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Tuesday, March 19, 2024

पाकिस्तान में हिन्दू पीड़ा: कहीं हिन्दू दुकानदार जवाहर लाल को गोली मारी तो हिन्दू लड़की से ३ दिनों तक बलात्कार, परन्तु विमर्श से यह सब गायब है

बीबीसी ने इन दिनों भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर डॉक्यूमेंट्री बनाकर यह दिखाने का प्रयास कर रहा है कि कैसे भारत में अल्पसंख्यकों पर खतरा है आदि आदि! परन्तु भारत के ही बगल में बने पाकिस्तान में क्या चल रहा है, यह बीबीसी नहीं देख पा रही है, या वह किन्तु-परन्तु के साथ चुनिन्दा मामलों पर वीडियो बना रहे हैं, जैसा हाल ही में दो मामलों से दिखाई दिया!

पकिस्तान से कई नए समाचार आ रहे हैं जो बार-बार चीख चीखकर हिन्दुओं की पीड़ा कह रहे हैं, परन्तु उन पर विमर्श में कोई बात ही नहीं है।

पिछले ही दिनों यह समाचार आया कि एक हिन्दू लड़की का अपहरण किया गया और फिर उसका बलात्कार इसलिए किया गया कि उसने इस्लाम नही अपनाया!

उसका वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वह अपनी कहानी कह रही है। उसने बताया कि उसके साथ उमरकोट के समराओ कस्बे मी बलात्कार किया गया और यह कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं की है। रविवार तक इस मामले के आरोपियों के विरुद्ध शिकायत दर्ज नहीं की गयी थी। एक स्थानीय हिन्दू नेता ने कहा कि “लड़की और उसका परिवार अभी पुलिस स्टेशन के बाहर बैठे हैं, मगर शिकायत दर्ज नहीं हुई है।” लड़की का दावा है कि उसका अपहरण इब्राहिम मंगरियो, पुन्हो मंगरियो और उनके साथियों ने किया था।

उसने कहा कि उन्होंने उसे धमकी दी और उसे बताया कि वह इस्लाम में आ जाए मगर उसने इंकार कर दिया और फिर तीन दिनों तक उसके साथ बलात्कार किया गया। पीड़िता के अनुसार वह किसी तरह उनकी पकड़ से छूटकर भागी।

पाकिस्तान के एक पत्रकार अनिक नाजी का एक वीडियो पकिस्तान अनटोल्ड नामक हैंडल ने साझा किया है, जिसमें वह कह रहे हैं कि हमने अर्थात मुस्लिमों ने हिन्दुओं को इतना प्रताड़ित किया है कि वह कभी आर्थिक या किसी और तरीके से खड़े नही हो सकते हैं। वह कह रहे हैं कि हिन्दुओं से उनके काम धंधे छीन लिए गए, उन्हें मारापीटा गया

बीबीसी ने २४ जनवरी को खुद ही एक वीडियो साझा करते हुए एक पीड़ित हिन्दू परिवार की पीड़ा दिखाई है। परन्तु वह विमर्श नहीं है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ किस हद तक अत्याचार हो रहे हैं।  बीबीसी उस पत्रकार द्वारा बताए गए सुनियोजित षड्यंत्र वाले विमर्श पर बात नहीं करता है।

वह यह नहीं बताता कि कैसे एक भाई अपनी बहन को अगवा होने से बचाता है तो उसकी हत्या कर दी जाती है और उसे सड़क दुर्घटना बता दिया जाता है। बीबीसी हिन्दू माँ के आंसू दिखाते हुए भी कहीं न कहीं छिपा लेता है, अल्पसंख्यकों के साथ होता हुआ सुनियोजित वह षड्यंत्र जिसके विषय में अनिक उल्लेख कर रहे हैं।

लक्खा अपने बेटे के साथ हुई इस नृशंसता की गवाह हैं, वह बता रही हैं कि क्या हुआ था। मगर चूंकि लक्खा की बेटी जिसे बचाने का दावा लक्खा कर रही हैं वही अपनी माँ को झूठा बता रही है तो हिन्दुओं की स्थिति को वहां पर समझा जा सकता है कि किस सीमा तक डरा कर रखा जाता है।

स्थानीय नेता के अनुसार लाली इस समय खौफ और दबाव में है, इसलिए वह ऐसा बयान दे रही है।

पाकिस्तानी हिन्दू कृष्णा ताराचंदानी ने ही एक और वीडियो साझा किया था जिसमें एक हिन्दू मंदिर को तोड़ते हुए दिखाया था और लिखा था कि एक हिन्दू लड़के को मारा भी गया, मगर विश्व शांत है

एक और वीडियो पाकिस्तान अनटोल्ड नामक हैडल ने साझा किया है जिसमे एक बच्चा कह रहा है कि उसकी मम्मा ने बताया है कि जो भी हिन्दू पाकिस्तान में रह रहे हैं, उन्हें तब तक पाकिस्तान में नहीं रहने देना चाहिए, जब तक वह मुस्लिम नहीं हो जाते।

और यह घृणा हिन्दुओं के प्रति उनके व्यवहार में परिलक्षित भी होती है जब देखते हैं कि हिन्दू दुकानदार जवाहर लाल को सिंध प्रांत में चाकू मारकर घायल कर दिया गया है। जब ट्वीट किया गया था, तब वह गंभीर हालत में सिविल अस्पताल हैदराबाद में जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे थे।

यह बहुत ही दुखद है कि ऐसी घटनाएं तो लगातार होती रहती हैं परन्तु वह घटनाएँ विमर्श का बिंदु नहीं बन पाती हैं। या तो यह मान लिया गया है कि हिन्दुओं के साथ हो रही तमाम घटनाएं सही हैं, हिन्दुओं की वैश्विक पीड़ा कुछ नहीं है या फिर कुछ और?

शादीशुदा लड़कियों का भी मतांतरण कर लिया जा रहा है। जैसा ४ जनवरी को महेश वासु ने साझा किया था। इस घटना में कोट मीर याकुब अली शाह, रोहड़ी के रहवासी हिन्दू हरिचंद की शादिशुदा बेटी अमर देवी (23) मिया जावेद अहमद क़ादरी के निवास पर कैद और जबरन मजहब तब्दीली बताई गयी थी

यह कुछ और क्या है, यही नहीं समझ आता कि आखिर क्या हो रहा है? यह कुछ और क्या है? लड़की का अपहरण और जबरन निकाह सामान्य है, हिन्दुओं की संपत्ति पर अधिकार सामान्य है जैसा उन पत्रकार ने बताया तो वहीं यह तक सामान्य है कि बच्चों और युवाओं के दिलों में हिन्दुओं के प्रति घृणा है।

यह घृणा विमर्श में क्यों नहीं आती है? समस्या इस घृणा को मात्र क़ानून व्यवस्था या मजहबीकरण तक सीमित करने तक है जबकि विमर्श में वह घृणा आनी चाहिए जो हिन्दुओं के अस्तित्व तक से है!

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