कहने के लिए श्रीलंका के नागरिक को पाकिस्तान में ब्लेसफेमी के नाम पर जलाया था, और मार डाला गया था, परन्तु ट्विटर पर लोग ऑस्ट्रेलिया की सीनेटर को टैग करके कुछ प्रश्न कर रहे थे। लोग उस वीडियो को मेहरीन फारुकी के ट्विटर हैंडल के साथ ट्वीट कर रहे थे और प्रश्न कर रहे थे कि कुछ तो शर्म करें, आपका अपना देश अल्पसंख्यकों को जिंदा जला रहा है और फिर सेल्फी ले रहे हैं!
मामला क्या है:
दरअसल 1 दिसम्बर को ऑस्ट्रेलिया में पाकिस्तानी मूल की मेहरीन फारुकी ने अपना एक वीडियो ट्विटर पर साझा किया और लिखा कि आज सीनेट में मैंने सरकार से और प्रधानमंत्री से “भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अत्यधिक दक्षिणपंथी राजनीति और प्रशासन की निंदा करने का अनुरोध किया।”
जब वह प्रधानमंत्री मोदी को अल्पसंख्यकों के लिए कोस रही थीं और कह रही थीं कि भारत में मुस्लिमों और सिखों के साथ क्या क्या नहीं होता है, उसी समय उनके अपने ही देश पाकिस्तान में ब्लेसफेमी के नाम पर चौकियों को जलाया जा रहा था। भीड़ यह नारा लगा रही थी कि मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति को अपने हवाले करने की मांग कर रही थी, जो पुलिस ने नहीं किया तो उन्होंने चौकी ही जला डाली थी
वैसे तो पाकिस्तान में हिंसा या अल्पसंख्यकों पर हिंसा के मामले नहीं हैं, परन्तु हाल ही के दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए थे, जिनसे पूरा विश्व हैरान और स्तब्ध रह गया था। जैसे आठ वर्ष के हिन्दू बच्चे पर ब्लेसफेमी का मुकदमा और फिर उसके कारण हिन्दू मंदिर को तोडना।
उससे पहले पाकिस्तान में गुरुपर्ब के दिन ही एक 11 वर्षीय हिन्दू बच्चे की हत्या यौन शोषण के बाद कर दी गयी थी। यह अधिक दिन पुरानी नहीं है और जिन सिखों को लेकर मेहरीन फारुकी भारत को कोस रही थीं, उन सिखों के गुरुद्वारे में दिनांक 29 नवम्बर को ही पाकिस्तान में तोड़फोड़ हुई थी। पाकिस्तान में सिंध में गुरु ग्रन्थ साहिब का अनादर किया गया था। गुरुग्रन्थ साहिब के अंगों को फाड़ दिया गया था और गोलक तोड़ दी गयी थी। यह घटना घोस्पुर शहर के पास गुरुद्वारा श्री गुरु हरकृष्ण जी ध्यान में घटी थी, परन्तु जनता के आक्रोश के बाद भी पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की थी।
ऑस्ट्रेलिया में हिन्दुफोबिया बहुत ही तेजी से अपने पैर पसार रहा है और हाल ही में कई घटनाओं में हमने देखा है कि हिन्दू समाज को निशाना बनाया जा रहा है। वह ग्रीन पार्टी की एकमात्र ऐसी नेता नहीं हैं, जो हिन्दुओं के खिलाफ ऐसे बोलती हैं, बल्कि इस वर्ष की शुरुआत में ग्रीन्स पार्टी की पहचान ही हिन्दू फोबिया बना दिया था और फिर एनएसडब्यू संसद द्वारा उनसे हिन्दू समाज से माफी मांगने के लिए कहा गया था।
ऑस्ट्रेलिया में हिन्दू एक्टिविस्ट रवि सिंह धनकर ने ऑस्ट्रेलिया टुडे से बात करते हुए कहा कि मेहरीन फारुकी ग्रीन्स योजना का एक बड़ा हिस्सा है, जो हिन्दुओं और यहूदियों पर उनके ऐतिहासिक अत्याचारों का विरोध करने पर हमला करती है।
कुछ लोगों का कहना है कि ग्रीन्स पार्टी और इसके मेहरीन फारुकी जैसे नेता उन लोगों के प्रति घृणा पैदा करते हैं, जो कश्मीर, पाकिस्तान, बांग्लादेश और दुनिया में कहीं भी हिन्दुओं के साथ होने वाले अत्याचारों पर आवाज उठाते हैं।
यहाँ तक कि सिडनी में हिन्दू समुदाय के व्यापारियों पर भी प्रतिबंधित संगठन बब्बर खालसा ने हमला किया था। मेहरीन फारुकी ने सिडनी में पिछले वर्ष हुई घटनाओं के विषय में भी लिखा है
“इस वर्ष कई समूहों के बीच हिंसा की घटनाएं हुई हैं जिनमें हैरिस पार्क में चार सिख युवकों पर हमला हुआ था और वह भी भारत में मोदी के किसान कानूनों को लेकर!”
परन्तु मेहरीन फारुकी की बातों का विरोध करती हुई वहीं की एकेडमिशियन सारा गेट्स ने ऑस्ट्रेलिया टुडे से कहा कि जो कुछ भी सिडनी में हुआ है, उसका ऑस्ट्रेलिया के समाज में कोई भी स्थान नहीं हैं, हालांकि सीनेटर मेहरीन फारुकी ने केवल आधा ही सच बताया है और वह भी जानबूझकर!”
उन्होंने आगे कहा कि तीन सिख युवकों और एक हिन्दू युवक को सड़क पर हुई लड़ाई के कारण न्यायालय जाना पड़ा था। हालांकि मेहरीन फारुकी इस घटना के लिए पूरे हिन्दू समाज को घेरे में खड़ा कर रही हैं। सारा ने ऑस्ट्रेलिया की सरकार से यह भी अनुरोध किया कि वह उन संगठनों पर नजर रखें जिन्हें हिन्दुओं के प्रति नफरत फैलाने के लिए विदेशों से पैसे मिल रहे हैं।
हाल ही में पाकिस्तान को अमेरिका ने धार्मिक आजादी न देने वाले देशों की सूची में रखा है
मेहरीन फारुकी खुद पाकिस्तान से आती हैं, और पकिस्तान ऐसे देशों में हैं, जिन्हें अमेरिका ने हाल ही में धार्मिक स्वतंत्रता पर चिंताग्रस्त देशों की सूची में रखा है। हालंकि पाकिस्तान के प्रति नर्म रुख रखने वाले लोगों ने वहां पर भी पूरा प्रयास किया था कि वह भारत को भी उस सूची में ले आएं, पर प्रोपोगैंडा और वास्तविकता दोनों में बहुत अंतर होता है।
politico।com की पत्रकर नहल तूसी ने भी अमेरिका प्रशासन पर भारत को “विशेष चिंता वाले देश” की सूची में सम्मिलित न करने पर हैरानी व्यक्त की, क्योंकि उनके अनुसार भारत में मुस्लिमों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। जबकि अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राष्ट्र आयोग ने इसका अनुरोध किया था कि भारत को खतरनाक देशों की सूची में डालें। परन्तु बाइडेन प्रशासन ने भारत को इसमें सम्मिलित नहीं किया है, क्योंकि वह शायद भारत को अपना साथी मानता है, जिसे वह परेशान नहीं कर सकता और चीन से लड़ाई में भारत उसका सहयोगी है।
मुस्लिम और वामपंथी दोनों ही मिलकर भारत और हिन्दुओं को निशाना बना रहे हैं, दरअसल यह लोग कथित बौद्धिक क्षेत्र में अतिक्रमण कर चुके हैं और पूरे विश्व के अकेडमिकस पर अधिकार स्थापित कर हिन्दुओं के प्रति घृणा को बढावा देना चाहते हैं, बल्कि बुद्धिजीवी होने के लिए हिन्दू घृणा का ही प्रयोग करना चाहते हैं।
जबकि समस्या जहाँ पर अर्थात पाकिस्तान में, वहां पर न ही हिन्दुओं के प्रति इन्हें अत्याचार दिखाई देता है, न ही सिखों के प्रति, और न ही ईसाइयों के प्रति।
पाकिस्तान में तो सफाई कर्मचारी गैर-मुस्लिम या कहें ईसाई ही अधिक होते हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने कोरोना काल में एक रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तान में ईसाई सफाई कर्मचारियों की मौत में वृद्धि ने यह बता दिया है कि वहां पर कितना अधिक भेदभाव है: हालांकि उसमें भी न्यूयॉर्क टाइम्स ने हिन्दुओं को दोषी ठहराने की कोशिश की थी, परन्तु यह ध्यान रखना होगा कि पाकिस्तान को स्वतंत्र हुए 70 से अधिक वर्ष हो गए हैं और वह अपनी इस्लामिक पहचान के साथ आगे बढ़ रहा है।
पाकिस्तान में ऐसी घटनाएं आम हैं और अल्पसंख्यकों के साथ हर प्रकार की हिंसा आम है। परन्तु दुःख की बात है कि पाकिस्तान मूल की मेहरीन फारुकी को न ही यह सब दिखता है और न ही वह देखना चाहती हैं।
परन्तु इसे भी ध्यान रखना होगा कि जहां एक ओर मेहरीन फारुकी जैसे लोग पाकिस्तान के स्थान पर भारत और हिन्दुओं को निशाना बनाने का कुप्रयास करते हैं, पाकिस्तान की एक ही घटना उनके एजेंडे और झूठ को ध्वस्त कर देती है!