आँध्रप्रदेश में प्रेम स्वरूपी मिनिस्ट्रीज़ पर पुलिस ने छापा मारकर चार लोगों को हिरासत में लिया है। यदि आप प्रेम स्वरूप मिनिस्ट्रीज़ सुनकर हैरान हो रहे हैं, तो हर प्रकार का संशय मिटा दीजिये क्योंकि पास्टर प्रेमा दास ( ए. अनिल कुमार ) को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। वह पहले रेलवे में टीटीई था और उसने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था, अपने परिवार को छोड़ दिया था और वह तेलंगाना टुडे के अनुसार उसने ईसाई मिशनरी का काम करना इसलिए शुरू कर दिया था क्योंकि उसे बहुत आकर्षक लगा था।
उसने प्रेम स्वरुप मिनिस्ट्रीज़ नामक मिशनरी की स्थापना की, जैसा कि उसकी वेबसाईट की आर्काइव से पता चलता है कि वर्ष 2015 में इस संस्था की स्थापना की गयी थी। उसने एक दो मंजिला मकान भी बनाया और उसमें इसके काम शुरू कर दिए, फिर उसने ईसाई रिलिजन की शिक्षाएं देने के लिए 17 औरतों को लालच दिया और फिर उन्हें पायकाराओपेटा में मिनिस्ट्रीज़ के परिसर में रखा।
इन सभी औरतों का केवल यौन शोषण ही नहीं करता था, बल्कि वह पिछले चार वर्षों से यह भी कहकर धमका रहा था कि अगर वह परिसर को छोड़ने की कोशिश भी करती हैं तो उन्हें उसका भुगतान भुगतना पड़ेगा । पीड़िताओं ने पुलिस को यह बताया कि ऐसा नहीं है कि केवल महिलाओं का ही यौन शोषण किया जा रहा है, बल्कि इसके साथ ही सात लड़के भी हैं, जिन्हें वहां जबरन रखा गया और गुलाम बनाकर काम पर रखा गया और उन्हें प्रताड़ित भी किया गया।
मिनिस्ट्रीज़ क्या होती है?
जिसे भारत के शब्दकोष में मंत्रालय कहकर भाषांतरित किया गया है, उस मिनिस्ट्रीज़ के विषय में पाठकों को जानना चाहिए कि वह एक कांसेप्ट अर्थात अवधारणा है। मिनिस्ट्रीज़ का अर्थ होता है कि ईसाई रिलिजन के प्रचार और प्रसार के लिए की जाने वाली गतिविधि, जिसका एक ही उद्देश्य है कि दुनिया में हर जगह ईसा मसीह के संदेशों को फैलाना। कहा जाता है कि हर सच्चे ईसाई को रिलिजन का प्रचार करते रहना चाहिए।”
भारत में आप मंत्रालय के खिलाफ तो बोल सकते हैं और मीडिया भी मंत्रालयों के उन मंत्रियों के खिलाफ बोलता है, जो उसके इकोसिस्टम के बाहर के होते हैं, परन्तु वह “मिनिस्ट्रीज़” के विरुद्ध नहीं जा सकता है। और ईसाई मिनिस्ट्रीज़ के खिलाफ तो मीडिया एक शब्द भी नहीं बोलता, बल्कि वह पीड़ितों को ही कठघरे में खड़ा करता है, इसलिए पीड़ितों से जब पुलिस ने संपर्क किया तो पहले तो पास्टर के डर से उन्होंने मुंह नहीं खोला और पुलिस को यह भी पता चला कि पास्टर ए अनिल कुमार ने गॉड के नाम पर बहुत पैसा बनाया है!
मिनिस्ट्रीज का एक यूट्यूब चैनल भी था, जिसके माध्यम से वह लोगों की पीड़ा दूर करने का दावा करता था और बेरोजगारों की पीड़ा दूर करने का दावा करता था। और नौकरी और इलाज के बहाने से न जाने कितना पैसा ठगता था। पुलिस अब जांच कर रही है और पीड़ितों को मेडिकल टेस्ट के लिए भेजा गया है।
5 फरवरी की तेलंगाना टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह स्पष्ट नहीं है कि गिरफ्तार लोगों में पास्टर ए. अनिल कुमार भी शामिल हैं या नहीं। आरोप है कि आरोपी पादरी पूर्वी गोदावरी जिले की एक महिला राजेश्वरी के साथ रह रहा था, जो उसके अपराधों में भी भागीदार थी। पुलिस राजेश्वरी की भी तलाश कर रही है।
पुलिस ने मिनिस्ट्रीज की इमारत को सील कर दिया है और साथ ही 30 में से 8 लोगों को उनके घर भेज दिया है। क्योंकि 20 लोगों ने वह स्थान छोड़ने से इंकार कर दिया था।
जो भी शिकायतें आई हैं, वह भीतर तक दहला देने के लिए पर्याप्त हैं। एक रिपोर्ट में यह उल्लेख है कि शिकायत करने वाली महिला बीटेक थी और वह एक निजी कंपनी में काम कर रही थी, जब पादरी अनिल कुमार ने उसे अपनी मिनिस्ट्रीज की इमारत में रहने के लिए इस हद तक बाध्य कर दिया था कि वह सब कुछ छोड़कर वहीं रहने लगी। वह दिमाग को इस कदर अपने कब्ज़े में लेता था कि पकड़ में आने वाला व्यक्ति अपना सब कुछ छोड़कर, उसके जाल में फंस जाता है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पादरी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 344, 354, 506, 493, 374, 312, एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पूरे देश में ऐसी ‘मिनिस्ट्रीज’ बेख़ौफ़, बेरोकटोक और निर्बाध रूप से चल रही हैं, और मीडिया इनके द्वारा किए जा रहे कार्यों की कोई समीक्षा नहीं करता है, जैसा वह हिन्दू धर्मगुरुओं की करता है। इनके खिलाफ कोई भी शिकायत आती है तो मीडिया उसे मात्र एक छोटी घटना बनाकर प्रस्तुत करता है, जबकि संविधान में यह पूरी तरह से स्पष्ट किया गया है कि आप अपने रिलिजन के प्रचार के लिए झूठ या लोभ और लालच का सहारा नहीं ले सकते हैं।
परन्तु हिन्दू साधु संतों की लिंचिंग पर भी मौन रहने वाला मीडिया, पूरे देश में कुकुरमुत्तों की तरह पनपते इन स्वयंभू ईसाई मसीहाओं पर संज्ञान नहीं लेता है। हर पास्टर की अपनी अलग अलग मिनिस्ट्री होती है। पंजाब में अंकुर नरूला की अपनी मिनिस्ट्री है, और उसकी वेबसाईट पर लिखा है कि अंकुर नरुला की मिनिस्ट्री पंजाब में सबसे अधिक तेजी से बढ़ने वाली और सबसे बड़ी मिनिस्ट्री है!
हिन्दू साधु संतों पर वेब्सीरीज़ बनाने वाले भी इन मिनिस्ट्रीज़ पर चुप्पी साध जाते हैं
बिना किसी प्रमाण में हिन्दू साधु संतों को खलनायक बनाने वाले फिल्म निर्माता भी इन सभी मिनिस्ट्रीज़ पर चुप्पी साधते हैं। दरअसल यह लोग इतने इन मिनिस्ट्रीज़ से सधे होते हैं, कि वह इन्हें कई तरीकों से साध लेते हैं। न ही इन लड़कियों की पीड़ा मीडिया को पिघला पाती है और न ही फिल्म निर्माताओं को! एकतरफा बदनाम करने के लिए यह सभी फिल्मनिर्माता हिन्दू धर्म के साधुसंतों को शिकार और निशाना बनाते हैं और यह ओह माई गॉड, या फिर भूल भुलैया या फिर पीके और हाल ही में आश्रम जैसी फिल्मों और वेबसीरीज़ से पता चलता है।
यह मिनिस्ट्रीज इतनी शक्तिशाली हैं कि मीडिया भी इनके विषय में लिखते समय उदार हो जाता है
कथित उदारवादी मीडिया भी इन मिनिस्ट्रीज़ के विषय में लिखते समय इतना उदार हो जाता है कि वह पीड़िताओं को ही कठघरे में खड़ा करते हुए कथित जैसा कुछ प्रयोग कर देता है। जैसा द हिन्दू ने किया। उसने इसका विवरण लिखते समय उसे कोट कर दिया, अर्थात एक संशय उत्पन्न कर दिया। जबकि आप देखिये कि जहां पर ईसाई पास्टर आरोपी नहीं था, वहां पर उसने यह संशय जताता हुआ निशान नहीं लगाया है!
कहना न होगा कि असली मंत्रालय से शक्तिशाली यह मिनिस्ट्रीज हैं, मीडिया इनके विषय में बोलने से, इनके विरुद्ध आवाज उठाने से डरता है!