पंजाब में एक और व्यक्ति की सिख धर्मग्रन्थ के अपमान के कारण हत्या कर दी गयी है। चरण दास नाम के इस व्यक्ति पर वर्ष 2018 में गुरुग्रंथ साहिब के अपमान का आरोप था। उसकी हत्या अज्ञात लोगों ने शुक्रवार शाम को मुक्तसर में भुंडर गाँव में गोली मार कर कर दी।
हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार चरणदास पर मुक्तसर में तीन साल पहले धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा था और उसे इसी वर्ष जमानत मिली थी। पुलिस अधिकारियों के अनुसार अभी उसके धार्मिक समूह या पंथ का पता नहीं चला है।
चालीस साल के चरणदास अपनी राशन की दुकान पर थे, जब कहीं दो अज्ञात व्यक्ति आए और उन पर गोली चलाई और चले गए। डीएसपी के अनुसार चरणदास की माँ ने बताय कि मोटरसाइकिल पर बैठकर दो लोग आए, गोली चलाई और चले गए। उस समय बिजली नहीं थी, तो किसी को भी उनका चेहरा नहीं दिखा।
किसान आन्दोलन में भी हुई थी इसी कारण एक हत्या
जहाँ मुक्तसर में गोली मार कर गुरुग्रंथ साहिब के अपमान पर चरण दास की हत्या कर दी गयी है तो वहीं किसान आन्दोलन में सिंघु बॉर्डर पर भी एक युवक के शव ने सनसनी मचा दी थी। युवक की बहुत ही बेरहमी से हत्या कर दी गयी थी, और उस पर भी ग्रन्थ की ही बेअदबी का आरोप था। हालांकि वह ग्रन्थ गुरुग्रंथ साहिब न होकर सर्बलोह ग्रन्थ था।
पहले भी हो चुकी हैं हत्याएं
ऐसा नहीं है कि अभी ही यह हत्याएं हुई हैं या हो रही हैं। वर्ष 2016 में भी 47 वर्षीय बलविंदर कौर की हत्या दिन दहाड़े कर दी गयी थी। बलविंदर कौर और ग्रंथी सिकंदर सिंह को 19 अक्टूबर 2015 को गुरुग्रंथ साहिब के अपमान के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बलविंदर कौर की बेटी के अनुसार उन्हें घवाद्दी के सरपंच ने इस मामले में फंसाया था। उनका कहना था कि उनकी माँ तो धर्म बदलकर सिख हुई थीं। तो ऐसे में जिसने सात वर्ष सेवादार का काम किया हो, अपनी सेवा दी हो, तो वह गुरुग्रंथ साहिब का अपमान कैसे कर सकती है?”
पर बलविंदर के अपने बेटे और परिवार ने ही उनसे मुंह मोड़ लिया था। वह जमानत पर छूटने के बाद अपनी बेटी के घर पर रह रही थीं।
यहाँ तक कि उनके बेटे ने अपनी माँ की तस्वीरें भी जला दी थीं और जिस घर में बलविंदर अपनी शादी के बाद रहा करती थी, जहां पर अपने बच्चों का पालनपोषण किया, वहां पर उनका कोई निशान शेष नहीं है।
उनके गाँव में उनके अंतिम संस्कार की भी इजाजत नहीं मिली थी और उनका अंतिम संस्कार उनके गाँव से बाहर कही और किया गया था।
जिन युवकों ने बलविंदर की हत्या की थी, उन्होंने मीडिया से कहा था कि उन्हें इस घटना का जरा भी अफ़सोस नहीं है, वह बस गुरुग्रंथ साहिब के अपमान का बदला लेना चाहते थे। गुरप्रीत सिंह और निहाल सिंह, इन दोनों ने अपना यह बयान न्यायलय के बाहर दिया था।
वर्ष 2015 में भी इसी प्रकार पंजाब में बरगाड़ी में गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी का मामला सामने आया था और यह मामला बहुत चर्चा में रहा था क्योंकि यहाँ पर गुरुद्वारा साहिब के पास पवित्र स्वरुप बिखरे पड़े थे। इसे लेकर भी बहुत हंगामा हुआ था, और इस घटना की उच्चस्तरीय जांच के लिए तत्कालीन अकाली भाजपा सरकार ने घटना के दो दिन बाद ही एक न्यायिक आयोग का गठन करके मामले की जांच के आदेश दे दिए थे। परन्तु मामला तूल पकड़ता गया था और फिर सिख संगठन सिख फॉर ह्यूमेन राइट्स ने अपने ही स्तर पर एक न्यायिक आयोग का गठन कर दिया था जिसके हेड थे सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जस्टिस मार्कंडेय काटजू।
इस मामले में जहाँ मार्कंडेय काटजू ने अपनी रिपोर्ट फरवरी 2016 में तो वहीं जस्टिस जोर ने अपनी रिपोर्ट जून 2016 में अकाली सरकार को दी, पर दोनों ही रिपोर्ट को अकाली सरकार ने लेने से इंकार कर दिया था।
फिर कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद फिर से एक बार एक और जांच आयोग का गठन किया गया। और अभी तीन न्यायिक आयोगों, राज्य की पुलिस और सीबीआई के बीच यह मामला फंसा है। मगर इसी बीच हाल ही में सिद्धू ने इसी घटना को लेकर कैप्टन अमरिंदर को घेरा था।
स्पष्ट है कि ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं और इन घटनाओं के बहाने हिंसा भी बढ़ रही है। लोगों को घेर कर मारे जाने की घटनाएं किसी भी समाज के लिए चिंता करने वाली होनी चाहिए।