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Sunday, December 8, 2024

पकिस्तान में लापता शिया बच्चियां मिलीं, निकाह का दावा! दुआ जेहरा के लापता होने पर सुन्नी मस्जिद ने ऐलान करने से किया था इंकार?

पाकिस्तान में जहाँ हिन्दू लड़कियों के जबरन निकाह के मामले सामने आते रहते हैं तो अब शिया मुस्लिमों की लड़कियों को भी अगवा करके निकाह के समाचार आने लगे हैं। और जो लोग हिन्दुओं को वर्गभेद के लिए कोसते रहते हैं, वह यह बहुत ही आसानी से छिपा जाते हैं कि इस्लाम में जो भेदभाव है वह भारत और पाकिस्तान दोनों की देशो के मुस्लिमों में है। दो घटनाएं विशेष रूप से ध्यान देने योग्य हैं।

पाकिस्तान में एक चौदह साल की शिया बच्ची दुआ ज़हरा काजमी को उसके घर के बाहर से उठा लिया गया। यह घटना 16 अप्रेल की है, जब एक चौदह साल की बच्ची को उसके घर के बाहर से उठा लिया जाता है और उसके घर वाले पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराते हैं।

परन्तु इसमें सबसे बड़ी हैरान करने वाली बात यह है कि जब उसके घरवाले पासवाली मस्जिद में लापता होने के एलान का अनुरोध करने जाते हैं तो उनसे यह कहा जाता है कि मस्जिद से यह ऐलान नहीं हो सकता क्योंकि दुआ एक शिया है।

यह घटना twitter पर बहुत वायरल हुई थी और इस बहाने कई बहसें भी आरम्भ हुई थीं। हालांकि इन बहसों को तब विराम लग गया जब दुआ और दुआ के बाद लापता हुई निमरा काजमी दोनों ही शादीशुदा मिलीं और यह कहा जा रहा है कि दोनों ने अपनी मर्जी से निकाह कर लिया है। मगर दोनों ही लडकियां अभी कम उम्र की हैं।

और इसे लेकर कुछ लोग संशय भी व्यक्त कर रहे हैं कि क्या यह आपके दिमाग में शक पैदा नहीं करता कि दुआ और निमरा दोनों ही अलग अलग जगहों से गायब होती हैं, अलग अलग जगहों पर मिलती हैं, मगर उनकी उम्र लगभग एक समान हैं और दोनों ही शादीशुदा मिलीं

पत्रकार हसन काजमी ने यह कहते हुए ट्वीट किया कि हालाँकि वह विवरण के इंतज़ार में हैं, फिर भी उन्हें यही लग रहा है कि यह उसी तरह की शुरुआत हो सकती है जो अल्पसंख्यक हिन्दू समाज की लडकियों के साथ इतने वर्षों से होता चला आ रहा है! अब एक और अल्पसंख्यक निशाना बन रहा है।

निमरा काजमी जो दूसरी लड़की लापता हुई थी वह डेरा गाजी खान से मिली है, और यह वही जगह है जहाँ से पहले भी जबरन मतांतारण और निकाह के मामले सामने आए थे

दुआ जेहरा और निमरा काजमी दोनों ही अभी बच्चियां हैं और उनकी उम्र कम है, उन्हें कोई भी निकाह के नाम पर बहका सकता है। मगर लोग इस बात को लेकर हैरान है कि क्या यह शिया लड़कियों के साथ शुरू हुआ वही काम है जो अब तक हिन्दू और ईसाई लडकियों के साथ होता आया था?

देखना होगा कि दुआ जेहरा का वीडियो क्या कहता है? अब दुआ जेहरा का वीडियो भी आ गया है, जिसमें वह कह रही हैं कि वह अपनी मर्जी से शादी कर चुकी है! परन्तु जहाँ वह खुद के बालिग होने का दावा कर रही है तो वहीं उसके घर वाले यह कह रहे हैं कि वह मात्र चौदह साल की है। और इसके कारण अब अब उसका चरित्र हनन भी आरम्भ होने लगा है, कल जैसे ही यह समाचार आया कि दुआ जेहरा मिल गयी है और उसने शादी कर ली है, तो मीडिया भी यह सोचे बिना कि अभी उस बच्ची की उम्र मात्र 14 वर्ष की है, उस बच्ची का चरित्र हनन करने लग गया, इस पर भी लोगों ने आपत्ति की

इस मामले को लेकर पाकिस्तान में हिन्दुओं का मुख्य युवा चेहरा रेखा माहेश्वरी ने भी कहा कि ऐसा हिन्दू लडकियों के साथ न जाने कब से होता आ रहा है:

जनता का रिपोर्टरके संस्थापक ने रईस पठान को कहा झूठा पठान

एक ओर जहां पाकिस्तान में शियाओं के साथ एक प्रकार से भेदभाव से भरा हुआ व्यवहार हो रहा है तो वहीं भारत में भी यहाँ के देशज मुस्लिम इसका शिकार होते हैं। वह किसी और के हाथों शिकार न होकर अपने मुस्लिम समुदाय के हाथों ही होते हैं और प्रगतिशील, पढ़े लिखे मुस्लिमों के हाथों! आज सेन्ट्रल वक्फ काउंसिल के सदस्य रईस पठान को जनता के रिपोर्टर के संस्थापक रिफ्त जावेद ने जाली पठान कहा!

रईस पठान ने किसी ट्वीट पर यह कहा कि पोती की उम्र की लड़कियों के साथ बदतमीजी न की जाए तो रिफत जावेद ने कहा कि

“क्या दिन आ गए हैं अब तेरे जैसे जर ख़रीद ग़ुलामों को भी जवाब देना पड़ रहा है। अब निकल ले जाली पठान।“

जाली पठान क्यों कहा जाता है? इसका जबाव तो खोजना ही होगा। परन्तु आमना बेगम अंसारी ने इसे कौम की श्रेष्ठता बताते हुए ट्वीट कहा। उन्होंने लिखा कि

इस ट्वीट में कौम का घमंड देखो और इसके जैसे लोग ही हिन्दुओं के बीच जातिवाद के लिए लड़ने में सबसे आगे रहते हैं:

दरअसल सच बात तो यह है कि मुस्लिमों में भेदभाव की हर सीमा पार है, जैसा हम अभी देख ही रहे हैं कि अफगानिस्तान में भी शियाओं को निशाना बनाया जा रहा है और रमजान में भी धमाके हो रहे हैं।

यह दोनों ही उदाहरण यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि इस्लाम में कितना भेदभाव होता है और समानता के जिस सिद्धांत का यह लोग ढोल पीटते हैं, वह है ही नहीं! तभी पड़ोसी पाकिस्तान में एक शिया लड़की की गुलशुदगी का एलान सुन्नी मस्जिद से नहीं होता

और भारत के एक रईस पठान को कथित एलीट या अशराफ पहचान को बनाए रखने वाले रिफत जावेद देश की पहचान के साथ खुद को जोड़ने वाले मुस्लिम को जाली पठान कहते हैं

और फिर यही कहते हैं कि इस्लाम में सब समान हैं!

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