण अधिकारी सुवर्णा जाधव एवं अन्य अधिकारियों ने कार्यवाही की और सीवुड्स इलाके के सेक्टर 48 में स्थित बेथेल गॉस्पेल पेंटेकोस्टल चर्च का दौरा किया। वहां उन्होंने पाया कि पादरी वहां रहने वाली युवतियों और कन्यायों के साथ दुष्कर्म करता था। दल को वहां पर्याप्त मात्रा में साक्ष्य भी मिले, जिसके बाद पादरी राजकुमार येसुदसन को गिरफ्तार कर लिया गया।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी रामकृष्ण रेड्डी के अनुसार, उन्हें एक पत्र मिला था, जिसमे इस चर्च और आश्रय गृह में होने वाले शोषण का उल्लेख किया गया था, जिस का संज्ञान लेकर दल ने इस विषय पर कड़ी कार्यवाही करने का मन बनाया। अधिकारियों ने पाया कि पादरी ने 3 से 18 वर्ष के बीच के 45 बच्चों को दो छोटे कमरों में अमानवीय अवस्था में रखा हुआ था। युवा चाइल्ड लाइन के विजय खरात ने कहा, “स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों से, बच्चों को 5 अगस्त को विभिन्न बाल गृहों में स्थानांतरित कर दिया गया था, इन 45 बच्चों में से 12 लड़कियां और 33 लड़के थे।
चर्च द्वारा संचालित इस आश्रय गृह में रहने वाली 14 से 18 वर्ष की आयु की तीन अवयस्क लड़कियों ने अधिकारियों को बताया कि चर्च के पादरी राजकुमार येसुदादन उन्हें गलत तरीके से छूते थे। पादरी स्वयं को भगवान का बेटा बताता था और सभी पर अनावश्यक अधिकार जताता था। 14 वर्षीय पीड़िता के अनुसार उसे जून 2021 को इस महिला आवास में लाया गया था, उसने अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के बारे में बताया।
युवती के अनुसार जब वह सो रही थी तो पादरी उसके पास आया और उसकी गर्दन और छाती पर वेपोरब लगाने लगा। यह देख युवती अवाक रह गयी, लेकिन यह तो मात्र शुरुआत थी, उस पादरी ने उसके साथ रात भर में 10-12 बार यह दुष्कर्म किया। जब युवती ने आपत्ति जताई तो पादरी ने उससे कहा कि ” यह एक आध्यात्मिक कार्य है और किसी को भी इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए।”
एनआरआई कोस्टल पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक रवींद्र पाटिल ने कहा कि पादरी ने इन आरोपों का खंडन किया था। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि यह शोषण कितने समय से चल रहा था और क्या पादरी युवकों के साथ भी छेड़छाड़ किया करता था। पुलिस को एक गुप्त सूचना भी मिली है कि आश्रय गृह में एक युवती गर्भवती भी हो गई थी, लेकिन अभी तक किसी के गर्भपात के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है।
चर्च और मिशनरी का हिंदुत्व को बदनाम करने का कुत्सित प्रयास
यहाँ यह भी देखने में आ रहा है कि चर्च और मिशनरी के लोग अपने आश्रय घरों और अन्य संस्था का नाम हिन्दू शब्दों पर रखते है। वह लोग आश्रम जैसे हिंदू शब्दों का उपयोग करते हैं, उनका ध्येय लोगो को मूर्ख बनाना और हिन्दुओ को भ्रमित करना है। इन संस्थाओं पर कभी कोई कार्यवाही भी होती है तो मीडिया आदि में उनके हिन्दू नाम ही प्रयोग होते हैं, जिससे समाज में यह सन्देश जाता है कि यह तो किसी हिन्दू संस्था के किये हुए कुकर्म हैं।
यहाँ यह जानना भी आवश्यक है कि पेंटेकोस्टल सबसे कट्टरपंथी ईसाई प्रोटेस्टेंट पंथों में से एक है। इनका मुख्यालय अमेरिका में है और अकूत धन बल के दम पर यह पूरी दुनिया में फ़ैल रहा है। इनका एक ही ध्येय है, यह लोगो में अंधविश्वास फैलाते हैं, अपनी उत्प्रेरण चालों के माध्यम से गरीबों और भोले-भाले लोगों का शोषण करते हैं। इनके पादरी स्वयं को प्रभु इशू का बेटा बताते हैं, और कथित ‘दिव्य उपचार’ के नाम पर भोली भाली युवतियों का शोषण करते हैं। हमारे समाज में इन लोगों और संस्थाओं के विरुद्ध जागरूकता आनी आवश्यक है, हिन्दुओं को ऐसी संस्थाओं का बहिष्कार करना चाहिए और किसी भी संदिग्ध गतिविधि के होने पर कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए।